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जल्द ही WHO के स्टैंडर्ड के मुताबिक होंगी दवा कंपनियां

औषधि एवं प्रसाधन नियमों में बदलाव, दवा कंपनियों को जीएमपी अपनाने में मदद मिलेगी

Last Updated- October 02, 2023 | 9:40 PM IST
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एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि औषधि एवं प्रसाधन नियम, 1945 की अनुसूची एम में बदलाव की अधिसूचना जल्द जारी हो सकती है। इससे भारत की दवा कंपनियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय किए गए बेहतरीन विनिर्माण गतिविधि (जीएमपी) अपनाने में मदद मिलेगी।

भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) राजीव सिंह रघुवंशी ने कहा कि संशोधित शेड्यूल एम से उद्योग को वैश्विक मानकों के तहत लाने में मदद मिलेगी। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब डब्ल्यूएचओ ने भारत की कुछ फर्मों द्वारा निर्यातित कफ सिरप को लेकर चिंता जताई है, जिनके इस्तेमाल से बच्चों की मौत के आरोप लगे थे।

पिछले महीने सूक्ष्म, लघु एवं मझोली कंपनियों सहित सभी दवा कंपनियों के लिए जीएमपी के मुताबिक संशोधित शेड्यूल एम अनिवार्य कर दिया गया है।

जिन विनिर्माताओं का सालाना कारोबार 250 करोड़ रुपये से कम है उन्हें अपने सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया 12 महीने के भीतर पूरी करनी होगी। वहीं जिनका कारोबार 250 करोड़ रुपये से ज्यादा है, उन्हें ऐसा करने के लिए 6 महीने का वक्त दिया गया है।

मसौदा नियम में गुणवत्ता नियंत्रण व्यवस्था और दवाओं की सुरक्षा के मानक मजबूत करने का प्रावधान शामिल है। इस बीच इन बदलावों की जानकारी देने और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने मुंबई में एक दिन की कार्यशाला का आयोजन किया है।

सीडीएससीओ के संयुक्त औषधि नियंत्रक ईश्वर रेड्डी ने कहा, ‘मौजूदा नियम के मुताबिक विनिर्माताओं को अपने विनिर्माण प्रक्रिया में बड़े बदलाव करने पर सीडीएससीओ को अधिसूचित करना होता है। नए मसौदा नियम में विनिर्माताओं को छोटे, बड़े और क्रिटिकल सभी बदलावों को वर्गीकृत करना होगा और हर तरह के बदलाव के लिए उचित नियंत्रण लागू होगा। विनिर्माण प्रक्रिया में कोई भी बदलाव होने पर उसका मूल्यांकन हो सकेगा।’

First Published - October 2, 2023 | 9:40 PM IST

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