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लागत प्रबंधन की उपादेयताएं,सीमाएं और अवसर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 5:43 AM IST

हर कंपनी ऐसे उत्पाद और सेवाएं देना चाहती है, जो उपभोक्ताओं द्वारा पसंद की जाएं।


इस उत्पाद की गुणवत्ता और मूल्यों से जुड़ी सारी बातें ग्राहकों की संतुष्टि पर निर्भर करती हैं और इसी के आधार पर उत्पादों का मूल्य निर्धारित किया जाता है। किसी एक ही उत्पाद के लिए ग्राहकों को संतुष्ट करने के लिए ही कई कंपनियों के बीच एक प्रकार की प्रतिस्पद्र्धा पैदा होती है।

कंपनियां अपने लाभ को बढाने के लिए दो कारकों पर काम करती है- पहला मूल्य और दूसरा लागत। कंपनियां लाभ के लिए समझौता भी करती है और लागत या राजस्व कभी भी अकेले विचाराधीन नहीं होता है। लागत प्रबंधन कंपनियों के लाभ के लिए काम करती है। प्राय: ये सारे काम लागत प्रबंधन के द्वारा किए जाते हैं और इसे करते समय यह प्रबंधन टीम को दो सिद्धांतों की याद दिलाते रहते हैं।

पहला सिद्धांत यह है कि लागत प्रबंधन व्यापक होना चाहिए। इसे कंपनी के अंदर सारे कर्मचारियों की सारी गतिविधियों को कवर करना चाहिए। लागत प्रबंधन को केवल डिजाइन और उत्पादन गतिविधियों के लिए ही जिम्मेदार नही होना चाहिए। मार्केटिंग, वितरण और प्रशासन ये सारी गतिविधियां लागत प्रबंधन के कार्यक्षेत्र में आनी चाहिए। इससे भी ज्यादा लागत प्रबंधन को किसी कंपनी की संस्कृति के तौर पर काम करना चाहिए।

कर्मचारियों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे लागत या राजस्व को नियंत्रित कर सके। यह कई नये विचारों को लाने में मदद करता है, और कुछ ऐसे भी विचार होते हैं, जिसपर बाद में विचार किया जाता है। मिसाल के तौर पर वैसी कंपनियां जो अपने हर स्तर के कर्मचारियों से सुझाव आमंत्रित करते हैं, उसके परिणाम भी अच्छे आते हैं।

इस संबंध में दूसरा सिद्धांत है कि प्रबंधन को लागत प्रबंधन को प्राप्त अवसर जो कंपनी के अंदर या बाहर क हीं भी हो सकता है, के प्रति सजग रहना चाहिए। लागत प्रबंधन के अवसर पर दूसरी कंपनियों और उसके कर्मचारियों से संपर्क बनाने के रुप में भी देखा जाता है। इस प्रक्रिया के बाद मूल्य वर्द्धन की बात बदलकर मूल्य श्रृंखला में तब्दील हो जाती है। कंपनी के मूल्य वर्द्धन की बात कंपनी की अंदरुनी बात है। लेकिन मूल्य श्रृंखला की रेंज काफी विस्तृत होती है।

कच्चे माल की उपलब्धता से लेकर इसके उत्पादन और इस अंतिम उत्पाद को उपभोक्ता के हाथों तक पहुंचाने की ये सारी प्रक्रिया मूल्य श्रृंखला के अंतर्गत आती है। आजकल इस तरह की गतिविधियां कई संगठनों में काम कर रही है। अगर मूल्य श्रृंखला के तहत कंपनी की सारी मूल्य वर्द्धन की गतिविधियों को निष्पादित किया जाए, तो यह कंपनी की लाभकारी सेहत के लिए और अच्छा होगा। अगर मूल्य श्रृंखला की अच्छी समझ बना ली जाए तो इन सारी गतिविधियों के जरिये कंपनी के  लक्ष्य को प्राप्त करना और ज्यादा आसान हो सकता है।

मूल्य श्रृंखला से जुड़े हरेक व्यक्ति को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कंपनी के अंदर मूल्यों के विकास के लिए किस प्रकार की प्रगति की जा रही है। तुलनात्मक मोलभाव की शक्ति अलग अलग कंपनियों के द्वारा अलग अलग दबाव में किया जाता है और यह किसी एक कंपनी के लिए नियंत्रित कर पाना कठिन होता है। उदाहरण के तौर पर अनुबंध पर राज्य नियामक किसानों के मोलभाव क्षमता का निर्धारण करती है। वैसे कंपनियों के मामले में मूल्य श्रृंखला समय के साथ बदलती है।

उदाहरण के तौर पर माइक्रोसॉफ्ट को अन्य कंपनियों की तुलना में मोलभाव करने की ज्यादा क्षमता है। वास्तव में कंपनियां अपनी मूल्य श्रृंखला को बढाने के लिए मूल्य वर्द्धन करती है और इसके लिए सारे हथकंडे अपनाती है।  वैसे कंपनियों के आपसी रिश्ते तब तक ही अच्छे होते हैं, जब तक कि लागत पूंजी के बराबर की रकम उसे हासिल हो जाता है।

मूल्य श्रृंखला में हरेक संपर्क सूत्र के बीच एक बेहतर किस्म का लागत वाहक और अद्वितीय प्रतिस्पर्द्धी लाभ समाहित होता है। मिसाल के तौर पर  एप्पल के 30 जीबी वर्जन वाले पांचवी पीढ़ी की आईपॉड ने 80 अमेरिकी डॉलर का एक मूल्य स्तर का निर्माण किया है। यह इसके लिए सारे उपकरणों को आउटसोर्स करती है और चार बड़े आपूर्ति करने वाली कंपनियां तोशिबा, तोशिबा मित्सुशिता, ब्रॉडकॉम और पोर्टल प्लेयर मिलकर सारे उपकरण एप्पल को मुहैया कराती है।

इसमें एप्पल को आईपॉड के कुल लागत का 75 प्रतिशत चुकाना होता है और इसकी कीमत 32 अमेरिकी डॉलर पड़ता है। इस तरह लागत प्रबंधन को इस बात की जरुरत होती है कि वह कुल लागत और उत्पाद की कीमत को तोड़े और उत्पादों की गुणवत्ता को निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार कारकों की पहचान करनी चाहिए।

अगर इस तरह के गुणवत्ता कारकों की पहचान न होने पाएं तो ऐसे उत्पादों को निष्पादन की प्रक्रिया में शामिल ही नहीं करना चाहिए। इसलिए इसके लिए यह जरुरी हो जाता है कि लागत प्रबंधन को उक्त तत्वों पर ध्यान देने से पहले काफी बाजारीय शोध कर लेना चाहिए। कंपनी को स्पष्ट तौर पर यह समझना चाहिए कि उत्पाद और सेवा के लिए कौन और क्यों भुगतान कर रहा है। संक्षेप में उत्पाद के विकास के स्तर पर यह समझने की जरूरत है कि उत्पाद के लिए कौन और क्यों भुगतान कर रहा है।

कोई भी कंपनी अपने व्यापार को समृद्ध करने के लिए लागत प्रबंधन की व्यवस्था कर सकता है। लागत प्रबंधन एक तरह की निरंतर प्रक्रिया है। कंपनी के लाभ की कोई सीमा नही होती और इसलिए एक सफल कंपनी के लिए यह जरुरी हो जाता है कि वे अपनी गुणवत्ता को बनाए रखे।

First Published : June 16, 2008 | 1:32 AM IST