इक्विटी म्युचुअल फंड्स में कई महीनों तक लगातार निवेश के बाद अब निवेशकों की रुचि कम होती दिख रही है-खासतौर पर सेक्टोरल और थीमैटिक कैटेगरी में। मार्च 2025 में फंड इनफ्लो में तेज गिरावट दर्ज की गई। इंफ्रास्ट्रक्चर और एनर्जी कैटेगरी के फंड्स से इस महीने सबसे ज्यादा पैसा निकाला गया। ये निकासी कोविड काल के बाद की सबसे बड़ी निकासी रही। इससे पहले मैन्युफैक्चरिंग फंड्स में भी ऐसा ही ट्रेंड देखा गया था।
एलारा कैपिटल द्वारा विश्लेषित म्युचुअल फंड इनफ्लो डेटा के मुताबिक, मार्च में प्योर इक्विटी स्कीम्स में निवेश घटकर ₹25,000 करोड़ पर आ गया, जो बीते एक साल का सबसे निचला स्तर है। यह फरवरी के ₹29,000 करोड़ के मुकाबले काफी कम है और अक्टूबर 2024 में आए रिकॉर्ड ₹42,000 करोड़ के निवेश से करीब 40% की गिरावट दिखाता है।
थीमैटिक और सेक्टोरल फंड्स में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। मार्च 2025 में इन फंड्स में सिर्फ ₹170 करोड़ का मामूली निवेश आया, जबकि जून 2024 में यही आंकड़ा ₹22,400 करोड़ था। यह साफ इशारा है कि खास स्ट्रैटेजी (niche strategies) को लेकर निवेशकों की रुचि अब कम हो रही है।
नीचे दी गई तालिका में सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में हुए निवेश का विवरण है। इस पूरे निवेश चक्र में सबसे ज्यादा जोश मैन्युफैक्चरिंग, इनोवेशन, बिजनेस साइकल और इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स में देखा गया था। हालांकि अब इन सभी कैटेगिरी में निवेश की रफ्तार थमने लगी है। मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और एनर्जी फंड्स से धीरे-धीरे पैसे की निकासी भी शुरू हो चुकी है।
एलारा कैपिटल के सुनील जैन ने कहा, “थीमैटिक फंड्स की बात करें तो मैन्युफैक्चरिंग फंड्स में लगातार दूसरे महीने निकासी हुई है, जबकि इनोवेशन और क्वांट फंड्स से लगभग दो साल बाद पहली बार पैसा निकला है। सेक्टोरल फंड्स में भी इंफ्रास्ट्रक्चर और एनर्जी/पावर फंड्स से दो साल में पहली बार निकासी हुई है, जो कोविड के बाद की सबसे बड़ी रिडेम्प्शन है।”
जो फंड्स पहले निवेशकों के बीच सबसे ज्यादा पसंद किए जाते थे—जैसे मैन्युफैक्चरिंग, इनोवेशन, बिजनेस साइकल और इंफ्रास्ट्रक्चर—अब उन्हीं से सबसे ज्यादा निकासी हो रही है।
मैन्युफैक्चरिंग फंड्स में लगातार दूसरे महीने पैसा निकाला गया है। इनोवेशन और क्वांट फंड्स से करीब दो साल बाद पहली बार निकासी दर्ज की गई है। इंफ्रास्ट्रक्चर और एनर्जी/पावर फंड्स से भी दो साल में पहली बार पैसा निकाला गया है, जो महामारी के बाद की सबसे बड़ी सेक्टोरल रिडेम्प्शन मानी जा रही है। यह गिरावट उस दौर के बाद आई है जब बाजार में काफी जोश था और इन फंड्स ने मजबूत रिटर्न दिए थे।
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बाजार में गिरावट के बावजूद स्मॉल और मिडकैप फंड्स में लगातार मजबूत निवेश देखने को मिल रहा है, जो पूरे ट्रेंड के खिलाफ है। मार्च 2025 में स्मॉल कैप फंड्स में ₹4,100 करोड़ का निवेश हुआ, जो पिछले एक साल के औसत से 30% ज्यादा है। लार्ज कैप फंड्स, जो पिछले दो साल से कमजोर प्रदर्शन कर रहे थे, अगस्त 2024 से धीरे-धीरे निवेशकों की रुचि दोबारा हासिल कर रहे हैं।
ब्रॉडर मार्केट में एक संरचनात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है। 2020 के बाद पहली बार NSE500 इंडेक्स में टॉप-50 लार्ज कैप स्टॉक्स का वेटेज तेजी से बढ़ रहा है। यह ट्रेंड 2010 और 2018 जैसे पहले के चक्रों की याद दिलाता है, जिनके बाद स्मॉल और मिडकैप शेयरों में लंबी मंदी देखी गई थी।
लार्ज कैप स्टॉक्स में बढ़ती हिस्सेदारी के चलते म्युचुअल फंड्स की एलोकेशन भी हाई-ग्रोथ वाले उतार-चढ़ाव भरे शेयरों की जगह पर अब स्थिरता को प्राथमिकता दे सकती है। इससे आने वाले महीनों में रिटेल निवेशकों के रुझान पर भी असर पड़ सकता है।