म्युचुअल फंड

डेट फंड योजनाओं की एयूएम में तेजी

नए निवेश और मार्क-टु-मार्केट (एमटीएम) लाभ से इन योजनाओं की एयूएम को रफ्तार मिली है।

Published by
अभिषेक कुमार   
Last Updated- July 27, 2025 | 10:41 PM IST

डेट म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं में प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) पिछले वर्ष की तुलना में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के साथ 20 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े के पास पहुंचने वाली हैं। नए निवेश और मार्क-टु-मार्केट (एमटीएम) लाभ से इन योजनाओं की एयूएम को रफ्तार मिली है। इस एक साल में डेट फंडों की एयूएम इक्विटी फंडों की रफ्तार से ही बढ़ीं।

जून 2025 तक ऐक्टिव डेट फंडों ने 17.6 लाख करोड़ रुपये की एयूएम का प्रबंधन किया जबकि पैसिव डेट योजनाओं ने अन्य 2.1 लाख करोड़ रुपये का योगदान दिया। इस तरह से इनकी संयुक्त एयूएम 19.7 लाख करोड़ रुपये रही जो जून 2024 की 16.2 लाख करोड़ रुपये की एयूएम की तुलना में 21 फीसदी तक अधिक है। यह सुधार तीन साल की कमजोर वृद्धि के बाद आया है। जून 2023 और जून 2024 के बीच डेट फंडों की एयूएम केवल 5 प्रतिशत बढ़ीं।

 विश्लेषकों का मानना है कि एयूएम में ताजा तेजी का श्रेय बेहतर रिटर्न और कॉरपोरेट बॉन्ड जैसे डेट मार्केट के कुछ सेक्टरों में बेहतर संभावनाओं की उम्मीद पर हुए मजबूत निवेश को दिया जा सकता है। बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त तरलता ने भी लिक्विड और अन्य अल्पकालिक फंडों में ज्यादा पैसा पहुंचाया है।

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया में वरिष्ठ विश्लेषक (मैनेजर रिसर्च) नेहल मेश्राम ने कहा, ‘2024 के कठिन समय के बाद निश्चित आय श्रेणी में 2025 की पहली छमाही में पहले ही 1.21 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हो चुका है जो संभावित ढांचागत बदलाव का संकेत मिलता है।’

जून 2024 और जून 2025 के बीच मनी मार्केट फंडों ने 86,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की परिसंपत्तियां जोड़कर बढ़त हासिल की। लिक्विड फंडों ने लगभग 80,000 करोड़ रुपये और कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों ने लगभग 53,000 करोड़ रुपये का निवेश किया। लंबी अवधि के बॉन्डों के लिए फायदेमंद रहा ब्याज दरों में कटौती का दौर अब शायद खत्म हो चुका है और निवेशकों का रुझान छोटी अवधि की योजनाओं की ओर बढ़ा है।

 एसबीआई एमएफ ने इस महीने के शुरू में जारी रिपोर्ट में कहा था, ‘हाई-ग्रेड बॉन्डों और चुनिंदा क्रेडिट पर अल्पावधि के स्प्रेड आकर्षक बने हुए हैं। वैश्विक अस्थिरता से बाजार की उम्मीदों पर असर पड़ने की आशंका है। इसलिए ड्यूरेशन (अवधि) से जुड़ी रणनीतियों को चुस्त-दुरुस्त रखना होगा। शॉर्ट अवधि वाले हाई-ग्रेड के बॉन्ड फंड आने वाले महीनों और अगले साल दोनों में ज्यादा रकम, अधिक स्प्रेड और अधिक उपयुक्त रिस्क-रिवार्ड प्रोफाइल मुहैया कराते रहेंगे।’

First Published : July 27, 2025 | 10:41 PM IST