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क्यूएसबी के लिए तय होगी नेटवर्थ की सीमा

Published by
खुशबू तिवारी
Last Updated- December 25, 2022 | 10:31 PM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) उन पात्र शेयर ब्रोकरों (क्यूएसबी) के लिए अ​धिक नेटवर्थ सीमा तय कर सकता है, जो बड़ी तादाद में ग्राहकों, फंडों और कारोबार का प्रबंधन करते हैं।सेबी बोर्ड ने निर्णय लिया है कि क्यूएसबी को बढ़ते जो​खिम प्रबंधन मानकों पर अमल करने की जरूरत होगी और वे नियामक तथा बाजार इन्फ्रास्ट्रक्चर संस्थानों द्वारा सख्त निगरानी के अधीन होंगे। सेबी के अनुसार, 16 ब्रोकर ऐसे क्यूएसबी मानकों के अधीन आएंगे जिन्हें अलग से जारी किया जाएगा। एक अ​धिकारी ने कहा, ‘यदि कोई ब्रोकर दैनिक आधार पर व्यापक कारोबार और ग्राहक कोष का प्रबंधन करता है, तो इसमें परिचालन के लिए उसके पास उस अनुपात में पूंजी भी होनी चाहिए।

क्यूएसबी के लिए नेटवर्थ सीमा की जरूरत से जो​खिम दूर करने में मदद मिल सकती है।’क्यूएसबी के लिए सेबी के दृ​ष्टिकोण को आरबीआई द्वारा नियामकीय ढांचा क्रियान्वयन के लिए निर्धारित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के वि​भिन्न मानकों में से एक के तौर पर देखा जा रहा है। सेबी ने अपनी बोर्ड द्वारा लिए गए निर्णयों में कहा, ‘बाजार में खास शेयर ब्रोकर बड़ी संख्या में ग्राहकों, ग्राहक कोषों, और बड़ी मात्रा में कारोबार का प्रबंधन करते हैं। ऐसे ब्रोकरों की संभावित विफलता से निवेशकों पर बड़ा प्रभाव पड़ने और भारतीय प्रतिभूति बाजार को साख संबं​धित नुकसान पहुंचने की आशंका है।’

पूंजी सीमा की जरूरत से उन शेयर ब्रोकरों में जो​खिम दूर करने में मदद मिल सकती है जो ज्यादा मात्रा में व्यवसाय करते हैं, लेकिन नेटवर्थ कम बनाए रखते हैं। इस साल के शुरू में, सेबी ने शेयर ब्रोकरों की नेटवर्थ जरूरत बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये किए जाने के संबंध में एक अ​धिसूचना जारी की थी। सैमको में समूह मुख्य कार्या​धिकारी जिमीत मोदी ने कहा, ‘नए ढांचे के तहत, सेबी बड़े ब्रोकरों पर ज्यादा ध्यान देने और प्रतिभूति बाजार में जो​खिम घटाने में सक्षम होगा। कारोबार, ग्राहकों की संख्या, और क्लायंट फ्लोट को मानकों के तौर पर शामिल किया जा सकेगा।’ कई उभरते शेयर ब्रोकरों का मानना है कि इससे उनमें श्रेणी विभाजन को बढ़ावा मिल सकता है और नए निवेशक पात्र टैग के साथ जुड़ने पर जोर दे सकते हैं।

First Published : December 25, 2022 | 10:15 PM IST