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बाजार की चाल से अटके IPO

बाजार के उतारचढ़ाव ने कई कंपनियों को पूंजी बाजार नियामक की मंजूरी के बावजूद अपने आईपीओ की योजना ठंडे बस्ते में डालनी पड़ी

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सुन्दर सेतुरामन
Last Updated- December 28, 2022 | 12:22 AM IST

साल 2022 में 59 कंपनियों ने अपने-अपने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के जरिए कुल मिलाकर 59,332 करोड़ रुपये जुटाए। हालांकि रकम जुटाने की अपनी योजना को मूर्त रूप देने के मामले में हर कोई सौभाग्यशाली नहीं रहा। बाजार के उतारचढ़ाव ने कई कंपनियों को पूंजी बाजार नियामक की मंजूरी के बावजूद अपने आईपीओ की योजना ठंडे बस्ते में डालनी पड़ी।

सेबी की अंतिम मंजूरी के बाद एक साल के भीतर कंपनी को अपना आईपीओ पेश करना होता है। साल 2022 में 28 ऐसी मंजूरी ठंडे बस्ते में चली गई। कुल मिलाकर ठंडे वस्ते में आईपीओ योजना भेजने वाली कंपनियां 38,828 करोड़ रुपये जुटाती। अकेले दिसंबर में एक्सपायर हुए पेशकश दस्तावेज से 10,350 करोड़ रुपये जुटाए जाते।

उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि कुछ कंपनियों की योजना पेशकश दस्तावेज (डीआरएचपी) दोबारा जमा कराने की है ताकि सूचीबद्ध‍ता को लेकर उनके पास एक बार फिर मंजूरी रहे। इस बीच, कुछ कंपनियां पूंजी जुटाने के वैकल्पिक रास्ते तलाश रही है। गो फर्स्ट, वन मोबिक्विक सिस्टम्स, ईएसएएफ स्मॉल फाइनैंस बैंक, वीएलसीसी हेल्थकेयर, स्टरलाइट पावर ट्रांसमिशन और केवेंटर एग्रो जैसी कंपनियों ने मंजूरी के बावजूद अपना-अपना पेशकश दस्तावेज एक्सपायर होने दिया।

डीआरएचपी प्राथमिक विवरणिका होती है, जिसे आईपीओ से पहले सेबी के पास जमा कराया जाता है। इस दस्तावेज में कंपनी की अहम जानकारी मसलन पेशकश शेयरों की संख्या, वित्तीय नतीजे और जोखिम के कारक आदि शामिल होती है। बैंकरों ने कहा कि भारी उतारचढ़ाव की वजह से काफी कंपनियों ने रकम जुटाने के लिए अपनी आईपीओ योजना टाल दी। हालांकि भारतीय इक्विटी साल 2022 में प्रदर्शन के लिहाज से काफी उम्दा रहा है। पर साल 2022 की विशेषता भारी उतारचढ़ाव की रही है।

डैम कैपिटल एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी धर्मेश मेहता ने कहा, उतारचढ़ाव के बावजूद कुछ सौदे हुए। फरवरी में सिर्फ एक आईपीओ आया। जून व जुलाई में कोई इश्यू नहीं आया। अनिश्चितता के माहौल में आप बड़ा आईपीओ नहीं उतार सकते। आईपीओ को बाजार में उतरने में समय लगता है। इसमें कम से कम सात से नौ महीने लगते हैं। कई कारण मसलन विश्व के केंद्रीय बैंकों की तरफ से ब्याज बढ़ोतरी, रुपये में कमजोरी, वैश्विक मंदी की आशंका और जिंसों की कीमतों में तेजी ने निवेशकों को परेशान रखा और साल के सौदों पर इसका असर दिखा।

इस साल विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक बिकवाल रहे हैं। एफपीआई ने 1.21 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे। बैंकरों ने कहा कि पिछले साल तब डीआरएचपी जमा कराए गए थे जब बाजार मजबूत था और मूल्यांकन बेहतर थे। बैंकरों ने कहा कि पिछले साल दस्तावेज जमा कराने वाले प्रवर्तकों को अपनी उम्मीद में कमी लानी होगी। इसके अतिरिक्त कुछ क्षेत्र अब निवेशकों की पसंदीदा नहीं हैं और इन क्षेत्रों के निवेशकों के हिसाब से फर्मों का मूल्यांकन भी बेहतर नहीं है, जिसका अनुमान वे लगा रहे थे। इसके परिणामस्वरूप कई सुस्त मूल्यांकन में बेचने के बजाय इंतजार करना पसंद करेंगे।

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किसी कंपनी का आईपी​ओ बाजार में उतरना बड़ी घटना होती है। कंपनियां चाहती हैं कि आईपीओ पेश करते समय बाजार के हालात अनुकूल हों। अन्यथा वे डीआरएचपी एक्सपायर होते देखना पसंद करते हैं जब उनके मनमुताबिक मूल्यांकन नहीं होता। बैंकरों ने कहा कि अगला साल आईपीओ के लिए काफी शोर-शराबा भरा होगा। मेहता ने कहा, यह चुनौतीपूर्ण होगा लेकिन हम अगले साल कुछ बड़े सौदे देखेंगे। यह इस पर निर्भर करेगा कि वैश्विक बाजार के हालात कैसे रहते हैं।

First Published : December 27, 2022 | 11:33 PM IST