शुक्रवार को दिन के कारोबार में इन्फोसिस का शेयर 3 प्रतिशत गिरकर 1,379.79 रुपये पर आ गया, जो बीएसई में उसका चार महीने का सबसे निचला स्तर है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 के लिए स्थिर मुद्रा (सीसी) के लिहाज से 1 से 3 प्रतिशत राजस्व वृद्धि का अनुमान जताया है। इसी के बाद उसके शेयर में यह गिरावट देखी गई।
हालांकि शेयर 0.63 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,411.60 रुपये पर बंद हुआ जो 13 नवंबर 2023 के बाद से उसका सबसे निचला स्तर है। इस दौरान बीएसई का सेंसेक्स 0.83 प्रतिशत चढ़कर 73,088 पर बंद हुआ। इन्फोसिस 6 फरवरी 2024 को बनाए गए अपने 1,731 के 52 सप्ताह के ऊंचे स्तर से 18.5 प्रतिशत गिर चुका है। वित्त वर्ष 2025 में सुस्त राजस्व वृद्धि के अनुमान के बावजूद कंपनी प्रबंधन मार्जिन में तेजी को लेकर आशान्वित है और उसने अपने पहले के अनुमान को 20-22 प्रतिशत के दायरे में कायम रखा है।
इस बीच, वित्त वर्ष 2024 में इन्फोसिस के कर्मियों की संख्या 25,994 घट गई जो वर्ष 2001 से इस आईटी सेवा दिग्गज के लिए कर्मचारियों की संख्या में पहली बड़ी गिरावट है। विश्लेषकों के अनुसार वित्त वर्ष 2025 के लिए इन्फोसिस का कमजोर अनुमान और कर्मियों की घटती संख्या से दबाव का संकेत मिलता है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज (एमओएफएसएल) का कहना है कि वृहद आर्थिक स्तर पर सुधारों में सतर्कता की वजह से डिस्क्रेशनरी खर्च में लगातार कमजोरी के बीच इन्फोसिस ने वित्त वर्ष 2025 के लिए सालाना आधार पर 1 से 3 प्रतिशत की राजस्व वृद्धि का अनुमान जताया है, जो हमारे अनुमानों से काफी कम है।
हालांकि सौदे हासिल होने से मध्यावधि में वृद्धि परिदृश्य को मदद मिल सकती है। एमओएफएसएल ने अपने रिजल्ट अपडेट में कहा कि उसने अपना मार्जिन अनुमान बरकरार रखा है लेकिन मध्यावधि में संभावित तेजी लगातार दिख रही है जिसे हम उत्साहजनक मान रहे हैं।
अल्पावधि कमजोरी के बावजूद ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि इन्फोसिस मध्यावधि में आईटी खर्च में तेजी की मुख्य लाभार्थी होगी। एमओएफएसएल का मानना है कि कंपनी वित्त वर्ष 2025 में 21.1 प्रतिशत का एबिट मार्जिन दर्ज करेगी जो सालाना आधार पर 40 आधार अंक तक अधिक है। अगले दो साल में कंपनी का एबिट मार्जिन सुधरकर वित्त वर्ष 2026 में 22.2 प्रतिशत पर पहुंचना चाहिए जिससे वित्त वर्ष 2024-26 अनुमानित के दौरान 12 प्रतिशत पीएटी सीएजीआर को बढ़ावा मिलेगा।
वित्त वर्ष 2024 में अब तक की सबसे अधिक डील टोटल कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू (टीसीवी) दर्ज करने के बावजूद कंपनी ने सालाना आधार पर 1 से 3 प्रतिशत का मामूली राजस्व अनुमान जताया है। प्रभुदास लीलाधर के विश्लेषक का मानना है कि डिस्क्रेशनरी खर्च में कमजोरी और निर्णय लेने में देरी के कारण वित्त वर्ष 2025 में सौदों को अंतिम रूप देना चुनौतीपूर्ण रहेगा।
ब्रोकरेज फर्म ने अपने रिजल्ट अपडेट में कहा, ‘हमारा मानना है कि डिस्क्रेशनरी खर्च पर कंपनी की निर्भरता से क्रियान्वयन संबंधी चुनौतियां बढ़ रही हैं और अल्पावधि वृद्धि प्रभावित हो रही है। हमारा मानना है कि मौजूदा वृहद परिवेश अनुकूल नहीं है जिससे अल्पावधि समस्याओं को बढ़ावा मिल रहा है।’ बीएनपी पारिबा सिक्योरिटीज इंडिया के विश्लेषक के अनुसार इन्फोसिस के बीएफएसआई सेगमेंट में सुधार का अनुमान है जो राजस्व वृद्धि और मार्जिन के लिए एक मुख्य कारक होगा।