ई-कॉमर्स में देसी सामान को मिलेगी तरजीह!

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 3:37 AM IST

केंद्र सरकार स्वदेशी और स्थानीय स्तर पर बने उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों पर प्राथमिकता दिलाने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए ‘उत्पादन के देश’ से संबंधित नियम और भी कड़े बनाए जाएंगे। यह कदम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना के अनुरूप होगा। ये बदलाव उपभोक्ता संरक्षण नियमों में संशोधन के जरिये किए जाएंगे और इन्हें बहुप्रतीक्षित ई-कॉमर्स नीति में भी शामिल किया जा सकता है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) पिछले दो साल से एक व्यापक ई-कॉमर्स नीति पर काम कर रहा है। इसका मकसद देश में फलते-फूलते ई-कॉमर्स क्षेत्र को बढ़ावा देना और इसकी नियामकीय चुनौतियां दूर करना है। डीपीआईआईटी ने मार्च में ही एक प्रारूप तैयार कर लिया था, लेकिन नीति को अंतिम रूप इस महीने के अंत तक दिए जाने के आसार हैं।
एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा कि अब ई-कॉमर्स कंपनियों को अपनी साइट पर नोटिफिकेशन के जरिये ‘उत्पादन के देश’ की जानकारी देनी पड़ सकती है और उपभोक्ता को उत्पाद खरीदने से पहले विकल्प भी सुझाने पड़ सकते हैं ताकि भारत में बने उत्पादों को उचित मौका मिल सके।
सरकार ने पिछले साल एमेजॉन, फ्लिपकार्ट जैसे मार्केटप्लेस पर माल बेचने वाले विक्रेताओं के लिए बिक्री के लिए आयातित उत्पादों पर मूल देश का उल्लेख अनिवार्य कर दिया था ताकि ग्राहकों के पास इन प्लेटफॉर्म पर खरीदारी से पहले उत्पादों की पूरी जानकारी हो। यह नियम भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव और देश में चीन के माल के बहिष्कार की उठती मांग के बीच लागू किया गया था।
इस अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियमों मेंं कुछ बदलावों पर विचार किया जा रहा है। हालांकि अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।’
अधिकारी ने कहा कि ई-रिटेलरों को न केवल उत्पादों को रैंकिंग देनी होगी बल्कि रैंकिंग का ऐसा ढांचा भी तैयार करना होगा, जिसमें देसी उत्पादों एवं विक्रेताओं के साथ भेदभाव न हो। कारोबारी संगठन पहले ही सरकार से आग्रह कर चुके हैं कि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बिकने वाले हरेक उत्पाद के लिए ‘उत्पादन के देश’ का उल्लेख अनिवार्य किया जाए।

First Published : June 16, 2021 | 11:05 PM IST