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सावधान! भारत पर साइबर खतरा बढ़ा, ग्रुप-आईबी की रिपोर्ट के मुताबिक ‘हैक्टिविस्ट’ के निशाने पर देश

डेटा लीक के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में प​ब्लिक डोमेन में डेटा लीक किए जाने के 1,107 नए मामले सामने आए हैं।

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- March 09, 2025 | 11:22 PM IST

भारत साल 2024 में ‘हैक्टिविस्ट’ हमले के प्रमुख लक्ष्य के तौर पर उभरा और दुनिया भर में हुए ऐसे हमलों में उसकी हिस्सेदारी 12.8 फीसदी रही। ग्रुप-आईबी की ताजा रिपोर्ट ‘हाई टेक क्राइम ट्रेंड्स रिपोर्ट-2025’ से यह खुलासा हुआ है। 

इस रिपोर्ट से भारत पर साइबर हमलों के बढ़ते खतरे का पता चलता है। ‘हैक्टिविस्ट’ हमले की सूची में भारत के बाद इजरायल को रखा गया है, मगर ऐसे हमलों में उसकी हिस्सेदारी महज 7 फीसदी है। पिछले साल प​ब्लिक डोमेन से डेटा लीक के दर्ज किए गए मामलों में भी भारत केवल अमेरिका और रूस के बाद तीसरे पायदान पर है।

दरअसल हैक्टिविज्म ‘हैकिंग’ और ‘एक्टिविज्म’ शब्दों का संयोजन है। इसका तात्पर्य किसी संघर्ष की ओर ध्यान आकृष्ट करने अथवा किसी खास विचारधारा को बढ़ावा देने जैसे राजनीतिक या सामाजिक उद्देश्यों के लिए हैकरों द्वारा की जाने वाली गतिविधि है। हैक्टिविज्म का प्राथमिक उद्देश्य विरोधियों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना या उनके संसाधनों को निष्क्रिय करना होता है। ग्रुप-आईबी की रिपोर्ट में खुफिया जानकारियों का वै​श्विक संदर्भ में विश्लेषण किया गया है। इसमें खुफिया जानकारी जुटाने,  प्रोपराइटर के बारे में शोध और वास्तविक दुनिया के साइबर अपराधों की जांच पर जोर दिया गया। साथ ही साइबर अपराध वाले प्रमुख जगहों पर विशेषज्ञों को भी तैनात किया गया। 

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत किन कारणों से हैक्टिविज्म के मामले में शीर्ष पायदान पर मौजूद है। पहला कारण भारत और कुछ पड़ोसी देशों के बीच क्षेत्रीय तनाव को बताया गया है। दूसरा कारण यह है कि भारत को उसके कूटनीतिक रुख और इजरायल के साथ कथित करीबी के कारण फिलिस्तीन समर्थक हैक्टिविस्ट समूहों द्वारा अक्सर निशाना बनाया जाता रहा है। ऐसे तमाम इंडिया है​क्टिविस्ट ग्रुप मौजूद हैं जो फिलिस्तीन का समर्थन करने वाले संगठनों पर काफी सक्रियता से हमला करते हैं। इससे ​स्थिति अ​धिक खराब हो जाती है और भारत को जवाबी साइबर हमलों का निशाना बनना पड़ता है।

डेटा लीक के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में प​ब्लिक डोमेन में डेटा लीक किए जाने के 1,107 नए मामले सामने आए हैं। लीक किए गए डेटा में लोगों की ईमेल आईडी, फोन नंबर और पासवर्ड जैसी जानकारियां शामिल हैं। इन जानकारियों को अ​धिक जोखिम वाला बताया गया है क्योंकि अन्य तमाम साइबर हमलों में इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। 

डेटा लीक के मामले में अमेरिका 214 मामलों के साथ शीर्ष पर था। उसके बाद 195 मामलों के साथ रूस दूसरे पायदान पर और 60 मामलों के साथ भारत तीसरे पायदान पर था।

भारत एशिया प्रशांत क्षेत्र में लगातार उन्नत खतरों (एपीटी) के लिहाज से भी पहला निशाना है। ऐसे हमलों में भारत की हिस्सेदारी 10.3 फीसदी रही। मगर वैश्विक स्तर पर भारत की हिस्सेदारी 2 फीसदी रही जो 3 से 6 फीसदी हिस्सेदारी वाले अमेरिका, इजरायल, मिस्र और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के सदस्य देशों के मुकाबले कम है।

एपीटी लंबी अवधि के लक्षित साइबर हमले होते हैं। इसे आम तौर पर राज्य द्वारा प्रायोजित अथवा आर्थिक रूप से प्रेरित बेहद कुशल एवं संगठित लोगों द्वारा अंजाम दिया जाता है। इसका उद्देश्य किसी खास नेटवर्क अथवा सिस्टम में घुसपैठ करना और बेहद संवेदनशील डेटा चुराना या व्यवधान पैदा करने के लिए लंबे समय तक अनधिकृत घुसपैठ को बनाए रखना होता है।

कॉरपोरेट कंप्यूटर सिस्टम तक घुसपैठ करते हुए डेटा चुराकर उसे डार्क वेब पर बेचने वाले खतरनाक गिरोह इनिशियल ऐक्सेस ब्रोकर्स (आईएबी) द्वारा किए किए गए हमलों के लिहाज से भारत एशिया प्रशांत क्षेत्र में शीर्ष पायदान पर है। उनके द्वारा किए गए कुल हमलों में से 20 फीसदी हमले भारत में किए गए। मगर वैश्विक स्तर पर ऐसे हमलों में 35.5 फीसदी हिस्सेदारी के साथ अमेरिका शीर्ष पर है। उसके बाद 6.3 फीसदी हिस्सेदारी के साथ ब्राजील का स्थान है, जबकि  2.6 फीसदी हिस्सेदारी के साथ ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, स्पेन और ऑस्ट्रेलिया भारत से आगे हैं।

हैकिंग के जरिये चुराए गए संवेदनशील डेटा को अक्सर डार्क वेब पर बेचा जाता है जो रैनसमवेयर ऑपरेटरों और यहां तक कि राज्य प्रायोजित हमलावरों के लिए शुरुआती ठौर के रूप में काम करता है। ऐसे होस्ट की तादाद के लिहाज से वैश्विक स्तर पर भारत (1,06,312) दूसरे स्थान पर रहा और केवल पाकिस्तान (1,08,674) से पीछे था।

First Published : March 9, 2025 | 11:22 PM IST