जीएसटी के तहत सेवाओं पर कर क्रेडिट की अनुमति मिली

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 3:52 AM IST

गुजरात उच्च न्यायालय ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत सेवा इनपुट पर भुगतान किए गए करों के लिए क्रेडिट का दावा करने की अनुमति देकर कंपनियों को राहत दी है। भले ही यह निर्णय एक फुटवियर कंपनी की ओर से दाखिल की गई याचिका पर दी गई है लेकिन दूसरी कंपनियों को भी इसका व्यापक लाभ मिलेगा। विशेष तौर पर एमेजॉन, फ्लिपकार्ट, अर्बन कंपनी आदि को इसका फायदा मिलेगा, जो नकद प्रवाह की मुश्किलों का सामना कर रही हैं। 
इस संबंध में उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार की ओर से जारी केंद्रीय जीएसटी अधिनियम के नियम 89(5) के स्पष्टीकरण (ए) को खारिज कर दिया। इस स्पष्टीकरण के तहत प्रतिलोमित शुल्क ढांचा (इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर) के मामले में सेवाओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की मनाही है। वस्तुत: प्रतिलोमित कर ढांचा का मतलब होता है कि कच्चे माल पर तैयार उत्पादों से अधिक कर लगता है।
सरकार ने 2018 में इस नियम को 2017 के नियमों को संशोधित कर जोड़ा था। सीजीएसटी अधिनियम की धारा 54 (3) (2) में सभी प्रकार के क्रेडिट की अनुमति थी फिर चाहे कर का भुगतान वस्तुओं या सेवाओं पर की गई हो। इस प्रकार अदालत ने पाया कि नए नियम और अधिनियम में विरोधाभास है। 
अदालत ने कहा कि उक्त नियम बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट को रोकने का सरकार का इरादा हो सकता है लेकिन यह कानून का इरादा नहीं हो सकता। 
केपीएमजी में पार्टनर हरप्रीत सिंह ने स्पष्ट किया कि यह मामला वीकेसी फुटस्टेप्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दायर याचिका से जुड़ा है। यह कंपनी फुटवियर के उत्पादन और आपूर्ति से जुड़ी है।
उन्होंने कहा कि फुटवियर पर जीएसटी की दर 5 फीसदी है जबकि अधिकांश इनपुट और इनपुट सेवाओं में जीएसटी की दर 12 फीसदी या 18 फीसदी है जिसके कारण अनुपयोगी क्रेडिट का संचयन होता है। यह फैसला विभिन्न अदालतों या अधिकरणों में पड़े मामलों के लिए एक मिसाल पेश करेगा। 
विशेषज्ञों ने कहा है कि गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले से बहुत सी कंपनियों विशेष तौर पर ई-कॉमर्स कंपनियों को राहत मिल सकती है।

ऑर्डर बुक में सुधार, श्रमबल का संकट
निर्यातकों का मानना है कि देश का वस्तुओं का निर्यात आगामी महीनों में और सुधरेगा। हालांकि उद्योग को अभी श्रमबल की कमी के संकट से जूझना पड़ रहा है। निर्यातकों के प्रमुख संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) का कहना है कि ऑर्डर बुक में सुधार दिख रहा है। फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि लघु अवधि में ऑर्डर में कोई समस्या नहीं है, लेकिन निर्यातकों को अभी दीर्घावधि के ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। सहाय ने कहा, ‘अभी मुख्य रूप से अमेरिका और यूरोपीय देशों से ऑर्डर मिल रहे हैं।’ श्रमबल के संकट पर उन्होंने कहा कि कारखाने अब भी पूरी क्षमता पर काम नहीं कर पा रहे हैं, कुछ माह में स्थिति सुधरेगी। चमड़ा निर्यात परिषद के चेयरमैन पीआर अकील ने कहा कि क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। ‘हमारी ऑर्डर बुक सुधर रही है।’ भाषा

First Published : August 2, 2020 | 11:41 PM IST