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ITC के होटल डिवीजन को अलग कर एक स्वतंत्र सूचीबद्ध कंपनी बनाए जाने से बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। कंपनी ने अप्रैल 2005 में सूचीबद्ध ITC होटल्स को अपने साथ विलय किया था। इसके बाद तंबाकू, पर्सनल केयर, रेडी टु ईट फूड, पेपर एवं पैकेजिंग, फूड एंड एग्री प्रोडक्ट्स और होटल जैसी श्रेणियों में मजबूत पहुंच के साथ उसने खास एवं विविध पहचान बनाई थी। इससे पहले कंपनी ने अप्रैल 2002 में अपने साथ ITC भद्रचलम पेपरबोर्ड्स का विलय भी किया था।
मौजूदा डीमर्जर से ITC की ऐतिहासिक विकास रणनीति में विपरीत बदलाव का संकेत मिलता है। कंपनी मुनाफे पर जोर देना चाहती है, लेकिन FMCG, होटल और पेपर, पेपरबोर्ड एवं पैकेजिंग जैसे अन्य व्ययवसायों में निवेश के लिए तंबाकू व्यवसाय में धीमी वृद्धि दर्ज की जा सकती है।
उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2023 में FMCG -सिगरेट खंड ने ITC के समेकित पीबीआईटी में 75 प्रतिशत का योगदान दिया और यह 18,883 करोड़ रुपये पर रहा, लेकिन इस खंड का कंपनी द्वारा किए गए कुल पूंजीगत खर्च में सिर्फ 6 प्रतिशत योगदान था। करीब 20 प्रतिशत पूंजीगत खर्च (589 करोड़ रुपये) होटल खंड के लिए, जबकि पेपर, पेपर बोर्ड और पैकेजिंग डिवीजन में अन्य 25 प्रतिशत खर्च किया गया।
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पिछले 10 वर्षों में, ITC ने पूंजीगत खर्च पर कुल 24,095 करोड़ रुपये व्यय किए, जिसमें से 30 प्रतिशत (7,436 करोड़ रुपये) गैर-सिगरेट एफएमसीजी, 25 प्रतिशत (6,348 करोड़ रुपये) होटल के लिए और 22 प्रतिशत (या 5,560 करोड़ रुपये)पेपर और पेपरबोर्ड डिवीजन में निवेश किए गए थे।
होटल खंड के डीमर्जर के बाद विश्लेषकों को ITC के मुक्त नकदी प्रवाह में सुधार आने का अनुमान है। होटल व्यवसाय कंपनी के बड़े नकदी प्रवाह से जुड़ा हुआ है, लेकिन उसके कुल राजस्व एवं आय में इसका काफी कम योगदान रहा है। वित्त वर्ष 2023 में, ITC के समेकित राजस्व और पीबीआईटी में होटल डिवीजन का योगदान महज 3.5 प्रतिशत और 2.2 प्रतिशत रहा।
डीमर्जर की वजह से मुक्त नकदी प्रवाह में वृद्धि ITC द्वारा लाभांश में तेजी की वजह से दर्ज किए जाने की संभावना है, जो उसके शेयरधारकों के लिए सकारात्मक है। डीमर्जर से ITC का आरओई (पूंजी पर प्रतिफल) और आरओसीई (नियोजित पूंजी प प्रतिफल) में सुधार आ सकता है, जिस पर होटल खंड की वजह से दबाव देखा गया था, क्योंकि वह नकदी से जुड़ा हुआ था और कमजोर मुनाफा एवं प्रतिफल अनुपात अन्य समस्या थी। ITC मूल्यांकन के लिए यह सकारात्मक है, जो हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) और नेस्ले (Nestle) जैसे FMCG प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले लगातार नीचे कारोबार कर रहा है।
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जेफरीज के विश्लेषकों ने डीमर्जर के बारे में अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ‘ऊंचा पूंजीगत खर्च (होटल डिवीजन में) निवेशकों के लिए हमेशा से समस्या का कारण रहा है। उदाहरण के लिए, पिछले 5/10/15/20 वर्षों में, औसत सालाना मुक्त नकदी प्रवाह (एफसीएफ) 150-300 करोड़ रुपये के दायरे में नकारात्मक रहा। आरओसीई भी कई वर्षों से एक अंक में बना हुआ है, जो पूंजी की लागत से नीचे है।’
इस डीमर्जर से राजस्व और परिसंपत्ति आधार के संदर्भ में भारत का दूसरा सबसे बड़ा हॉस्पिटैलिटी समूह तैयार होगा और यह उद्योग दिग्गज इंडियन होटल्स कंपनी से बड़ा होगा। वित्त वर्ष 2023 में ITC के होटल खंड ने 2,689 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया, जबकि इंडियन होटल कंपनी (IHCL) ने पिछले वित्त वर्ष में 5,810 करोड़ रुपये की शुद्ध बिक्री दर्ज की।