म्युचुअल फंड उद्योग ने साल 2020 में 60 लाख नए निवेशक जोड़े, जो 2021 में जोड़े गए निवेशकों के मुकाबले करीब 33 फीसदी कम है।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI के आंकड़े बताते हैं कि शुद्ध रूप से खातों का जुड़ाव पिछले साल के मुकाबले 19 फीसदी घटा। निवेशकों की संख्या का मतलब है विभिन्न फंड हाउस के यहां पंजीकृत पैन (स्थायी खाता संख्या) की कुल संख्या और फोलियो यानी खाते का मतलब है विभिन्न योजनाओं में निवेशकों के सक्रिय खातों की संख्या।
पिछले साल इक्विटी बाजार एक दायरे में रहा क्योंकि विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से रिकॉर्ड निवेश निकासी की। सेंसेक्स में इस अवधि में 5.78 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई और निफ्टी 4.33 फीसदी चढ़ा। साल 2021 में इनमें क्रमश: 20 फीसदी व 24 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई थी।
साल 2021 में बाजार में खासी बढ़त के कारण उद्योग ने नए निवेशक जोड़े और खातों की संख्या रिकॉर्ड रफ्तार से बढ़ी। इस साल उद्योग की रफ्तार पर भारी उतारचढ़ाव और सुस्त रिटर्न का असर पड़ा।
नए खातों के जुड़ाव पर इसलिए भी असर पड़ा क्योंकि अग्रणी फंड हाउस की तरफ से नए फंड ऑफर (एनएफओ) का अभाव रहा। म्युचुअल फंड वितरकों के मुताबिक, बड़े फंड हाउस की तरफ से फंडों की पेशकश से नए निवेशकों को जोड़ने में मदद मिलती है क्योंकि आक्रामक विपणन और बिक्री की रणनीति उस समय अपनाई जाती है।
साल 2022 में प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 7 फीसदी बढ़ी और दिसंबर 2021 के 37.9 लाख करोड़ रुपये के औसत के मुकाबले दिसंबर 2022 में यह बढ़कर 40.8 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई।