कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान डेट रियल एस्टेट वैकल्पिक निवेश फंड (डेट एआईएफ) के निवेशकों की रिटर्न अपेक्षाएं कमजोर रहीं लेकिन इक्विटी एआईएफ श्रेणी में उनकी उम्मीदें बरकरार रहीं। रियल एस्टेट क्षेत्र में इन फंडों से करीबी तौर पर जुड़े लोगों ने यह बात कही। एआईएफ निजी तौर पर जुटाया जाने वाला निवेश फंड होता है जिसे पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों के लिए मंजूरी प्राप्त होता है।
कम रिटर्न की अपेक्षा की मुख्य वजह क्रेडिट-रिस्क म्युचुअल फंड (एमएफ) जैसे पारंपरिक निवेश से रिटर्न में 200 से 300 आधार अंकों की गिरावट आई है जबकि क्रेडिट एआईएफ अभी भी बेहतर रिटर्न दे रहे हैं। क्रेडिट-रिस्क एमएफ ऐसे फंड हैं जो 65 फीसदी रकम का निवेश ऊंची रेटिंग वाली कंपनियों में नहीं करते हैं। लंबी अवधि के क्रेडिट वैकल्पिक फंडों के लिए निवेशकों को 17 से 20 फीसदी तक कुल रिटर्न प्राप्त होने की उम्मीद होती है। एडलवाइस ऐसेट मैनेजमेंट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हेमंत डागा ने कहा कि निवेशक अब 12 से 14 फीसदी क्रेडिट आधारित रिटर्न देने वाले एआईएफ पर भी विचार करने के लिए तैयार हैं। हाल में मोतीलाल ओसवाल रियल एस्टेट ने 800 करोड़ रुपये का एक एआईएफ लॉन्च किया था जो प्रॉपर्टी डेवलपरों को निर्माण संबंधी वित्त पोषण पर केंद्रित था।
डागा ने कहा, ‘निवेशक अब कोविड से पहले के दौर के मुकाबले थोड़ा कम रिटर्न देने वाली योजनाओं में निवेश करके खुश हैं। कोविड-पूर्व दौर में एआईएफ फंडों में निवेश से उन्हें 15 से 20 फीसदी रिटर्न की उम्मीद होती थी। डागा ने कहा कि क्रेडिट-रिस्क एमएफ में निवेश करने वाले ज्यादातर धनाढ्य व्यक्तियों (एचएनआई) और पारिवारिक कार्यालयों ने महसूस किया है कि क्लोज-एंडेड एआईएफ इलिक्विड अथवा स्ट्रक्चर्ड क्रेडिट फंडों में निवेश करने का एक बेहतर तरीका है।
मैक्वेरी कैपिटल के प्रबंधा निदेशक नितिन गुप्ता ने कहा, ‘डेट एआईएफ में मुख्य रूप से घरेलू निवेशकों द्वारा निवेश किया जाता है और वे शेयरों के मुकाबले बेहतर परिसंपत्ति/ ऋण में निवेश करते हैं। उसमें रिटर्न की अपेक्षाएं कम हुई हैं क्योंकि जोखिम-मुक्त दरों में भी कमी आई है।’