केंद्र सरकार ने अपने भंडारण के प्रबंधन के लिए इस साल जून से अगस्त के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के माध्यम से पिछले साल की समान अवधि की तुलना में दोगुने से ज्यादा चावल वितरित किया है।
इस अवधि के दौरान गेहूं की आवंटित मात्रा करीब एक चौथाई कम कर दी गई। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की वेबसाइट के स्टॉक के आंकड़ों से यह जानकारी मिलती है। स्टॉक की रणनीति कारगर नजर आ रही है क्योंकि हाल के अनाज के स्टॉक के स्तर के हिसाब से भारत के पास मार्च 2023 के अंत तक के लिए पर्याप्त स्टॉक है।
गेहूं की जगह चावल देने की रणनीति मई और जून में अपनाई गई थी क्योंकि वित्त वर्ष 23 में गेहूं की खरीद में करीब 57 प्रतिशत कमी आई थी। कुछ खबरों के मुताबिक सरकार को उम्मीद है कि सभी जरूरतें पूरी करने के बाद मार्च 2023 के अंत तक भारत के पास करीब 113 लाख टन गेहूं और 236 लाख टन चावल केंद्रीय पूल में होगा। यह गेहूं की 75 लाख टन और चावल के 136 लाख टन बफर की जरूरतों से उल्लेखनीय रूप से अधिक होगा।
कुछ दिन पहले जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘एनएफएसए, अन्य कल्याणकारी योजनओं और पीएमजीकेएवाई के सातवें चरण की जरूरतें पूरी करने के बाद 1 अप्रैल 2023 को एफसीआई के पास बफर मानकों की तुलना में ज्यादा अनाज रहेगा।’
बहरहाल चावल और गेहूं के वितरण की व्यवस्था में बदलाव के बाद के अनाज के स्टॉक के विश्लेषण से पता चलता है कि जून और सितंबर के बीच सरकार ने 86.6 लाख टन चावल और 63.2 लाख टन गेहूं का वितरण किया है। पिछले साल की समान अवधि के दौरान सरकार ने करीब 30.9 लाख टन चावल और 8.71 लाख टन गेहूं का वितरण किया था।
इस तरह से सरकारी खरीद कम रहने की वजह से कम स्टॉक के कारण जहां गेहूं की मात्रा कम कर दी गई वहीं उसकी जगह पर्याप्त चावल का वितऱण किया गया है।
मोटे अनुमान के मुताबिक जून के बाद से गेहूं और चावल की उठान करीब 80 लाख टन रही है, जिसमें 20 लाख टन गेहूं और 60 लाख टन चावल शामिल है। यह उठान पीडीएस और पीएमजीकेएवाई दोनों मिलाकर है। 16 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक करीब 224.5 लाख टन चावल और 240.9 लाख टन गेहूं एफसीआई के पास केंद्रीय पूल में था। चावल के स्टॉक में मिलों पर पड़ा 95.8 लाख टन धान शामिल नहीं है।