आईपीओ पेश करेगी गो एयर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:48 AM IST

वाडिया समूह के स्वामित्व वाली गो एयर ने आईपीओ के जरिए 3,600 करोड़ रुपये जुटाने के लिए सेबी के पास विवरणिका का मसौदा जमा कराया है। विमानन कंपनी का इरादा इससे मिलने वाली रकम का इस्तेमाल कर्ज चुकाने, तेल कंपनियों को भुगतान करने और पट्टा किराया चुकाने के लिए पट्टादाताओं को लेटर ऑफ क्रेडिट के रीप्लेसमेंट में करने का है। इसके अलावा भविष्य में विमानों के रखरखाव पर भी यह रकम खर्च की जाएगी।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज, सिटी बैंक, मॉर्गन स्टैनली को शेयर बिक्री की प्रक्रिया संभालने के लिए नियुक्त किया गया है। साल 2005 में स्थापना के समय से गोएयर के नाम से मशहूर कंपनी ने गुरुवार को इसका नाम बदलकर गो फस्र्ट कर दिया और इस तरह से खुद को अल्ट्रा लो कॉस्ट विमानन कंपनी के रूप में पेश किया।

रकम जुटाने की योजना और अपनी छवि में बदलाव ऐसे समय में हो रही है जब कोरोना महामारी की दूसरी लहर चल रही है, जिसने हवाई यात्रा की मांग पर काफी चोट की है। विमानन कंपनी ने संकट से निपटने के लिए विमानों को खड़ा कर दिया है, उड़ानों की संख्या घटाई है और भुगतान को टाला है।
मसौदा दस्तावेज के मुताबिक, वाडिया फैमिली और फैमिली के स्वामित्व वाली गो इन्वेस्टमेंट के पास कंपनी की 100 फीसदी हिस्सेदारी है। गो इन्वेस्टमेंट ने लेनदारों के कंसोर्टियम के पास 22.56 फीसदी हिस्सेदारी गिरवी रखी है।

दिसंबर में समाप्त नौ महीने की अवधि में कंपनी ने 470 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया है और उसकी कुल आय 1,438 करोड़ रुपये रही है। पिछले साल राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन के कारण हवाई यात्रा दो महीने तक बंद रही थी और 24 मई को क्षमताओं पर कुछ सीमाओं के साथ इसे शुरू करने की अनुमति दी गई थी।
वित्त वर्ष 2020 में कंपनी ने 1,270 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया था और कुल आय 7,258 करोड़ रुपये रही थी। आईपीओ दस्तावेज में दर्ज एकीकृत वित्तीय आंकड़ों से यह जानकारी मिली।

स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होने वाले गो एयर तीसरी भारतीय विमानन कंपनी होगी। अभी इंडिगो और स्पाइसजेट सूचीबद्ध हैं। जेट एयरवेज और किंगफिशर एयरलाइंस भी कभी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध थी, जिसे अपना कारोबार बंद करना पड़ा था। साल 2015 में इंडिगो ने सार्वजनिक सूचीबद्धता के ज्िरए 3,008 करोड़ रुपये जुटाए थे, जो अभी बाजार हिस्सेदारी के लिहाज से देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी है। इससे पहले साल 2005 में जेट एयरवेज (तब सबसे बड़ी प्राइवेट विमानन कंपनी) ने आईपीओ से 1,900 करोड़ रुपये जुटाए थे। गो एयर के पास देसी बाजार में अभी करीब 8 फीसदी हिस्सेदारी है।

First Published : May 14, 2021 | 8:57 PM IST