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इक्विटी फंडों में निवेश में सुधार

Published by
अभिषेक कुमार
Last Updated- January 11, 2023 | 12:39 AM IST

सक्रिय इक्विटी म्युचुअल फंड की योजनाओं में शुद्ध‍ निवेश दिसंबर में बढ़कर 7,300 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो नवंबर में 21 महीने के निचले स्तर 2,260 करोड़ रुपये पर आ गया था। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।

शुद्ध‍ निवेश में सुधार की वजह निवेश निकासी में नरमी और निवेश में हुई बढ़ोतरी रही। इन योजनाओं में हालांकि मासिक आधार पर निवेश दिसंबर में 5 फीसदी बढ़ा, वहीं निवेश निकासी नवंबर के मुकाबले 14 फीसदी कम रही।

सक्रिय इक्विटी योजनाओं में सबसे ज्यादा शुद्ध‍ निवेश मिडकैप व स्मॉलकैप फंडों में हासिल हुआ। मोतीलाल ओसवाल एएमसी के चीफ बिजनेस अफसर अखिल चतुर्वेदी ने कहा, शुद्ध‍ निवेश में बढ़ोतरी की अगुआई मिडकैप व स्मॉलकैप श्रेणी में हुए निवेश में इजाफे ने की, जो हालिया गिरावट के बाद मूल्यांकन के लिहाज से आकर्षक दिखनी शुरू हो गई।

फायर्स के शोध प्रमुख गोपाल कावलीरेड्डी ने कहा, शेयर बाजारों में लगातार रहे उतारचढ़ाव और लार्जकैप फंडों और स्मॉल व मिडकैप फंडों के बीच प्रदर्शन के अंतर को देखते हुए निवेशक अब मूल्यांकन वाला मामला चुन रहे हैं।

दिसंबर के निवेश के आंकड़े पिछले साल के रुख के मुताबिक हैं। विभिन्न रिपोर्ट व म्युचुअल फंड के अधिकारियों से पता चलता है कि जब बाजार में गिरावट आती है तो निवेशक ज्यादा निवेश करते हैं और निवेश निकासी तब करते हैं जब बाजार सर्वोच्च स्तर के आसपास रहता है।

नवंबर में सेंसेक्स और निफ्टी ने सर्वोच्च स्तर को छू लिया था और सूचकांकों में 4 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज हुई थी। दिसंबर में सूचकांकों में 3.5 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई। हालिया रिपोर्ट में आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने कहा था कि पिछले 4-5 वर्षों में कम से कम तीन ऐसे उदाहरण देखने को मिले जब निवेशकों ने अपना निवेश बढ़ाया जब बाजारों में गिरावट आ रही थी। बाजार में बढ़त के दौर में यह रुख पलट गया।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, खुदरा निवेशक व एचएनआई बेहतर तरीके से इसका फायदा उठा रहे हैं। वे बाजार में गिरावट के दौर में निवेश बढ़ाते हैं और अगली बढ़त के चरण तक निवेशित रहते हैं। जब बाजार अपने सर्वोच्च स्तर के आसपास होता है या जब उन्हें लगता है कि बाजार अब टूटने वाला है तब वे निवेश निकासी करते हैं।

हालांकि एसआईपी के जरिये ​सकल निवेश बाजार की परिस्थितियों से शांत बना हुआ है। साल 2022 में एसआईपी निवेश करीब-करीब हर महीने बढ़कर नए सर्वोच्च स्तर को छू गया। दिसंबर में एसआईपी निवेश 13,570 करोड़ रुपये रहा, जो नवंबर में 13,300 करोड़ रुपये रहा था।

एम्फी के मुख्य कार्याधिकारी एन एस वेंकटेश ने कहा, लंबी अवधि के लक्ष्य के साथ इक्विटी बाजारों में निवेश की अहमियत निवेशकों के जेहन से उतरा नहीं है और ये चीजें बढ़ती जागरूकता और एसआईपी को लंबी अवधि में परिसंपत्ति सृजन के लिहाज से अपनाने में प्रतिबिंबित हुई है। दिसंबर में करीब 24 लाख नए एसआईपी खाते पंजीकृत हुए, जो इसमें निवेशकों के बढ़ते भरोसे के बारे में बताता है।

डेट फंड निवेशकों की दिलचस्पी से बाहर बने हुए हैं और उन्होंने दिसंबर में इनसे 22,000 करोड़ रुपये निकाले। लिक्विड फंडों से सबसे ज्यादा 13,580 करोड़ रुपये की निकासी हुई। यह निकासी मुख्य रूप से तिमाही के आखिर में अग्रिम कर के भुगतान के चलते हुई।

कंपनियां कर देनदारी व अन्य परिचालन जरूरतों के लिए अपनी रकम अल्पावधि वाले फंडों मसलन लिक्विड फंडों व ओवरनाइट फंडों में रखती हैं। अन्य डेट योजनाओं से भी शुद्ध‍ निकासी हुई, जो एक साल से ज्यादा समय से हो रहा है। मीडियम ड्यूरेशन फंडों से शुद्ध‍ रूप से 1,800 करोड़ रुपये निकाले गए जबकि बैंकिंग व पीएसयू फंडों से 1,350 करोड़ रुपये।

दिसंबर में निवेशकों का मिडकैप व स्मॉलकैप फंडों पर दांव, कुल एयूएम 40.86 लाख करोड़ रुपये

म्युचुअल फंड उद्योग की औसत प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) बढ़कर 40.86 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जो नवंबर में 40.49 लाख करोड़ रुपये रही थी। निवेशकों के खातों की संख्या बढ़कर 14.10 करोड़ हो गई।

First Published : January 10, 2023 | 11:27 PM IST