निजी बैंकों पर अंडरवेट पोजीशन रखने वाले कुछ म्युचुअल फंडों में से एक क्वांट म्युचुअल फंड ने एचडीएफसी बैंक में अपना आवंटन बढ़ाया है। निजी क्षेत्र का अग्रणी बैंक अब इस फंड हाउस की ज्यादातर योजनाओं में दो प्रमुख होल्डिंग में शामिल है। रिलायंस और जियो फाइनैंशियल सर्विसेज भी उसकी ज्यादातर योजनाओं के शीर्ष शेयरों में है।
ब्लूचिप केंद्रित निफ्टी-50 और सेंसेक्स में बैंकों का भारांक सबसे ज्यादा है और अकेले एचडीएफसी बैंक की इसमें खासी हिस्सेदारी है। परिणामस्वरूप इस शेयर का कमजोर प्रदर्शन इन सूचकांकों के प्रदर्शन को पीछे ले जाने में अहम कारक होता था।
ज्यादातर लार्जकैप और बैंकिंग क्षेत्र के फंडों ने पिछले तीन वित्त वर्ष में से दो में बेंचमार्क सूचकांकों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया था, जिसकी वजह जमा जुटाने की चुनौतियां और एचडीएफसी बैंक व एचडीएफसी के विलय को लेकर उभरने वाली चुनौती शामिल थीं। वित्त वर्ष 2024 में बैंक के शेयर में 10 फीसदी की गिरावट आई जबकि निफ्टी-50 में करीब 29 फीसदी का इजाफा हुआ था।
हाल में एचडीएफसी बैंक आगे बढ़ रहा है। नुवामा इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के मुताबिक विभिन्न कारणों में से एक यह है कि अगस्त की समीक्षा में एमएससीआई स्टैंडर्ड इंडेक्स में इसका भारांक बढ़ने की उम्मीद है।
ब्रोकरेज ने एक रिपोर्ट में कहा कि बाजार एचडीएफसी बैंक की जून तिमाही की शेयरधारिता की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा है। एक अहम आंकड़ा जिस पर नजर रहेगी, वह है कि एफआईआई की हिस्सेदारी 55 फीसदी से नीचे जाती है या नहीं।
आधारभूत गणना के मुताबिक भारांक में बढ़ोतरी से करीब 3.3 अरब डॉलर का निवेश आएगा। अगर शेयरधारिता भारांक में बढ़ोतरी के लिहाज से मुफीद बैठती है तो अगस्त में आधिकारिक घोषणा तक शेयर में 10-15 फीसदी की उछाल आ सकती है। प्रतिकूल स्थिति में शेयर करीब 1,600 रुपये तक नीचे आ सकता है। तब हम देसी फंडों की इसमें अच्छी दिलचस्पी देख सकते हैं।