म्युचुअल फंडों (एमएफ) की लार्जकैप और मिडकैप श्रेणियों में काट-छांट हुई है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) ने शेयरों के बाजार पूंजीकरण (एमकैप) के आधार पर इन श्रेणियों के लिए शेयरों की संशोधित सूची जारी की है। इंडियन होटल्स, सोलर इंडस्ट्रीज, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स उन 10 मिडकैप शेयरों में शामिल हैं, जो 1 अगस्त से म्युचुअल फंडों (एमएफ) की लार्जकैप श्रेणी में शामिल होने जा रहे हैं। एम्फी ने फंडों के लिए लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप श्रेणी में संशोधन किया है।
नुवामा अल्टरनेटिव ऐंड क्वांटीटेटिव रिसर्च के विश्लेषण के अनुसार 11 लार्जकैप शेयरों को मिडकैप श्रेणी में शामिल किया गया है। इनमें रेल विकास निगम, हीरो मोटोकॉर्प, इंडियन ओवरसीज बैंक और कमिंस इंडिया मुख्य रूप से शामिल हैं। मिडकैप सूची में और भी बदलाव हुए हैं। 9 स्मॉलकैप शेयरों को अपग्रेड किया गया है और दो नए शेयरों हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज और आईटीसी होटल्स को 150 शेयर वाले सूचकांक में जगह मिली है।
एम्फी हर साल जनवरी और जुलाई में लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की सूची में फेरबदल करता है। लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप जैसी एमकैप आधारित योजनाओं के लिए हर छमाही वर्गीकरण करना जरूरी है जिससे कि वे अपनी श्रेणी के नियम के तहत पोर्टफोलियो बना सकें।
संशोधन पिछले छह महीनों में प्रत्येक शेयर के औसत बाजार पूंजीकरण पर आधारित होता है। पिछले छह महीनों में एमकैप के लिहाज से शीर्ष 100 शेयरों को लार्जकैप के रूप में रखा जाता है। इसके बाद के 150 शेयर मिडकैप श्रेणी में जाते हैं। बाकी स्मॉलकैप बन जाते हैं।
अतीत में, जो शेयर ऊपर के सूचकांक में शामिल हुए हैं उनमें घोषणा के समय के आसपास नीचे के सूचकांकों में जाने वालों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन देखा गया है।
फ्लेक्सीकैप, मिडकैप, लार्जकैप, स्मॉलकैप, लार्ज ऐंड मिडकैप और मल्टीकैप की इक्विटी योजनाओं की संयुक्त एयूएम 22 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
इस बीच, 2025 के शुरुआती महीनों में गिरावट के कारण लार्जकैप और मिडकैप के लिए पात्र एमकैप कट-ऑफ में गिरावट आई है।
नुवामा की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पिछले छह महीनों में बाजार काफी अस्थिर रहा है। इस कारण दिसंबर 2024 के ऊंचे स्तर से बाजार पूंजीकरण कट-ऑफ स्तर में गिरावट आई है। लार्ज-कैप कट-ऑफ के लिए एम्फी का बाजार पूंजीकरण कट ऑफ अब 91,600 करोड़ रुपये है जो दिसंबर 2024 में 1 लाख करोड़ रुपये से कम है। मिड-कैप सीमा 30,800 करोड़ रुपये तक आ जाने की उम्मीद है। यह दिसंबर 2024 में 33,200 करोड़ रुपये से कम थी।’ पिछले चार वर्षों में लार्ज-कैप कट-ऑफ में यह पहली बड़ी गिरावट है।