लंबे लॉकडाउन की वजह से शहरों में आय को लेकर अनिश्चितता का जो माहौल बना है, उसकी वजह से लोग खर्च करने से हिचक रहे हैं। मगर गांवों में खपत बढ़ती दिख रही है। इस वजह से रोजमर्रा की खपत के सामान (एफएमसीजी) और वाहन बनाने वाली कंपनियां सस्ते मॉडलों तथा छोटे पैकेटों पर जोर दे रही हैं।
ज्यादातर एफएमसीजी कंपनियों के प्रमुख कबूल कर रहे हैं कि जरूरी वस्तुओं की खरीदारी पर ही सबका जोर है और शौक के लिए इस्तेमाल होने वाला सामान ज्यादा नहीं बिक रहा। वाहन कंपनियों के मुताबिक ग्राहक महंगी और प्रीमियम गाडिय़ां खरीदने के बजाय इंट्री लेवल के सस्ते मॉडल पसंद कर रहे हैं।
देश की सबसे बड़ी एफएसीजी कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) के चेयरैमन एवं प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने कहा, ‘जब भी मुश्किल दौर आता है तो उपभोक्ता छोटे पैक और सस्ते उत्पाद चुनने लगते हैं। इसीलिए उपभोक्ता ऐसे उत्पाद और पैकेट तलाश रहे हैं, जो कम से कम खर्च में उनकी जरूरतें पूरी कर सकें।’ पिछले सप्ताह एचयूएल की सालाना आम बैठक में मेहता ने इस ओर इशारा करते हुए कहा कि कंपनी जरूरी सामान पर अपना ध्यान बनाए रखेगी और यह भी देखेगी कि उसका ब्रांड उपभोक्ताओं की पहुंच में अधिक से अधिक आए।
देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजूकी में कार्यकारी निदेशक (बिक्री एवं विपणन) शशांक श्रीवास्तव ने बताया कि जून में कंपनी की छोटी और किफायती कारों के लिए पूछताछ और बुकिंग बढ़कर 65 फीसदी तक पहुंच गई, जो पिछले साल जून में 55 फीसदी ही थी। श्रीवास्तव ने कहा, ‘हालांकि अभी शुरुआत है और यह नहीं कहा जा सकता कि आगे भी ऐसा ही रहेगा क्योंकि बिक्री अभी कोविड-19 से पहले के स्तर तक नहीं पहुंची है।’ उन्होंने यह जरूर कहा कि भीड़ भरे सार्वजनिक परिवहन में संक्रमण के डर से लोग अपना वाहन चाह रहे हैं मगर कमजोर आर्थिक माहौल देखकर किफायती गाड़ी खरीद रहे हैं।
डाबर इंडिया के सीईओ मोहित मल्होत्रा ने बताया कि ओरल केयर और स्वास्थ्य के क्षेत्र में 5 से 20 रुपये की कीमत वाले उत्पादों की बिक्री पिछले दो महीनों में काफी बढ़ गई है। उन्होंने कहा, ‘खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में किफायती पैक की मांग काफी बढ़ी है। हम उत्पादन बढ़ाकर इस मांग को पूरा करने में जुटे हैं।’ बिस्कुट बनाने वाली कपनियां भी अपने सभी ब्रांडों के 5 और 10 रुपये के पैक ला रही हैं। पारले प्रोडक्ट्स में सीनियर कैटेगरी हेड मयंक शाह ने कहा, ‘बिस्कुट जैसी श्रेणी में 10 रुपये का पैक बहुत अहम है। ग्राहक खर्च कम कर रहे हैं तो इसे और भी बढ़ावा मिलेगा।’
डेलॉयट ने हाल में अपने एक अध्ययन में कहा था कि कोविड-19 महामारी के कारण करीब 53 प्रतिशत लोगों को नौकरी जाने का डर है। सर्वेक्षण में शामिल आधे लोगों को डर है कि आने वाले महीनों में वे किराया या ईएमआई भी चुका पाएंगे या नहीं। इसीलिए लोग ज्यादा से ज्यादा नकदी बचाना चाहते हैं, जिस कारण खर्च कम किए जा रहे हैं। टोयोटा किर्लोसकर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नवीन सोनी ने भी कहा कि महामारी शुरू होते ही उपभोक्ता किसी भी मॉडल का सस्ता संस्करण ही खरीदने लगे थे। कंपनी की प्रीमियम कॉम्पैक्ट कार ग्लेंजा में भी सस्ते संस्करण पहले से 7-8 फीसदी ज्यादा बिक रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अनिश्चित भविष्य को देखकर लोग कम खर्च में निजी वाहन की अपनी जरूरत पूरी करना चाहते हैं।