इक्विटी शेयरों और इनके डेरिवेटिव अनुबंधों की खरीद-बिक्री पर लगने वाला प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) सरकार के लिए बेहतर आय के स्रोत के तौर पर उभरा है। केंद्र सरकार इस वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में एसटीटी के तहत 20,000 करोड़ रुपये के संग्रह का अनुमान लेकर चल रही है। बाजार पूंजीकरण में उछाल और ट्रेडिंग वॉल्यूम में बढ़ोतरी ने मौजूदा वित्त वर्ष में 12,500 करोड़ ररुपये संग्रह के अनुमान को पार कर लिया है और सरकार को एक लक्ष्य तय करने का भरोसा दिया है, जो पिछले छह साल के औसत से 65 फीसदी ज्यादा है।
एसटीटी की दर 0.01 फीसदी से लेकर 0.1 फीसदी तक है, जो लेनदेन की प्रकृति पर निर्भर करता है।
मौजूदा वित्त वर्ष में एसटीटी संग्रह 17,000 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है, जो डेरिवेटिव के क्षेत्र में दोगुने वॉल्यूम और बाजार पूंजीकरण में इजाफे के कारण हुआ है। हालांकि नकदी वॉल्यूम की रफ्तार सुस्त है, जहां एसटीटी की दर सबसे ज्यादा है।
भारत का बाजार पूंजीकरण अब वित्त वर्ष 21 के आखिर के मुकाबले 30 फीसदी ज्यादा है। शेयर कीमतों में बढ़ोतरी के अलावा रिकॉर्ड आरंभिक सार्वजनिक निर्गम से बाजार पूंंजीकरण को मजबूती मिली है। इस वित्त्त वर्ष में आईपीओ से अब तक 1.1 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए हैं, जो वित्त वर्ष 21 के आंकड़ोंं के मुकाबले 3.5 गुना है।
इस वित्त वर्ष में निश्चित तौर पर 20,000 करोड़ रुपये का संग्रह हो सकता है, ऐसे में बाजार के प्रतिभागियों को लग रहा है कि वित्त वर्ष 23 का लक्ष्य भी हासिल किया जा सकता है जबकि अमेरिकी फेडरल रिजव4 की तरफ से मौद्रिक सख्ती आदि जैसे अवरोध हैं।
फस्र्ट वॉटर कैपिटल फंड (एआईएफ) के मुख्य प्रायोजक रिकी कृपलानी ने कहा, आगामी वर्षों मे भी भारत का बाजार पूंजीकरण बढ़ता रहेगा क्योंंकि और कंपनियां खास तौर से यूनिकॉर्न सूचीबद्ध होंगी। साल के दौरान शेयरों से रिटर्न की उम्मीद निश्चित तौर पर फेड की सख्ती से प्रभावित होगी, लेकिन कुल मिलाकर सूचकांकों में यहां से बढ़त की ही संभावना है। पिछले हफ्ते के घटनाक्रम से डर भी था क्योंकि एफएम पूंजीगत लाभ कर कानून में बदलाव कर सकती है, जो सौभाग्य से नहीं आया है। अगर ऐसा हुआ होता तो बाजारों में निवेशकों की सहभागिया पर असर पड़ता और एसटीटी के संग्रह पर भी। एलआईसी के आईपीओ से पहली बार निवेशक बनने वालों की संख्या बढ़ सकती है, जो बाजार में समय के साथ ट्रेडिंग वॉल्यूम में इजाफा ही करेगा क्योंकि उनमें से कुछ बाजार में सक्रिय बने रह सकते हैं। कुल मिलाकर अगले साल भी एसटीटी संग्रह मजबूत बना रह सकता है। एसटीटी के जरिए स्थिर राजस्व प्राप्तियां हालांकि एसटीटी के समापन उम्मीद धुंधला कर रहा है, जिसकी उम्मीद बाजार के कई प्रतिभागी कर रहे थे। एसटीटी साल 2004 में लगाया गया था क्योंकि लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ कर को समाप्त कर दिया गया था। हालांकि एलटीसीजी को साल 2018 में फिर से लागू किया गया और एसटीटी भी चालू रहा। एक ब्रोकर ने कहा, देसी पूंजी बाजार पर कर अन्य वैश्विक मानकों के मुकाबले ऊंचा है। यह कई विदेशी निवेशकों के लिए अवरोधक है। जब तक बाजार में उल्लास का माहौल बना हुआ है और रिटर्न अच्छा है, निवेशक शिकायत नहीं करेंगे। लेकिन बाजार में मंदी आने के बाद एसटीटी चुभना शुरू हो जाएगा।