आशिष शंकर, मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी
स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों के महंगा होते जाने पर मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी आशिष शंकर ग्राहकों को सलाह देते हैं कि बढ़ते निवेश के लिए उनको लार्जकैप और फ्लेक्सीकैप फंडों को प्राथमिकता देनी चाहिए। अभिषेक कुमार के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि संपत्ति प्रबंधन फर्म ग्राहक पोर्टफोलियो को फिर से कैसे संतुलित बना रही हैं और स्मॉल तथा मिडकैप आवंटन फिर से अनुकूल स्तर पर ला रही हैं। बातचीत के मुख्य अंश:
जहां अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है, वहीं यहां से प्रतिफल थोड़ा नरम रह सकता है। एकबार चौंकाने वाला दौर पीछे छूट गया है। आय वृद्धि के हिसाब से ही रिटर्न मिलना चाहिए जो इस वर्ष 15 से 17 प्रतिशत के आसपास रह सकती है। स्मॉलकैप और मिडकैप में मूल्यांकन भले ही बढ़ गया है, लेकिन अभी भी लार्जकैप शेयरों के लिए यह उचित ही बना हुआ है। मौजूदा हालात में दो परिदृश्य दिख सकते हैं: या तो स्मॉलकैप और मिडकैप शेयर गिरेंगे, या लार्जकैप छोटे शेयरों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करेंगे। लार्जकैप में गिरावट की संभावना कम है।
स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में निवेश कई पोर्टफोलियो में अपेक्षित स्तरों से ज्यादा हो गया था जिससे इसे संतुलित करना पड़ा। कुछ खास मामलों में, हमने स्मॉल और मिडकैप होल्डिंग में थोड़ी कमी के लिए आवंटन योजनाओं में समायोजन किया है। फरवरी में हमने निवेशकों को स्मॉलकैप में निवेश करने के लिए चरणबद्ध रुख अपनाने की सलाह दी। हमने निवेश बढ़ाने के लिए लार्जकैप और फ्लेक्सीकैप फंडों को प्राथमिकता देने के लिए भी कहा।
जनवरी में हमने कहा था कि कैलेंडर वर्ष 2024 चौतरफा प्रदर्शन करेगा। किसी भी परिसंपत्ति वर्ग पर अति निवेश की जरूरत नहीं है। इसलिए समझदारी इसी में है कि परिसंपत्ति आवंटन के खाके भीतर ही रहें। मार्जिन के मोर्चे की बात करें तो डेट पर उत्साह दिखाने की जरूरत है, क्योंकि वर्ष की दूसरी छमाही में ब्याज दरें घटने की संभावना है।
हमने ग्राहकों को सलाह दी है कि वे सीधे या फिर म्युचुअल फंडों के जरिये 10 वर्षीय सरकारी बॉन्डों में निवेश करें। बाजार के हालात में कोई बड़ा बदलाव आया तो यह नजरिया बदल भी सकता है। उदाहरण के लिए, अगर लार्जकैप में 10 प्रतिशत और स्मॉलकैप-मिडकैप में अन्य 15-20 प्रतिशत तक की गिरावट आती है तो वे आकर्षक बन जाएंगे।
म्युचुअल फंडों में दीर्घावधि नजरिये से अच्छी वैल्यू की संभावना है। हालांकि अल्पावधि निवेश के लिए बॉन्डों की लोकप्रियता बढ़ रही है। हमने अक्टूबर से ग्राहकों के लिए काफी मात्रा में सॉवरिन बॉन्ड खरीदे हैं। अति अमीर ग्राहक नॉन-कन्वर्टेबल डिबेंचर के जरिये भी इसमें सीधे निवेश करने के लिए दिलचस्पी दिखा रहे हैं। निजी क्रेडिट निर्गमों में भी गतिविधियां बढ़ी हैं।
कैटेगरी-2 एआईएफ और क्रेडिट फंडों ने ज्यादा यील्ड चाहने वाले उन ग्राहकों में अपनी खास पहचान बनाई है जो इक्विटी को लेकर सहज नहीं हैं। हाइब्रिड म्युचुअल फंडों पेशकश (जिनमें अस्थिरता कम होती है और जो पिछले डेट कराधान की पेशकश करती हैं) विकल्प के तौर पर उभरी हैं। ये निवेश योजनाएं अमीर निवेशकों, खासकर लंबी अवधि का नजरिया पसंद करने वालों के बीच लोकप्रिय हुई हैं।
पूंजी वृद्धि और कूपन पेमेंट के जरिये प्रतिफल भारत और अमेरिका में एक जैसा ही रहने के आसार हैं। इसलिए अमेरिकी बॉन्ड में निवेश करने के लिए कोई अतिरिक्त प्रोत्साहन नहीं है बशर्ते रुपये में गिरावट के बारे में आपका सकारात्मक दृष्टिकोण न हो। उदार प्रेषण योजना के जरिए भी अमेरिकी डेट में निवेश किया जा सकता है।
कुछ योजनाएं कर लाभ भी मुहैया कराती हैं। इक्विटी की बात करें तो अमेरिकी बाजार अपने कम सह-संबंध की वजह से एक उपयुक्त विकल्प हो सकता है। हालांकि चीन एक अनिश्चित बाजार बना हुआ है। आकर्षक मूल्यांकन के बावजूद वहां निवेश करने में बड़े जोखिम शामिल हैं।