म्युचुअल फंड

Mutual Fund में बरस रहा पैसा, 5 साल में AUM 335% बढ़कर ₹33 लाख करोड़ के पार

वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद घरेलू निवेशक भारत की आर्थिक प्रगति को लेकर आशावादी बने हुए हैं। यही भरोसा इक्विटी म्युचुअल फंड्स में लगातार इनफ्लो के रूप में नजर आ रहा है।

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अंशु   
Last Updated- August 31, 2025 | 5:12 PM IST

म्युचुअल फंड पर निवेशकों का भरोसा लगातार बढ़ता जा रहा है। इक्विटी म्युचुअल फंड्स का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) पिछले पांच साल में चार गुना से ज्यादा बढ़ गया है। ICRA एनालिटिक्स के आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई 2020 में जहां AUM ₹7.65 लाख करोड़ था, वहीं जुलाई 2025 तक यह 335.31% बढ़कर ₹33.32 लाख करोड़ तक पहुंच गया। निवेश (inflows) के मोर्चे पर भी बड़ा बदलाव देखने को मिला है। जुलाई 2020 में जहां इक्विटी म्युचुअल फंड्स से ₹3,845 करोड़ की निकासी (outflow) हुई थी, वहीं जुलाई 2025 में ₹42,673 करोड़ का शुद्ध निवेश (inflow) दर्ज किया गया।

SIP बना वोलैटिलिटी मैनेज करने का टूल

जुलाई 2025 में इक्विटी म्युचुअल फंड्स में निवेश सालाना आधार (YoY) पर 15.08% बढ़कर ₹42,673 करोड़ पर पहुंच गया, जबकि जुलाई 2024 में यह ₹37,082 करोड़ था। मासिक आधार (MoM) पर इनफ्लो में ग्रोथ और भी तेज रही। जून 2025 के ₹23,568 करोड़ के मुकाबले जुलाई में इनफ्लो 81.06% की तेजी से बढ़ा।

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ICRA एनालिटिक्स ने एक नोट में कहा, “एसआईपी (SIP) बाजार में उतार-चढ़ाव (volatility) को मैनेज करने का एक लोकप्रिय साधन बन गए हैं। यह निवेशकों को नियमित अंतराल पर तय रकम निवेश करने का मौका देते हैं, जिससे उन्हें रुपी कॉस्ट एवरेजिंग (rupee cost averaging) का फायदा मिलता है। यानी, जब दाम कम होते हैं तो ज्यादा यूनिट्स मिलते हैं और जब दाम ज्यादा होते हैं तो कम यूनिट्स मिलते हैं।”

घरेलू निवेशकों से म्युचुअल फंड को मिला दम

ICRA एनालिटिक्स के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट और हेड मार्केट डेटा अश्विनी कुमार ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में इक्विटी म्युचुअल फंड्स में तेजी से निवेश में बढ़ोतरी हुई है। निवेशक अब लंबी अवधि का नजरिया अपना रहे हैं और यह समझ रहे हैं कि अल्पकालिक उतार-चढ़ाव वेल्थ क्रिएशन की यात्रा का हिस्सा हैं। पुराने आंकड़े भी बताते हैं कि बाजार समय के साथ संभलते हैं और धैर्य रखने वाले निवेशकों को रिटर्न देते हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद घरेलू निवेशक भारत की आर्थिक प्रगति को लेकर आशावादी बने हुए हैं। यही भरोसा इक्विटी म्युचुअल फंड्स में लगातार इनफ्लो के रूप में नजर आ रहा है, भले ही बाजार में तेज उतार-चढ़ाव क्यों न हो।”

कहां बरस रहा पैसा?

सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में सबसे ज्यादा ₹9,426.03 करोड़ का निवेश दर्ज किया गया। रिटेल निवेशक नए ग्रोथ अवसरों और ज्यादा रिटर्न की तलाश में इन फंड्स में पैसा लगा रहे हैं। इसके बाद फ्लेक्सी कैप फंड्स में ₹7,654.33 करोड़ और स्मॉल कैप फंड्स में ₹6,484.43 करोड़ का इनफ्लो आया। आंकड़े बताते हैं कि निवेशक डायवर्सिफाइड एलोकेशन और बेहतर रिटर्न पाने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

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इक्विटी म्युचुअल फंड्स ने पारंपरिक सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स की तुलना में बेहतर रिटर्न भी दिए हैं। तीन साल की अवधि में सभी कैटेगरी में रिटर्न पॉजिटिव रहे। स्मॉल कैप फंड्स ने तीन साल में 22.56% और पांच साल में 31.70% का रिटर्न दिया, जबकि मिड कैप फंड्स ने क्रमशः 22.20% और 27.36% का रिटर्न दिया।

ICRA एनालिटिक्स के अनुसार, म्युचुअल फंड्स अलग-अलग जोखिम क्षमता (risk appetite) के हिसाब से स्कीमें पेश करते हैं। इनमें लार्ज-कैप और बैलेंस्ड फंड्स से लेकर सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स तक शामिल हैं, जिससे निवेशकों को पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन लाने और जोखिम को संभालने का अवसर मिलता है।

First Published : August 31, 2025 | 4:25 PM IST