आईपीओ

आईपीओ में पिछले साल जैसी दिलचस्पी नहीं

इस साल के पहले 28 आईपीओ में औसतन केवल 12.2 लाख रिटेल आवेदन आए हैं, जो 2024 में 91 आईपीओ में आए 19 लाख आवेदनों के मुकाबले 35.5 प्रतिशत कम है।

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सुन्दर सेतुरामन   
Last Updated- July 13, 2025 | 10:01 PM IST

पिछले साल सार्वजनिक निर्गमों (आईपीओ) में व्यक्तिगत निवेशकों की जिस तरह की दिलचस्पी नजर आई थी, वह 2025 में गायब है।  कम से कम आवेदनों की संख्या से यही झलकता है। इस साल के पहले 28 आईपीओ में औसतन केवल 12.2 लाख रिटेल आवेदन आए हैं, जो 2024 में 91 आईपीओ में आए 19 लाख आवेदनों के मुकाबले 35.5 प्रतिशत कम है। अमीर लोगों यानी ‘एचएनआई’ की भागीदारी में भी गिरावट आई है जो प्रति निर्गम 31 प्रतिशत कम है।

जनवरी के बाद गिरावट शुरू हुई। उस महीने रिटेल बोलियों का औसत 32 लाख था, लेकिन फरवरी और जून के बीच यह घटकर केवल 7,80,000 रह गया। इसी अवधि में एचएनआई आवेदन 235,000 से घटकर 71,500 रह गए। हाल में आए 8 आईपीओ तो 10,000 एचएनआई आवेदन भी आकर्षित नहीं कर पाए। बाजार पर नजर रखने वाले जानकार लिस्टिंग के दिन के निराशाजनक प्रदर्शन और बड़े नामों वाले आईपीओ के अभाव को इस गिरावट का कारण बता रहे हैं।  

प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, ‘छोटे निवेशक सामान्य तौर पर लिस्टिंग के दिन के फायदे के हिसाब को ध्यान में रखकर आईपीओ पर दांव लगाते हैं। वे ग्रे मार्केट प्रीमियम पर नजर रखते हैं और उसी हिसाब से निर्णय लेते हैं। बाजार नियामक सेबी के एक अध्ययन में इसकी पुष्टि हुई है। जब बाजार में तेजी रहती है तो वे फायदे की उम्मीद करते हैं। लेकिन जब ऐसा नहीं होता तो वे पीछे हट जाते हैं। इस साल की शुरुआत में हुई गिरावट के कारण लिस्टिंग लाभ पिछले साल जैसा नहीं रहा, जिस से रिटेल और एचएनआई कारोबार में गिरावट आई है।’

सेबी के सितंबर 2024 के एक अध्ययन से पता चलता है कि रिटेल निवेशकों को आवंटित 42.7 प्रतिशत शेयर एक सप्ताह के भीतर ही बिक गए। अमीर निवेशकों के लिए यह आंकड़ा और भी ज्यादा (63.3 प्रतिशत) था। इस साल आईपीओ ने पहले दिन औसतन सिर्फ 13 प्रतिशत का लाभ दिया है जो पिछले साल के 30 प्रतिशत के आधे से भी कम है। कई मामलों में निवेशकों ने पहले ही दिन घाटा दर्ज किया है।  

व्यापक बाजार ने आईपीओ के प्रति रिटेल निवेशकों के उत्साह बढ़ाने में न के बराबर योगदान दिया है। कमजोर आय, अमेरिकी टैरिफ अनिश्चितता और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी के कारण हुई वैश्विक बिकवाली ने शेयर बाजार को नीचे धकेल दिया। मार्च दो साल में पहला ऐसा महीना रहा, जब एक भी आईपीओ नहीं आया। अमेरिका के टैरिफ वृद्धि पर रोक लगाने और भारतीय रिजर्व बैंक के ब्याज दरों में कटौती शुरू करने के बाद ही बाजार में सुधार हुआ जिससे अप्रैल के निचले स्तर से बाजार में 15 प्रतिशत की उछाल आई। मई और जून के बीच 14 आईपीओ आए जिनसे 26,671 करोड़ रुपये जुटाए गए।

एचडीबी फाइनैंशियल सर्विसेज, क्रिजैक और एलेनबैरी इंडस्ट्रियल गैसेज सहित कुछ नई लिस्टिंग ने पहले दिन ही अच्छा लाभ दिया है। इस आधार पर बैंकरों का कहना है कि लोगों की दिलचस्पी फिर से बढ़ सकती है। उनका यह भी तर्क है कि हालांकि आवेदनों का आकार कम हुआ है लेकिन खुदरा तरलता बरकरार है।

सेंट्रम कैपिटल में निवेश बैंकिंग पार्टनर प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा, ‘म्युचुअल फंडों की व्यवस्थित निवेश योजनाओं (एसआईपी) में निरंतर योगदान को देखते हुए बाजारों में खुदरा भागीदारी मजबूत बनी हुई है। इससे लगता है कि आईपीओ में भागीदारी भी मजबूत हो सकती है। आवेदनों की संख्या भले ही कम हो, लेकिन उनकी वैल्यू पिछले साल के बराबर ही है।’

First Published : July 13, 2025 | 10:01 PM IST