कोरोना संबंधित खुलासे पर सतर्क घरेलू उद्योग जगत

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 8:09 PM IST

कारोबारी जगत कोविड संबंधित खुलासे के मसले पर तेजी नहीं दिखा रही है। हालांकि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 20 मई के अपने परिपत्र में अनिवार्य तौर पर इसका खुलासा करने को कहा है। विभिन्न क्षेत्रों की करीब 25 से 30 कंपनियों ने अब तक ऐसे खुलासे किए हैं और स्टॉक एक्सचेंजों को इनकी जानकारी दी है। लेकिन कोरोनावायरस संकट से पडऩे वाले वित्तीय प्रभावों का उल्लेख नहीं किया है।
सेबी ने सूचीबद्घ कंपनियों को वित्तीय संसाधनों, पूंजी, मुनाफे, नकदी की स्थिति, संपत्तियों और कर्ज भुगतान की क्षमता पर कोविड के असर का मूल्यांकन करने का निर्देश दिया था। इसके बजाय कंपनियों ने चालू हुए संयंत्रों, गोदामों और वितरण केंद्रों की संख्या, वर्क फ्रॉम होम और कर्मचारियों के लिए किए जा रहे सुरक्षा उपायों तथा श्रमिकों की कमी के बारे में बताया है। साथ ही उनका कहना है कि कारोबार पर कोविड-19 के असर का आकलन करना कठिन है। हालांकि कुछ कंपनियों का रुख अलग रहा है जिनमें महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, डाबर इंडिया, बीपीसीएल और अल्ट्राटेक सीमेंट शामिल हैं।
कॉरपोरेट वकीलों का कहना है कि 20 मई के परिपत्र में ‘परामर्श’ शब्द का उल्लेख किया गया है। सिरिल अमरचंद मंगलîदास के अंशु चौधरी, आंचल धीर और आकृति ठाकुर ने कहा, ‘परिपत्र में सूचीबद्घ कंपनियों को यथासंभव कोविड-19 के असर का आकलन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है और आवश्यक जानकारी का खुलासा करने पर विचार करने को कहा गया है।’ उदाहरण के लिए बजाज फाइनैंस ने मार्च तिमाही में निवेशकों के समक्ष दिए गए प्रस्तुतीकरण में अपने कारोबार पर कोरोना के वित्तीय असर का विस्तृत ब्योरा दिया है लेकिन अलग से स्टॉक एक्सचेंज पर खुलासा नहीं किया गया है। हालांकि इन चारों कंपनियों ने अलग से खुलासा किया है। कुछ विशेषज्ञों का तर्क है कि सेबी का परिपत्र कई कंपनियों द्वारा मार्च तिमाही के नतीजे घोषित करने के बाद आया है।
डाबर ने कहा है कि कोविड के कारण जून तिमाही में परिचालन आय पर 400 से 450 करोड़ रुपये और शुद्घ मुनाफे में 60 से 80 करोड़ रुपये की चपत लग सकती है। बीपीसीएल ने कहा कि अप्रैल 2000 में मांग करीब 55 फीसदी कम रही जबकि मई में अप्रैल की तुलना में पेट्रोलियम उत्पादों की मांग करीब 67 फीसदी बढ़ी है। दूसरी ओर अल्ट्राटेक सीमेंट ने अपने खुलासे में कहा है कि कोविड-19 के कारण वह पूंजीगत व्यय 1,000 करोड़ रुपये तक सीमित कर कर रही है।
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने बुधवार को एक्सचेंजों को बताया कि मार्च में करीब 23,400 वाहनों और 14,700 ट्रैक्टरों की बिक्री का नुकसान होने का अनुमान है। अप्रैल-जून के दौरान करीब 87,000 वाहनों की बिक्री प्रभावित हो सकती है।
प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म ने कहा कि एक विस्तृत प्रारूप होना चाहिए जिसके तहत कंपनियां कोविड संबंधित खुलासा कर सकें।
इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज के संस्थापक एवं प्र्रबंध निदेशक अमित टंडन ने कहा, ‘यहां कुछ बातों को ध्यान में रखने की जरूरत है। पहला, जो भी चीज हो उसे निवेशकों के साथ साझा किया जाना चाहिए। दूसरा, अगर कंपनियों को लगता है कि कुछ खास जोखिम का खुलासा करने से वित्तीय विवरण भ्रामक लग सकते हैं तो उसे शेयरधारकों के साथ निश्चित तौर पर साझा करना चाहिए।’
उदाहरण के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाल में संपन्न राइट्स निर्गम की विवरणिका में कहा था कि उसके रिफानिंग, पेट्रोरसायन के साथ ही तेल एवं गैस कारोबार को मंाग में कमी का सामना करना पड़ा है।
बजाज फाइनैंस ने निवेशकों को दिए प्रस्तुतीकरण में कहा कि मार्च तिमाही में प्रबंधन के अंर्तगत परिसंपत्तियों (एयूएम) में 400 आधार अंक की कमी आई थी। कंपनी के नए लोन बुक की वृद्घि 18 आधार अंक कम हुई है और नए ग्राहकों की तादाद भी 18 आधार अंक कम हुई है। भारती एयरटेल ने कहा कि मार्च तिमाही में कोरोना का असर उसके लगभग सभी कारोबार पर पड़ा है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने जिन चार्टर्ड अकाउंटेंट से बात की उनका कहना था कि कोरोना संबंधित खुलासा करने से जोखिम भी जुड़ा है। मुंबई के चार्टर्ड अकाउंटेंट जयंत ठाकुर ने कहा, ‘स्थितियां बदल रही हैं। ऐसे में बाद में होने वाली घटना के लिए निवेशक कंपनी को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं। इससे कंपनी के शेयर भाव पर भी असर पड़ सकता है। यही वजह है कि कंपनी कोविड संबंधित खुलासा करने में सावधानी बरत रही हैं।’
हालांकि कुछ विश्लेषकों की राय इससे अलग है। उनका कहना है कि कोविड संबंधित विस्तृत खुलासे से निवेशकों को न केवल कारोबार पर पडऩे वाले असर को समझने में मदद मिलेगी बल्कि कारोबारी संचालन के मानदंडों में भी इजाफा होगा।
रिलायंस सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (शोध) मितुल शाह ने कहा कि वाहन के मामले में कोरोनवायरस के दौरान मासिक बिक्री का आंकड़ा भर देना पर्याप्त नहीं है। राजस्व, बुकिंग, खुदरा बिक्री आदि पर पडऩे वाले प्रभाव की जानकारी से बेहतर विश्लेषण किया जा सकता है।टाटा कंसल्टेंसी, इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और टेक महिंद्रा जैसी तकनीकी फर्मों का कहना है कि महामारी के कारण परियोजनाएं या तो रद्द हो रही हैं या टाली जा रही हैं। अधिकांश फर्मों का मानना है कि अप्रैल-जून तिमाही में उनके परिचालन मार्जिन पर दबाव पडऩे की आशंका है, वहीं कुछ ने राजस्व में कमी का अंदेशा जताया है।

First Published : June 5, 2020 | 11:10 PM IST