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शेयर बाजार में लॉन्ग टर्म निवेश से बेहतर रिटर्न की उम्मीद, लेकिन सावधानी जरूरी

3पी इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के मुख्य निवेश अधिकारी प्रशांत जैन ने कहा कि भारतीय बाजारों का पीई मल्टीपल उनके दीर्घावधि औसत की तुलना में 20-30 प्रतिशत अधिक है

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पुनीत वाधवा   
निकिता वशिष्ठ   
Last Updated- November 07, 2024 | 10:40 PM IST

गुरुवार को बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में एक पैनल परिचर्चा में शेयर बाजार के विश्लेषकों ने कहा कि भले ही भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत राह पर बढ़ रही हो लेकिन इक्विटी मूल्यांकन महंगे होने से अल्पावधि से मध्यावधि में शेयर बाजारों में तेजी की गुंजाइश सीमित नजर आ रही है। उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि बाजार से पैसा कमाने के लिए किसी व्यक्ति की निवेश अवधि महत्वपूर्ण होती है।

3पी इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के मुख्य निवेश अधिकारी प्रशांत जैन ने कहा कि भारतीय बाजारों का पीई मल्टीपल उनके दीर्घावधि औसत की तुलना में 20-30 प्रतिशत अधिक है, जिससे अन्य उभरते बाजारों की तुलना में भारतीय बाजारों में प्रीमियम बढ़ा है।

जैन ने कहा, ‘काफी हद तक यह उचित है, क्योंकि भारत का परिदृश्य पिछले 10 साल की तुलना में बेहतर दिख रहा है। भारत में मुद्रास्फीति में कमी के बीच सुधारों के मामले में काफी प्रगति हुई है। हालांकि, पीई मल्टीपल्स के बढ़ने की संभावना सीमित है और आगे चलकर रिटर्न की उम्मीदें मद्धम ही रहनी चाहिए।’

कार्नेलियन ऐसेट मैनेजमेंट के संस्थापक विकास खेमानी के अनुसार हालांकि वैश्विक स्तर पर कोई भी दूसरा इक्विटी बाजार भारत जैसी मजबूत वृद्धि दर की पेशकश नहीं करता है। उनका मानना है कि इस कारण निवेशक भारतीय बाजारों में आएंगे और इस वजह से आगे चलकर मूल्यांकन मल्टीपल में सुधार की संभावना है।

अबैकस ऐसेट मैनेजर के संस्थापक सुनील सिंघानिया के अनुसार पीई अनुपात अकेले यह बताने का एकमात्र संकेतक नहीं हो सकता कि बाजार महंगा है या नहीं। मूल्य के प्रति जागरूक निवेशकों के लिए विचार का यह महत्वपूर्ण कारक है। उन्होंने कहा कि निवेशकों को अगर लंबी अवधि के दौरान पैसा बनाना है तो उन्हें बाजार के उतार-चढ़ाव को झेलने में सक्षम होना चाहिए।

सिंघानिया ने कहा, ‘अच्छी चीजें हमेशा महंगी ही रहेंगी। अगर रिटर्न की उम्मीदें कंपनियों की लाभ वृद्धि के अनुरूप हैं तो 19-20 गुना पीई को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है। ऐसे कई उत्साहजनक दौर रहे हैं जब बाजार का पीई 35-40 गुना के आसपास रहा। गतिशील स्थिति और कंपनियों के विकास को देखते हुए बाजारों की संरचना भी बदलेगी। हालांकि हम महंगे हैं, लेकिन समय के साथ (बाजार से) रिटर्न जरूर मिलेगा।’

लंबी अवधि में बाजार ने करीब 15 फीसदी का रिटर्न दिया है, सिंघानिया अभी भी रिटर्न की उम्मीदों को कम नहीं कर रहे हैं। वे निवेशकों को आगाह करते हैं किउन्हें अभी निवेश करते समय समझदारी से काम लेना चाहिए। दीर्घावधि पर नजर इसके साथ ही पैनल ने इस बात पर सहमति जताई कि देश में पहले से ही किए गए संरचनात्मक सुधारों के बावजूद आगे भी विकास की गुंजाइश है, जिससे यह सुनिश्चित हो कि भारत दीर्घावधि में अन्य उभरते बाजारों (ईएम) की तुलना में तेजी का लाभ उठाता रहेगा।

खेमानी ने कहा, ‘एमएसएमई क्षेत्र में बहुत अच्छा काम हो रहा है और वह वास्तव में तेजी से बढ़ रहा है। विनिर्माण गतिविधियों में वृद्धि के साथ कॉरपोरेट लाभ में बड़ी तेजी आएगी। हम 7-10 साल के नजरिए से निवेश करते हैं।’
जैन के अनुसार भारतीय बाजारों को बाहरी जोखिमों का सामना करना पड़ा है, लेकिन इससे भारत की आर्थिक वृद्धि पर शायद ही कोई असर पड़ा हो। उनका मानना है कि भारत में मजबूत विकास की संभावनाएं हैं, जिन्हें बरकरार
रखना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘हमारे बाजारों को पिछले समय में चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जब भी विपरीत परिस्थितियां आई हैं, खासकर कोविड के समय। हालांकि, इस बार हालात अलग होने की संभावना है क्योंकि घरेलू निवेश की आवक मजबूत है। घरेलू निवेशक समझदार हुए हैं। स्थानीय प्रवाह काफी ठोस है।’खेमानी ने कहा कि 1990 के दशक में भारत ऊंचे राजकोषीय घाटे और कमजोर मुद्रा की वजह से ‘नाजुक पांच’ देशों में शामिल था। उनका मानना है कि इक्विटी सहित परिसंपत्ति वर्गों का मूल्यांकन तीन कारकों पर आधारित होता है: रिटर्न, आय वृद्धि और डिस्काउंट रेट।

जैन जहां स्मॉल-कैप और मिड-कैप को लेकर सतर्क हैं, वहीं खेमानी इन दोनों सेगमेंट में चयन पर जोर देने का सुझाव देते हैं क्योंकि अभी भी निवेश के लायक मौके बरकरार हैं। खेमानी सलाह देते हैं, ‘फैशन या शौक के तौर पर और फियर ऑफ मिसिंग आउट (चूक जाने के भय) से निवेश न करें।’ सिंघानिया ने कहा, ‘हालांकि घरेलू मुद्दे बाजार को हमेशा चिंतित करेंगे, लेकिन निवेशकों को इन चिंताओं से परे देखने और लंबी अवधि के लिए निवेश करने की जरूरत है।’

First Published : November 7, 2024 | 10:40 PM IST