पिछले एक साल के दौरान आईपीओ में निवेश करने वाली कई म्युचुअल फंड योजनाएं लंबे समय तक निवेश बनाए रखने में सफल साबित नहीं हुईं।
पिछले एक साल के दौरान (30 जून तक) आईपीओ के लिए आवदन करने वाली 1,051 म्युचुअल फंड योजनाओं में से सिर्फ 582 ही सूचीबद्घता के बाद शेयर बरकरार रखने में सफल रहीं। इसका मतलब है कि 469, या 45 प्रतिशत योजनाएं सूचीबद्घता के एक साल के अंदर बाहर हो गईं। घरेलू ब्रोकरेज फर्म वेंचुरा सिक्योरिटीज के आंकड़े से पता चलता है कि निप्पॉन एमएफ ने पिछले एक साल में आए 36 आईपीओ में से 23 के लिए आवेदन किया था, जो इस संदर्भ में फंड हाउसों में सर्वाधिक आंकड़ा था। पिछले एक साल में आए कुल आईपीओ में 72 प्रतिशत तेजी के साथ सूचीबद्घ हुए थे जबकि 28 प्रतिशत गिरावट के साथ खुले।
योजनाओं की संख्या के संदर्भ में पिछले साल जिन शीर्ष पांच आईपीओ में म्युचुअल फंडों ने आवेदन किया था, उनमें ग्लैंड फार्मा (113 योजनाएं), सीएमएमएस (84), सोना बीएलडब्ल्यू प्रेसीजन फॉर्जिंग्स (80), रोसारी बायोटेक (72), और इंडिगो पेंट्स (65) शामिल थे। जून में जारी आईपीओ में से एमएफ योजनाओं ने 9 से अपना निवेश निकाला। चूंकि प्रमख निवेशक एक महीने में अपना आईपीओ निवेश नहीं बेच सकते, इसलिए जून में जारी आईपीओ को अगले महीने या उसके बाद में ही बेचा जा सका।
एडलवाइस अल्टरनेटिव रिसर्च के आंकड़े से पता चलता है कि शानदार एमएफ भागीदारी दर्ज करने वाले कुछ ताजा आईपीओ में जोमैटो (44.5 अरब रुपये का निवेश आकर्षित किया), जीआर इन्फ्रा (10.8 अरब रुपये), तत्व चिंतन फार्मा (2.1 अरब रुपये) और रोलेक्स रिंग्स (1.42 अरब रुपये)
शामिल हैं।