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मूल्यांकन में सुधार और अनुकूल आर्थिक संकेतकों के चलते म्युचुअल फंडों ने पिछले तीन महीने में इक्विटी की अच्छी खासी खरीदारी की। पिछले तीन महीने में फंड हाउस ने इक्विटी में शुद्ध रूप से 55,000 करोड़ रुपये का निवेश किया, जो पिछले साल अक्टूबर से दिसंबर में किए गए निवेश के मुकाबले दोगुने से ज्यादा है।
अक्टूबर 2021 में मूल्यांकन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा था जो मार्च 2023 में अपनी लंबी अवधि के औसत पर लौट आया। निफ्टी की पिछले 12 महीने की कीमत व आय का अनुपात (पीई अनुपात) सितंबर 2021 के 32 के उच्चस्तर से पिछले महीने 21 पर आ गया। लगातार खरीदारी के कारण कुछ फंड हाउस का नकदी स्तर पिछले महीने घट गया।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के डिप्टी सीआर्ईओ (इक्विटी) और शोध प्रमुख अनीश टकले ने कहा, इक्विटी बाजारों का मूल्यांकन पिछले साल मार्च के मुकाबले आज ज्यादा व्यावहारिक है। इसके परिणामस्वरूप हमने अपनी ज्यादातर योजनाओं में नकदी का स्तर घटाया है।
वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के बावजूद भारत बेहतर स्थिति में है क्योंकि कंपनियों की बैलेंस शीट मजबूत है, सरकार लंबी अवधि के लिहाज से बुनियादी ढांचा बनाने पर ध्यान दे रही है और विनिर्माण को बहाल करने वाली पहल को समर्थन दे रही है।
नुवामा ऑल्टरनेटिव ऐंड क्वांटिटेटिव रिसर्च के आंकड़ों से पता चलता है कि फंड हाउस के पास नकदी का औसत स्तर मार्च के आखिर में 4.6 फीसदी था और सबसे ज्यादा 13 फीसदी नकदी पीपीएफएएस एमएफ के पास थी।
मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के मुताबिक अगर फरवरी के आखिर के आंकड़ों से तुलना करें तो पीपीएफएएस एमएफ के पास नकदी एक फीसदी कम है। पीजीआईएम एमएफ के मामले में नकदी 11.5 फीसदी से घटकर 6 फीसदी रह गई है।
साथ ही इक्विटी के आकर्षक होने के साथ बैलेंस्ड एडवांटेज फंडों (बीएएफ) के मैनेजरों ने पिछले कुछ महीनों में अपना आवंटन डेट से इक्विटी में शिफ्ट कर दिया है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल बीएएफ (जो इस श्रेणी में दूसरा सबसे बड़ा है) ने पिछले कुछ महीनों में इक्विटी में आवंटन बढ़ाया है।
मार्च के आखिर में इक्विटी आवंटन 30 महीने के उच्चस्तर 52 फीसदी पर रहा, जो नवंबर 2022 के बाद से लगातार घटकर 30.5 फीसदी के निचले स्तर पर आ गया था। आदित्य बिड़ला सन लाइफ एमएफ के बीएएफ ने भी मार्च 2023 में इक्विटी आवंटन बढ़ाकर 54 फीसदी कर दिया है, जो सितंबर 2022 में 50 फीसदी से नीचे था।
बीएएफ में मनी मैनेजर बाजार की स्थितियों के मुताबिक डेट या इक्विटी में आवंटन पर फैसला लेते हैं।
क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट ने एक नोट में कहा है, मूल्यांकन में सुधार के साथ हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस साल इक्विटी बाजार की रफ्तार बेहतर रहेगी। हमारा मानना है कि 2023 की पहली छमाही भारतीय इक्विटी के लिए चुनौतीपूर्ण होगी। हालांकि दूसरी छमाही में हम ठीक-ठाक सुधार की उम्मीद कर रहे हैं, जिसे मंहगाई में नरमी और उपभोग व कॉरपोरेट लाभ पर इसके सकारात्मक असर से सहारा मिलेगा।
इसमें कहा गया है, हमारी राय में हम ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चक्र के आखिरी दौर में हैं। वैश्विक वृद्धि में नरमी से आय के परिदृश्य पर असर पड़ सकता है, लेकिन हमें लगता है कि यह मामूली होगा क्योंकि देसी आर्थिक रफ्तार पर हमारा नजरिया सकारात्मक है।