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भारतीय बाजार कर सकते हैं कमजोर प्रदर्शन: सी जे जॉर्ज

अमेरिका में बैंक बंद होने के बाद संकट गहराया है और इससे पिछले सप्ताह के दौरान इ​क्विटी निवेश धारणा प्रभावित हुई। समस्या अमेरिका में ऊंची ब्याज दरों को लेकर भी पैदा हुई है। जियोजित फाइनैं​शियल सर्विसेज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्या​धिकारी सी जे जॉर्ज ने निकिता व​शिष्ठ के साथ साक्षात्कार में बताया कि 2023 में महंगे मूल्यांकन की वजह से भारत वै​श्विक प्रतिस्प​र्धियों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन कर सकता है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

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निकिता वशिष्ठ
Last Updated- March 20, 2023 | 8:32 PM IST

अमेरिका और यूरोप में नियामक द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बावजूद बाजार सतर्क है। मुख्य चिंता क्या है?

ऊंची अमेरिकी ब्याज दर की आशंका से भी समस्या बढ़ी है और दरें ऊंची बने रहने का अनुमान है। ऊंचे प्रतिफल की वजह से इ​क्विटी और डेट परिसंप​त्तियों के मूल्य प्रभावित होंगे। इसका प्रत्यक्ष परिणाम वित्त क्षेत्र पर पड़ेगा, लेकिन व्यापक तौर पर अर्थव्यवस्था भी इसकी चपेट में आ सकती है। इससे इ​क्विटी/बॉन्ड, और मुद्रा बाजारों में चिंता पैदा हो रही है। भारत में कंपनियों के ऊंचे मूल्यांकन में नरमी आ रही है। बाजार संभावित आ​र्थिक मंदी, आय वृद्धि में कमी की आशंका जता रहा है। हालांकि दीर्घाव​धि निवेशकों को चिंतित नहीं होना चाहिए।

अगली एक से तीन तिमाहियां अच्छी कंपनियों के शेयर खरीदने के लिहाज से अच्छा समय साबित होंगी। अमेरिकी बैंकिंग क्षेत्र में समस्याओं को देखते हुए मौद्रिक नीति थोड़ी कम सख्त होगी।

2023 में इ​क्विटी बाजार का प्रदर्शन कैसा रहेगा? क्या विकसित बाजारों (डीएम) का प्रदर्शन उभरते बाजारों (ईएम) के मुकाबले अच्छा रहेगा?

हम 2023 के लिए इ​क्विटी बाजार पर तटस्थ नजरिया बनाए हुए हैं, और विकसित दुनिया तथा अन्य उभरते बाजारों के मुकाबले भारत अपने महंगे मूल्यांकन और मंदी की आशंका की वजह से कमजोर प्रदर्शन कर सकता है।

2023 की दूसरी छमाही और कैलेंडर वर्ष 2024 कम सख्त मौद्रिक नीतियों की वजह से बेहतर रहने का अनुमान है। जैसे ही भारत के ऊंचे मूल्यांकन में कमी आएगी, ज्यादा गिरावट की आशंका दूर होगी। मैं गिरावट पर खरीदारी की सलाह देना चाहूंगा, क्योंकि डीएम और अन्य ईएम के मुकाबले भारत मध्याव​धि-दीर्घाव​धि आधार पर बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।

क्या छोटे निवेशक गिरावट पर खरीदारी कर रहे हैं?

कैश सेगमेंट में रिटेल निवेशकों द्वारा प्रत्यक्ष निवेश लगातार धीमा बना रहेगा। हालांकि म्युचुअल फंडों के जरिये निवेश मजबूत है और यह एक बेहद मजबूत ट्रेंड है। नए ​कारोबारियों (जिनकी संख्या कोविड-19 के दौरान तेजी से बढ़ी) द्वारा कारोबार घटा है, जबकि दीर्घाव​धि निवेशक ‘गिरावट पर खरीदें’ रणनीति पर ध्यान दे रहे हैं। बाजार के कैश सेगमेंट में औसत दैनिक कारोबार कैलेंडर वर्ष 2023 में अब तक सालाना आधार पर एक-तिहाई से ज्यादा घटी है।

मौजूदा समय में सही निवेश रणनीति क्या होनी चाहिए?

हम निवेशक की जो​खिम सहन करने की क्षमता के आधार पर संतुलित पोर्टफोलियो की सलाह दे रहे हैं, जिसमें इ​क्विटी में 40 से 60 प्रतिशत निवेश शामिल हो। मौजूदा समेकन से दीर्घाव​धि निवेशकों के लिए रिस्क-रिवार्ड सुधरा है। बाजार में उतार-चढ़ाव अल्पाव​धि में बना रह सकता है और निवेशक अपने जो​खिम प्रोफाइल के हिसाब से 2023 के अंत तक इ​क्विटी में निवेश 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत कर सकते हैं।

हमने फार्मा, बिजली (अक्षय ऊर्जा), इन्फ्रा, निर्माण और एफएमसीजी में निवेश का सुझाव दिया है। हालांकि लू और अल नीनो से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए हमने निवेशकों को एफएमसीजी क्षेत्र में निवेश घटाने का सुझाव दिया है। इसके अलावा हम कुछ हद तक दीर्घाव​धि के नजरिये से आईटी और केमिकल शेयरों पर सकारात्मक हैं।

जियोजित फाइनैं​शियल सर्विसेज अपनी सिर्फ 20 प्रतिशत आय एफऐंडओ सेगमेंट से प्राप्त करती है। वह इस सेगमेंट पर ज्यादा सतर्क क्यों है?

हम एफऐंडओ ट्रेडिंग से जुड़े जो​खिम से अवगत हैं। हमने ऐसा रास्ता चुना है जो हमारे ग्राहकों के लिए लाभकारी है, खासकर उनके लिए, जो पहली बार बाजार में प्रवेश करते हैं। हमने रिलेशन​शिप मैनेजरों को गैर-जरूरी निवेश योजनाओं के पीछे भागने से रोकने के लिए डेरिवेटिव ब्रोकरेज आय के ​लिए कर्मचारी इंसेंटिव में 50 प्रतिशत तक की कमी की है।

First Published : March 20, 2023 | 8:32 PM IST