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अच्छे लाभ के लिए करें विदेशों में निवेश

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 5:03 AM IST

पिछली तिमाही में अधिकांश इक्विटी फंड का प्रदर्शन निराशजनक रहा वहीं विदेशों में निवेश करनेवाली म्युचुअल फंड की स्कीम ने अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन किया है।


मौजूदा दौर में इन फंडों की संख्या लगभग 20 ही है। ये सभी फंड पिछले साल लांच किए गए थे, जब भारतीय बाजार में कारोबार जम के हो रहा था।

अगर आंकड़ों की बात करें तो पांच फंड, बिरला सनलाइफ इंटरनेशनल इक्विटी प्लान ए, डीडब्ल्यूएस ग्लोबल थीमेटिक ऑफशोर फंड, डीएसपी मेरिल लिंच वर्ल्ड गोल्ड फंड, प्रिंसिपल ग्लोबल ऑपरच्युनिटीज और सुंदरम बीएनपी परिवास ग्लोबल एडवांटेज का प्रदर्शन बढ़िया रहा और इन्होंने 1 से लेकर 10 फीसदी सालाना रिटर्न दिया।

ये सभी फीडर फंड हैं जो कि अपने पैतृक एसेट मैनेजमेंट कंपनी के म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं या विदेशों में कारोबार करने वाले फंड में निवेश करते हैं। इसके अलावा ये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एसेट अंडर मैनेजमेंट के 65 प्रतिशत से अधिक हिस्से पर  निवेश करते हैं। गौर करनेवाली बात यह है कि ऐसे फंडों को घाटा हुआ है जोकि अपने एसेट मैंनेजमेंट का सिर्फ 35 प्रतिशत भारत में निवेश करते हैं।

उदाहरण के लिए एबीएन एमरो चाइना-इंडिया फंड में 27.65 प्रतिशत की गिरावट आई, वहीं बिरला सन लाइफ इंटरनेशनल इक्विटी प्लान बी और डीबीएस चोला ग्लोबल एडवांटेज में क्रमश: 25.57 और 31.86 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि इस तरह की गिरावट के वाबजूद इन फंडों ने सतत खुले विशाखित फंडों की अपेक्षा अच्छा प्रदर्शन किया जोकि 32.55 प्रतिशत की गिरावट के साथ औंधे मुंह गिरा।

विदेशों में अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए कई फंड हाउस ऐसे और फंड लाने की योजना पर काम कर रहें हैं जो विदेशों में निवेश करते हैं। इनमें से आईएनजी लैटिन अमेरिका फंड, यूटीआई ग्लोबल इमर्जिंग मार्केटिंग फंड, आईएनजी यूएस ऑपरच्युनिस्टिक फंड और बेंचमार्क ग्लोबल थीम फंड ऐसे फंड हाउस हैं जो जल्द ही इस तरह के फंड को बाजार में उतारने की योजना बना रहें हैं।

सेबी की वेबसाइट देखें तो इसमे कहा गया है कि भारतीय निवेशकों में उतनी विविधता नहीं हैं होती जितनी कि दूसरे देशों के निवेशकों में होती है। आईएनजी इनवेस्टमेंट मैंनेजमेंट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनीत वोहरा ने कहा कि एक अच्छे पोर्टफोलियों के पास कम से कम 16 एसेट क्लासेज हो सकते हैं जोकि इस बात पर निर्भर करता है कि निवेशक किस हद तक रिस्क लेने को तैयार रहते हैं।  उन्हें वह प्रदान किया जाता है।

ग्लोबल फंड की हालत हालांकि अच्छी नहीं रही है क्योंकि फंड आरबीआई द्वारा तय किए गए उंची निवेश सीमा का लाभ नहीं उठा पाते हैं। म्युचुअल फंडों को विदेशों में सात अरब डॉलर तक निवेश करने की छूट है, लेकिन इसके बावजूद इन फंडों ने विदेशों में अभी तक सिर्फ 5,000 करोड़ रुपये ही निवेश किए हैं। इसका कारण यह हो सकता है कि भारतीय  बाजार में निवेश करने के बाद निवेशकों को साल में 40 प्रतिशत तक का रिटर्न मिल रहा था।

यूनिटीज टावर हेल्थ एडवाजर्स के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी निपुण मेहता ने कहा कि जब बाजार की हालत अच्छी होती है तब निवेशक ग्लोबल फंड में निवेश डि-रिस्कींग रणनीति केतौर पर करते हैं लेकिन जब बाजार की हालत खस्ता होती है तब लोग बिल्कुल निवेश करना नहीं चाहते हैं।

First Published : June 12, 2008 | 10:12 PM IST