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डायरेक्ट म्युचुअल फंड निवेश प्लेटफॉर्मों पर रहा दबाव

Published by
अभिषेक कुमार
Last Updated- January 29, 2023 | 10:49 PM IST

पिछले कुछ वर्षों से तेजी से वृद्धि दर्ज करने के बाद 2022 में डायरेक्ट म्युचुअल फंड निवेश प्लेटफॉर्मों को सुस्ती का सामना करना पड़ा।

डायरेक्ट योजनाओं के जरिये नए एसआईपी में सालाना वृद्धि 2022 में महज 4.5 प्रतिशत रही, जबकि 2021 में यह 115 प्रतिशत और 2020 में 505 प्रतिशत थी। तुलनात्मक तौर पर, नियमित योजनाओं के जरिये एसआईपी पंजीकरण पिछले साल 19 प्रतिशत बढ़ा।

ऐसा 2020 के बाद से पहली बार हुआ जब डायरेक्ट प्लान के एसआईपी पंजीकरण में वृद्धि नियमित योजनाओं से पीछे रही। एमएफ डायरेक्ट प्लान ऐसे सस्ते निवेश विकल्प हैं जिनमें निवेशकों को किसी तरह का कमीशन नहीं चुकाना पड़ता है।

ग्रो, जीरोधा, पेटीएम मनी और कुबेर जैसे कई फिनटेक प्लेटफॉर्म हैं जो डायरेक्ट प्लान में निवेश की अनुम​ति देते हैं। एमएफ प्लेटफॉर्म अपने ऐप और वेबसाइटों के जरिये भी डायरेक्ट निवेश की अनुमति देते हैं। दूसरी तरफ, रेग्युलर प्लान को व्य​क्तिगत एमएफ वितरकों, बैंकों और यहां तक कि कुछ फिनटेक कंपनियों द्वारा बेचा जाता है। फंडों के रेग्युलर प्लान बेचने वाले प्लेटफॉर्मों को कमीशन मिलता है।

उद्योग का मानना है कि 2020 और 2021 में डायरेक्ट प्लान में दर्ज की जाने वाली वृद्धि एक समान नहीं रहती है, क्योंकि कोविड के बाद कई कारकों ने फिनटेक के पक्ष में काम किया है।

बाजार में मजबूत तेजी थी, डायरेक्ट निवेशक आधार कमजोर था, और फिनटेक कंपनियों के पास पर्याप्त कोष था, जिससे उन्हें बाजार में तेजी से उतरने में मदद मिली। 2022 में, उन्हें इनमें से कुछ के संदर्भ में दबाव का सामना करना पड़ा। दूसरी तरफ, कुछ खास एमएफ वितरक 2022 में ज्यादा निष्पक्ष तरीके से काम करने में सक्षम रहे।

यूनियन ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य कार्या​धिकारी जी प्रदीपकुमार ने कहा, ‘पिछले साल, कुछ वितरक ज्यादा सक्रिय रहे, क्योंकि कोविड संबं​धित सख्ती दूर हो गई थी। निवेशक के नजरिये से भी, कोविड के बाद बाजार स्वयं निवेश की को​शिश करने के बजाय पेशेवरों से मदद हासिल करने के लिहाज से ज्यादा अनुकूल रहे।’

जीरोधा के सहायक उपाध्यक्ष (बिजनेस) भुवनेश आर का कहना है कि डायरेक्ट प्लान के लिए वृद्धि अभी भी महामारी पूर्व समय के मुकाबले अभी भी मजबूत है। उन्होंने कहा, ‘महामारी-पूर्व की अ​व​धि के शुरू में, बाजार निरंतर आधार पर प्रतिफल दे रहे थे। लोगों के पास अच्छी बचत पूंजी भी मौजूद थी। अब हालात काफी बदल गए हैं। इसलिए नि​श्चित तौर पर उस तरह की वृद्धि दर्ज नहीं की जाएगी।’

अन्य वजह यह भी थी कि फिनटेक प्लेटफॉर्मों ने डायरेक्ट एमएफ की बिक्री से परहेज किया और उतार-चढ़ाव वाले बाजार में निवेशकों के लिए मार्गदर्शन की जरूरत बढ़ गई थी।

शेयर ब्रोकिंग निवेश प्लेटफॉर्मों के लिए ज्यादा आकर्षक व्यवसाय है, क्योंकि यह डायरेक्ट प्लान वितरण के विपरीत राजस्व हासिल करता है। यही वजह थी कि पेटीएम मनी ने अपना एमएफ व्यवसाय रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवायजर (आरआईए) से अलग आगे बढ़ाने पर जोर दिया और 2022 में स्टॉक ब्रोकिंग लाइसेंस हासिल किया।

म्युचुअल फंडों में डायरेक्ट योजनाओं की शुरुआत आज से करीब 10 साल पहले हुई थी। बाजार नियामक सेबी ने उन निवेशकों के
लिए 2013 में इस विकल्प को पेश किया था, जो स्वयं ही निवेश करने में सहज महसूस करते हैं।

2022 के अंत तक डायरेक्ट योजनाओं में रिटेल फोलियो की संख्या 3.5 करोड़ थी, जो 2021 के मुकाबले 20 प्रतिशत ज्यादा है। वहीं
रेग्युलर श्रेणी के मामले में, फोलियो 16 प्रतिशत बढ़कर 10.5 करोड़ हो गए।

First Published : January 29, 2023 | 10:48 PM IST