अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद दुनियाभर के शेयर बाज़ारों में गिरावट देखने को मिल रही है। इस माहौल में ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर और CIO एस. नरेन ने बताया कि बाज़ार में डर तो है, लेकिन स्टॉक्स अभी सस्ते नहीं हुए हैं। उन्होंने पुनीत वाधवा से बातचीत में मौजूदा हालात और आगे की रणनीति पर खुलकर बात की। पेश हैं इस इंटरव्यू के मुख्य अंश:
क्या ट्रंप के टैरिफ को लेकर बाज़ार ज़रूरत से ज़्यादा घबरा रहा है?
मेरा मानना है कि अलग-अलग देशों पर टैरिफ की मात्रा को लेकर ट्रंप को दोबारा सोचने की ज़रूरत है। अभी जो दरें लगाई गई हैं, वो काफी ज्यादा हैं और भविष्य में उनमें कमी आ सकती है। हालांकि इसका आगे क्या असर होगा, इसे लेकर अभी कुछ भी पक्के तौर पर कहना मुश्किल है।
क्या यह गिरावट किसी बड़ी क्राइसिस जैसी है?
इस बार की गिरावट सरकारी नीति से जुड़ी है, जबकि कोविड या ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस जैसे दौर स्ट्रक्चरल थे। अगर गिरावट किसी नीति से आती है, तो उसमें सुधार जल्दी हो सकता है क्योंकि नीतियों को बदला जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के कुछ स्टॉक्स जैसे “मैग्निफिसेंट सेवन” काफी ज्यादा महंगे हो गए थे, जिससे उनमें गिरावट आना तय था।
क्या यह अच्छा मौका है मल्टीबैगर स्टॉक्स ढूंढने का?
सबसे अच्छा वक्त वही होता है जब बाज़ार में डर का माहौल हो और वैल्यूएशन सस्ते हों। अभी डर तो है लेकिन स्टॉक्स की कीमतें बहुत सस्ती नहीं हुई हैं। कुछ शेयर ठीक-ठाक दाम पर हैं, लेकिन ज़्यादातर में गहरी गिरावट नहीं आई है। 2000 की डॉट-कॉम क्रैश और 2020 की कोविड क्रैश में वैल्यूएशन काफी ज़्यादा आकर्षक थे। हालांकि एसेट अलोकेशन के नज़रिए से देखें तो लार्ज-कैप शेयर अब सितंबर 2024 के मुकाबले ज़्यादा आकर्षक लग रहे हैं।
क्या इस मंदी में कोई पॉजिटिव पहलू भी है?
भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत है। देश का फिस्कल घाटा, करंट अकाउंट घाटा और महंगाई कंट्रोल में है। पिछले 18 महीनों से सबसे बड़ी चिंता शेयरों की ऊंची वैल्यूएशन को लेकर थी। लेकिन हाल की गिरावट के बाद, हमारे आंकड़ों के हिसाब से लार्ज-कैप शेयर अब ज़्यादा महंगे नहीं हैं, जबकि स्मॉल और मिडकैप शेयर अभी भी महंगे हैं। भारत की एक और खासियत ये है कि हमारी अर्थव्यवस्था घरेलू मांग पर टिकी है, ना कि एक्सपोर्ट पर, जैसे कई दूसरे देशों की होती है।
मार्च 2025 के तिमाही नतीजों से क्या उम्मीदें हैं?
इस बार के कॉरपोरेट रिज़ल्ट सामान्य रहेंगे और कोई बड़ा झटका नहीं मिलेगा। इसलिए फिलहाल इन नतीजों से बाजार में कोई नई बड़ी गिरावट आने की आशंका कम है।
ऐसे समय में आप निवेश कैसे कर रहे हैं?
हम अभी भी हाइब्रिड और एसेट अलोकेशन फंड्स में निवेश कर रहे हैं। हमारे इंटरनल मॉडल बताते हैं कि जब बाजार में गिरावट आती है, तब खरीदारी का अच्छा मौका होता है। रिटेल निवेशकों को हम सलाह देते हैं कि वे अपनी एसेट अलोकेशन प्लान के हिसाब से इक्विटी में निवेश जारी रखें। पिछले 18 महीनों से हम लगातार यही कह रहे हैं कि विभिन्न एसेट क्लास में डाइवर्सिफिकेशन बहुत ज़रूरी है, और हमारी यह रणनीति आगे भी बनी रहेगी।
म्यूचुअल फंड निवेशकों को क्या करना चाहिए?
SIPs को चालू रखना चाहिए, खासकर तब जब बाज़ार गिर रहा हो। जो लोग नई SIP शुरू करना चाहते हैं, उनके लिए लार्ज-कैप फंड्स से शुरुआत करना बेहतर रहेगा, फिर फ्लेक्सी-कैप और वैल्यू ओरिएंटेड फंड्स की ओर बढ़ सकते हैं।