भारत का बेंचमार्क 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल पिछले साल अप्रैल से बढ़कर मौजूदा समय में अपने सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है, क्योंकि निवेशक ऊंचे सरकारी कर्ज, वैश्विक तेल कीमतों में वृद्घि, केंद्रीय बैंक से प्रत्यक्ष समर्थन के अभाव को लेकर सतर्क हुए हैं।
कारोबारियों का कहना है कि शुक्रवार को आगामी डेट नीलामी में विक्रय पत्र के तहत नए 10 वर्षीय बॉन्ड के अभाव का भी धारणा पर प्रभाव पड़ा क्योंकि मौजूदा बेंचमार्क पर शेयर प्रदर्शन का असर दिखा जो पहले ही 1.48 लाख करोड़ रुपये पर है।
भारत 24,000 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड की बिक्री कर रहा है जिनमें शुक्रवार को 10 वर्षीय पत्र का 13,000 करोड़ रुपये की बिक्री भी शामिल है। पारंपरिक तौर पर सरकार ने ऐसे वक्त नया बॉन्ड जारी किया है जब मौजूदा पत्र करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है।
बेंचमार्क 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल 6.5 प्रतिशत को छूने के बाद 6.49 प्रतिशत पर था, जो 13 अप्रैल, 2020 के बाद से उसका सर्वाधिक ऊंचा स्तर है।
आईडीएफसी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी में फिक्स्ड इनकम के प्रमुख सुयश चौधरी ने कहा, ‘आरबीआई रुख के बावजूद धारणा काफी हद तक कमजोर हो गई है।’
उन्होंने कहा, ‘यह काफी हद तक दो कारणों की वजह से है- अल्पावधि परिवर्तनीय दर रिवर्स रीपो नीलामी, जिसे बैंकों द्वारा घटनाक्रम पर प्रतिफल से बढ़ावा मिला और आरबीआई द्वारा सरकारी बॉन्डों की सेकंडरी बाजार में बिकवाली।’
केंद्रीय बैंक ने दरों को मजबूत बनाए रखा और कहा कि इससे कोरोनावायरस के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट से बढ़ते कोविड मामलों के बीच रिकवरी में मदद मिलेगी।
आरबीआई ने 17 दिसंबर तक के सप्ताह में ओपन-मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) के तहत 2,035 करोड़ रुपये की बिक्री की। उसने शुक्रवार को जारी अपने साप्ताहिक सांख्यिकी पत्र में यह जानकारी दी।
कारोबारियों का कहना है कि बढ़ती वैश्विक तेल कीमतों, साप्ताहिक नीलामियों में बॉन्डों की भारी आपूर्ति, और घरेलू रिटेल मुद्रास्फीति, सभी का प्रतिफल पर दबाव बना रहेगा।
तेल कीमतों में मंगलवार को भी तेजी आई, और इनमें इस उम्मीद से पूर्ववर्ती दिन के एक महीने की ऊंचाई के आसपास कारोबार हुआ कि नए ओमिक्रॉन वैरिएंट का ईंधन मांग पर सीमित प्रभाव पड़ेगा।
कारोबारी यह उम्मीद कर रहे हैं कि केंद्रीय बैंक शुक्रवार को बॉन्ड बिक्री से पूर्व बाजार की मदद के लिए कुछ कदम उठाएगा।