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PPF में 7.1% ब्याज दर पर ₹50 लाख का फंड बनाने के लिए कितना निवेश करना होगा? जानिए पूरा कैलकुलेशन

PPF Calculator: सरकार ने अप्रैल-जून तिमाही 2024 के लिए पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) की ब्याज दर को 7.1% पर स्थिर रखा है।

Last Updated- July 02, 2025 | 3:22 PM IST
PPF
Representative Image

PPF Calculator: अगर आप लॉन्ग टर्म में बिना रिस्क के अच्छा रिटर्न पाना चाहते हैं तो PPF यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड एक बेहतरीन विकल्प है। सरकार समर्थित इस स्कीम में मौजूदा ब्याज दर 7.1% सालाना है, जो कंपाउंडिंग के साथ 15 सालों में अच्छा रिटर्न देती है।

सरकार ने अप्रैल-जून तिमाही 2024 के लिए पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) की ब्याज दर को 7.1% पर स्थिर रखा है। यानी फिलहाल PPF निवेशकों को हर साल 7.1% का कंपाउंड इंटरेस्ट मिलता रहेगा।

अब अगर आपका लक्ष्य ₹50 लाख का फंड तैयार करना है, तो आपको हर महीने या साल में कितना निवेश करना होगा? आइए समझते हैं।

PPF में ₹50 लाख का फंड कैसे बनाएं?

अगर आप हर साल ₹1.12 लाख पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) में जमा करते हैं, तो आने वाले सालों में आपको अच्छा रिटर्न मिल सकता है। मौजूदा ब्याज दर 7.1% (सालाना कंपाउंड) के हिसाब से अगर आप लगातार 20 साल तक ये निवेश करते हैं, तो मैच्योरिटी पर आपको कुल ₹49,71,521 से ज्यादा का रिटर्न मिल सकता है।

इस कैलकुलेशन में मान लिया गया है कि आप हर साल एक तय रकम (₹1.12 लाख) डालते रहेंगे और ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं होगा। ध्यान रखें कि PPF में सालाना न्यूनतम ₹500 और अधिकतम ₹1.5 लाख तक निवेश किया जा सकता है। यह स्कीम लंबी अवधि के लिए होती है, जिसकी मियाद कम से कम 15 साल होती है, लेकिन आप इसे 5-5 साल के ब्लॉक में आगे भी बढ़ा सकते हैं।

PPF में निवेश का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें मिलने वाला ब्याज पूरी तरह टैक्स फ्री होता है और इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत आपको टैक्स छूट भी मिलती है।

संक्षेप में:

  • सालाना निवेश: ₹1,12,000

  • ब्याज दर: 7.1%

  • निवेश की अवधि: 20 साल

  • मैच्योरिटी राशि: ₹49,71,521.83

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF): जानें स्कीम से जुड़ी जरूरी बातें

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) एक लंबी अवधि की निवेश योजना है, जो सुरक्षित रिटर्न और टैक्स बचत के लिए लोकप्रिय है। 1 जनवरी 2024 से इसमें सालाना 7.1% की ब्याज दर मिल रही है, जो सालाना कंपाउंड होती है। इसमें न्यूनतम ₹500 और अधिकतम ₹1.5 लाख प्रति वित्त वर्ष तक निवेश किया जा सकता है। पैसे एकमुश्त या किस्तों में, ₹50 के मल्टीपल में जमा किए जा सकते हैं।

PPF अकाउंट कोई भी भारतीय नागरिक अपने नाम से या किसी नाबालिग/मानसिक रूप से अक्षम व्यक्ति के लिए अभिभावक के रूप में खोल सकता है। एक व्यक्ति सिर्फ एक PPF अकाउंट ही खोल सकता है, चाहे वह बैंक में हो या पोस्ट ऑफिस में।

हर वित्त वर्ष में कम से कम ₹500 जमा करना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो अकाउंट ‘डिसकंटिन्यू’ हो जाएगा और उस पर लोन या आंशिक निकासी की सुविधा नहीं मिलेगी। अकाउंट को दोबारा चालू करने के लिए हर मिसिंग साल के लिए ₹500 के साथ ₹50 का जुर्माना देना होगा।

ब्याज दर हर तिमाही सरकार द्वारा तय की जाती है। ब्याज की गणना महीने की 5 तारीख और अंतिम तारीख के बीच के न्यूनतम बैलेंस पर होती है और इसे हर साल के अंत में अकाउंट में जोड़ा जाता है। सबसे अहम बात यह है कि PPF में मिलने वाला ब्याज पूरी तरह टैक्स-फ्री होता है।

PPF में लोन की सुविधा भी है, जो अकाउंट खोलने के एक साल बाद और पांच साल पूरे होने से पहले ली जा सकती है। लोन की राशि उस साल के पहले दो सालों में उपलब्ध बैलेंस का 25% तक हो सकती है। एक वित्त वर्ष में एक ही बार लोन लिया जा सकता है। अगर लोन 36 महीने के भीतर चुकाया जाता है तो सिर्फ 1% ब्याज देना होता है, जबकि उससे ज्यादा देर होने पर 6% ब्याज लगेगा।

अकाउंट खोलने के पांच साल बाद आंशिक निकासी की सुविधा उपलब्ध होती है। साल में एक बार निकासी की जा सकती है और यह राशि पिछले चार सालों या पिछले साल के अंत में उपलब्ध बैलेंस में से जो भी कम हो, उसका 50% हो सकती है।

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PPF अकाउंट की अवधि 15 साल होती है (जिस वित्त वर्ष में अकाउंट खुला है उसे छोड़कर)। मैच्योरिटी के बाद ग्राहक तीन ऑप्शन चुन सकता है: पहला, अकाउंट बंद करके पैसा निकालना; दूसरा, बिना और निवेश किए अकाउंट को चालू रखते हुए ब्याज कमाना; और तीसरा, अगले पांच साल के ब्लॉक में अकाउंट को बढ़ाना, जिसके लिए एक साल के अंदर फॉर्म जमा करना जरूरी होता है। अगर अकाउंट डिसकंटिन्यू हो गया है, तो उसे बढ़ाया नहीं जा सकता। एक्सटेंडेड अकाउंट में हर साल एक बार निकासी की जा सकती है, लेकिन यह निकासी मैच्योरिटी के समय उपलब्ध राशि के 60% तक सीमित होगी।

कुछ खास परिस्थितियों में, जैसे खाता धारक या परिवार में किसी को गंभीर बीमारी होना, उच्च शिक्षा की जरूरत होना या खाता धारक का NRI बन जाना, अकाउंट को 5 साल के बाद बंद किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में खाते पर मिलने वाले ब्याज में 1% की कटौती की जाती है।

अगर खाता धारक की मृत्यु हो जाती है, तो अकाउंट को बंद कर दिया जाता है और नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी को अकाउंट में पैसे जमा करने की अनुमति नहीं होती। इस स्थिति में ब्याज अंतिम महीने के अंत तक ही दिया जाता है।

First Published - July 2, 2025 | 3:21 PM IST

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