एक्सचेंज के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम में देरी के बीच संस्थागत शेयरधारक इस वित्त वर्ष में नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की हिस्सेदारी की बिकवाली जारी रखे हुए हैं।
सिटीग्रुप, गोल्डमैन सैक्स और नॉर्वेस्ट वेंचर्स पार्टनर्स ने वित्त वर्ष 22 में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच दी। एक्सचेंज के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। इन तीनों के पास पिछले वित्त वर्ष में क्रमश: 1.64 फीसदी, 2 फीसदी और करीब एक फीसदी हिस्सेदारी थी। एलिवेशन कैपिटल (पूर्व में सैफ पार्टनर्स) ने पिछले वित्त वर्ष के आखिर में अपनी हिस्सेदारी 3.21 फीसदी से घटाकर 2.14 फीसदी पर ला दी है।
कैटिगरी-2 ऑल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड आईआईएफएल स्पेशल ऑपरच्युनिटीज फंड ने भी वित्त वर्ष 22 में एक्सचेंज की अपनी हिस्सेदारी घटाई है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। फंड का लक्ष्य वैयक्तिक निवेशकों को आईपीओ व पूर्व आईपीओ घटनाक्रम में संस्थागत निवशक के तौर पर भागीदारी दिलाने का है। आईआईएफएल ऐसेट मैनेजमेंट ने कथित तौर पर फंड के जरिए एनएसई में साल 2017 में 6 करोड़ डॉलर और फरवरी 2018 में 10 करोड़ डॉलर निवेश किया था।
वित्त वर्ष 21 में एक्सचेंज की सार्वजनिक संस्थागत शेयरधारिता करीब 5 फीसदी घटी। जिन निवेशकों ने हिस्सेदारी बेची ïउïनमें भारतीय जीवन बीमा निगम (12.51 फीसदी से घटाकर 10.72 फीसदी), वेरासिटी इन्वेस्टमेंट, मॉरीशस (5 फीसदी से घटाकर 3.93 फीसदी), जनरल अटलांटिक गागिल एफडीआई (पूरी 3.79 फीसदी हिस्सेदारी बेची), भारतीय स्टेट बैंक (3.63 फीसदी से घटाकर 3.22 फीसदी) और जीएस स्ट्रैटिजक इन्वेस्टमेंट्स मॉरीशस (3 फीसदी से घटाकर 2 फीसदी) शामिल हैं।
पिछले पांच वर्षों में (31 मार्च, 2021 तक) कुल संस्थागत शेयरधारिता 9.74 फीसदी घटकर 76.6 फीसदी रह गई है। संस्थागत शेयरधारक अपनी हिस्सेदारी की बिकवाली की मुख्य वजह एक्सचेंज के आईपीओ में हो रही देरी बता रहे हैं।
एक शेयरधारक ने कहा, विभिन्न शेयरधारक साल 2015 में आईपीओ की पेशकश चाह रहे थे, लेकिन एक्सचेंज ने बार-बार इसे टाला। आईपीओ एक जरिया है जिसके जरिए असूचीबद्ध कंपनियों के निवेशक अपनी निवेश निकासी कर सकते हैं और दूसरा जरिया है द्वितीयक बिक्री।
एनएसई ने सेबी से आईपीओ योजना पर आगे बढऩे और डीआरएचपी दाखिल करने की मंजूरी मांगी थी, लेकिन उसे कोई जवाब नहींं मिला। यह जानकारी वित्त वर्ष 21 की एनएसई की सालाना रिपोर्ट से मिली। तब से कयास लगाए जा रहे हैं कि एनएसई को आगे बढऩे की इजाजत मिलेगी। एक्सचेंज ने दिसंबर 2016 में डीआरएचपी दाखिल किया था, लेकिन उसे पेशकश दस्तावेज वापस लेने को कहा गया क्योंकि कोलोकेशन घोटाले की जांच लंबित थी।
इस बारे में जानकारी के लिए एनएसई व सेबी को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।
जनरल अटलांटिक, एलिवेशन कैपिटल और गोल्डमैन सैक्स विदेशी निवेशकों का पहला समूह था, जिसने साल 2007 में एनएसई की 5-5 फीसदी हिस्सेदारी ली थी। उसी साल मॉर्गन स्टैनली, सिटीग्रुप इंक और ऐक्टिस ने क्रमश: 3 फीसदी, 2 फीसदी और 1 फीसदी हिस्सेदारी ली थी।
पिछले दो साल में असूचीबद्ध बाजार में शेयर की कीमत 250 फीसदी उछलकर 3,500-3,600 रुपये पर पहुंच गई क्योंकि बढ़ते मुनाफे व आईपीओ की उम्मीद से शेयरों की मांग देखने को मिली।
आईआईएफएल एएमसी के प्रमुख (प्राइवेट इक्विटी) अंशुमन गोयनका ने कहा, फंड प्रबंधन के तहत हम शेयरों की खरीद या बिक्री कर सकते हैं, जो फंड विशेष की गतिविधियां आदि पर निर्भर करती है। हम एनएसई पर काफी ज्यादा सकारात्मक बने हुए हैं और विभिन्न फंडों में एनएसई को लगातार जोड़ रहे हैं। वास्तव में हमारे विभिन्न फंडों में यह सबसे बड़ी होल्डिंग में से एक बनी हुई है।