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निवेश के ठिकाने के तौर पर म्युचुअल फंड पारंपरिक बैंक जमाओं का लगातार मजबूत विकल्प बनते जा रहे हैं, खास तौर से भारत के आकांक्षी मध्य वर्ग के बीच। भारतीय रिजर्व बैंक के नवीनतम बुलेटिन से यह जानकारी मिली।
केंद्रीय बैंक ने नोट किया है कि म्युचुअल फंडों की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) और कुल बैंक जमाओं का अनुपात मार्च 2024 में समाप्त 10 वर्ष की अवधि में दोगुना से ज्यादा हो गया। यानी यह 10 फीसदी से बढ़कर 23.8 फीसदी पर जा पहुंचा।
अभी म्युचुअल फंडों की एयूएम बैंक जमाओं की करीब एक तिहाई है। फ्रैंकलिन टेम्पलटन फंड के अध्ययन से पता चलता है कि मई 2025 में फंडों की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 72.2 लाख करोड़ रुपये थीं जो 231.7 लाख करोड़ रुपये की बैंक जमाओं का करीब 31.2 फीसदी है।
भारतीय रिजर्व बैंक के पिछले आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार फंडों की बढ़ती पैठ का कारण इक्विटी बाजार के साथ से बेहतर तरीके से परिचित होना, सावधि जमा की कम दरें तथा देश में कारोबारी माहौल के प्रति आशावाद है। ये सब इक्विटी फंडों में निवेश बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, लंबे समय तक सावधि जमा दरों के लगातार कम रहने के कारण लोग स्वाभाविक रूप से ऐसे अन्य परिसंपत्ति वर्गों की तलाश करने लगते हैं जो अधिक रिटर्न देते हैं। इस कारण इक्विटी म्युचुअल फंडों में अच्छा निवेश आ रहा है।
पिछले एक दशक में म्युचुअल फंडों की लोकप्रियता में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसे आय के उच्च स्तर, बढ़ती वित्तीय जागरूकता, युवा निवेशक आधार, इंटरनेट की बढ़ी पहुंच और डिजिटल प्लेटफॉर्मों के विस्तार से बल मिला है। बुलेटिन में कहा गया है, एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) की अगुआई में मार्केटिंग पहल की सफलता से विश्वास का निर्माण हुआ है।
फंड उद्योग की एयूएम मार्च 2010 में 6.1 लाख करोड़ रुपये थी जो मार्च 2025 में 17.1 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि दर की बढ़ोतरी के साथ 65.7 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
म्युचुअल फंडों की बढ़ती लोकप्रियता अलग-अलग घरेलू निवेश आंकड़ों में भी दिखाई देती है। घरेलू स्तर पर सकल वित्तीय बचत में म्युचुअल फंडों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2012 के 0.9 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2023 में 6 फीसदी हो गई।
हालांकि तेज वृद्धि के बावजूद भारत में म्युचुअल फंडों की पहुंच अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कम है, जिससे बढ़ोतरी की पर्याप्त गुंजाइश जाहिर होती है। अनुकूल जनसंख्या आंकड़े, बढ़ती आय और डिजिटल पहुंच के विस्तार के कारण उम्मीद है कि म्युचुअल फंड घरेलू वित्तीय बचत में ज्यादा हिस्सेदारी आकर्षित कर सकते हैं।
बुलेटिन में कहा गया है, जैसे-जैसे भारत 10 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, इक्विटी फंड घरेलू बचत का आधार बन सकते हैं जो दीर्घकालिक पूंजी जुटाने के लिए महत्त्वपूर्ण जरिया हो सकते हैं।
रिपोर्ट में अपेक्षाकृत कम तरलता वाले बाजार क्षेत्रों में संकेंद्रण से पैदा होने वाले जोखिमों के प्रति भी आगाह किया गया है। इक्विटी फंडों के पास सामूहिक रूप से छोटे और मिड कैप वाले शेयरों में 14 लाख करोड़ रुपये से अधिक की हिस्सेदारी है जो उनकी कुल होल्डिंग की एक चौथाई से भी अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े पैमाने पर निकासी के हालात में तरलता का दबाव पूरे बाजार में फैल सकता है। साथ ही यह भी कहा गया है कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने ऐसी घटनाओं को रोकने के उपाय किए हैं।