कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन, चीन से सौर आयातों की आपूर्ति शृंखला बाधित होने, पारेषण कनेक्शन में देरी और अक्षय ऊर्जा की खरीद करने के प्रति राज्यों की अनिच्छा से देश में 39.4 गीगावॉट की सौर और पवन परियोजना पटरी से उतरने लगी है।
पिछले हफ्ते केंद्र ने कोविड के कारण लगाए लॉकडाउन को कारण बताते हुए सभी निर्माणाधीन अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को तीन महीने के लिए एकतरफा विस्तार दिया था। लेकिन कई परियोजनाओं को अभी भी काम शुरू करने में मुश्किल हो रही है क्योंकि अक्षय ऊर्जा के खरीदार और सहायक पारेषण लाइन नदारद हैं। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि कोविड के कारण 20 गीगावॉट की सौर परियोजनाओं को विस्तार दिया गया है, जबकि 8 गीगावॉट की ऐसी सौर परियोजनाएं हैं जिनके पास बिजली खरीद समझौता (पीपीए) नहीं है और 7 गीगावॉट की ऐसी पवन परियोजनाएं हैं जिनकी जमीन पर कोई प्रगति नहीं है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ऊर्जा मंत्रालय की तकनीकी शाखा है और अक्षय ऊर्जा पर उसकी इस तरह की पहली स्थिति रिपोर्ट है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने आंकड़ों की समीक्षा की है।
अदाणी ग्रीन एनर्जी, रिन्यू पॉवर, सॉफ्टबैंक एनर्जी, एजर पावर, एक्मे सोलर, महिंद्रा रिन्यूएबल, न्यूयॉर्क स्थित एडन रिन्यूएबल, स्पेन की दिग्गज ऊर्जा कंपनी सोलरपार्क कॉर्प और अयाना रिन्यूएबल जैसी अग्रणी कंपनियों की बड़े आकार की सौर बिजली परियोजनाओं को काफी देरी हो सकती है और विस्तार के कारण लागत बढ़ रही है।
भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) ने 8 गीगावॉट की सौर परियोजनाओं के लिए निविदा जारी की है जिसके लिए एजेंसी को कोई भी बिजली खरीदार नहीं मिला है। एसईसीआई नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अंतर्गत एक संबद्ध संगठन है जिसका काम अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए निविदा जारी करना है। इसमें रिन्यू पावर, एएमपी एजर्नी, एडन एनर्जी अविकिरण सोलर और सोलरपार्क की परियोजनाएं शामिल हैं।
इनमें से कुछ परियोजनाएं जिनमें कोविड के कारण देरी हुई है, वे केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (सीईआरसी) के पास चली गई हैं, जो या तो इन्हें रद्द करेगा या फिर शुरू होने की समय सीमा में और विस्तार करेगा।
एक्मे सोलर ने राजस्थान में अपनी 600 मेगावॉट की सौर परियोजना को रद्द करने के लिए सीईआरसी से मंजूरी मांगी है, जिसे उसने 2.44 रुपये प्रति यूनिट के रिकॉर्ड कम टैरिफ पर हासिल किया था।
रिन्यू पावर, स्प्रंग एनर्जी और मित्रा एनर्जी ने कोविड के कारण देरी होने और सरकारी स्वामित्व वाली पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की ओर से तैयार किए जाने वाले पारेषण बुनियादी ढांचा की कमी को देखते हुए विस्तार देने के लिए अर्जी लगाई है।
चीनी सौर सेलों और मॉड्यूलों के आयात पर लगे कई तरह के शुल्क से इस बात का डर है कि मध्यावधि में सौर बिजली की लागत भी बढ़ सकती है। चीनी सैनिकों के साथ गलवान घाटी में सीमा को लेकर हुए तकरार के बाद भारत सौर उपकरण के आयात पर सेफगार्ड ड्यूटी और बेसिक कस्टम ड्यूटी (बीसीडी) लगाने पर विचार कर रहा है।
भारत की करीब 75 फीसदी सौर क्षमता चीनी सौर मॉड्यूलों पर तैयार की जाती है। देश में चीन से आयात होने वाले शीर्ष 10 सामानों में से यह एक है। केंद्रीय ऊर्जा, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री आरके सिह ने पिछले महीने कहा, ‘पहले वर्ष में मॉड्यूलों पर 25 फीसदी तक का बीसीडी लगाने का प्रस्ताव दिया गया है। उससे अगले वर्ष यह 40 फीसदी तक जाएगा।’ सौर सेलों के लिए इस साल 15 फीसदी बीसीडी और अगले वित्त वर्ष से इस पर 20 से 30 फीसदी बीसीडी लगाया जाएगा।