रूस ने मंगलवार को कहा कि सैन्य अभ्यास में हिस्सा ले रहीं कुछ सैन्य टुकडिय़ां अपने सैन्य अड्डे के लिए लौटना शुरू करेंगी। हालांकि, रूस ने वापसी का ब्योरा नहीं दिया है, लेकिन इससे यह उम्मीद जगी है कि शायद रूस की योजना यूक्रेन पर हमला करने की न हो। यह ऐलान रूसी विदेश मंत्री के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने संकेत दिए थे कि उनका देश उन सुरक्षा संबंधी समस्याओं पर बातचीत जारी रखने के लिए राजी है, जिसने यूक्रेन संकट को जन्म दिया। तनाव पनपने के हफ्तों बाद रूस के रुख में यह परिवर्तन दिखा। हालांकि अब भी पश्चिमी देशों के अधिकारी यह चेतावनी देना जारी रखे हुए हैं कि रूस किसी भी क्षण यूक्रेन पर हमला कर सकता है और वह सैन्य साजो सामान सीमा की ओर ले जा रहा है। अभी यह भी स्पष्ट नहीं है कि रूसी रक्षा मंत्रालय ने जिन सैन्य टुकडिय़ों को वापस लेने की बात की है, वह कहां तैनात हैं और उसमें कितने सैनिक हैं।
इस ऐलान के बाद विश्व बाजार समेत रूसी मुद्रा रूबल के भाव में उछाल देखने को मिली है। हालांकि यूक्रेन के नेता रूस की इस घोषणा पर संदेह जता रहे हैं। यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने कहा, ‘रूस लगातार कई तरह के बयान दे रहा है। यही वजह है कि हमने नियम बनाया है कि हम सुनी हुई बातों पर विश्वास नहीं करेंगे। हम देखने के बाद विश्वास करेंगे।’ यूक्रेन की सीमा पर रूस ने 1,30,000 से अधिक सैनिक तैनात कर दिए हैं, जिसने हमले की आशंका को जन्म दिया। हालांकि रूस यूक्रेन पर हमले की मंशा से इनकार करता रहा है, लेकिन यूक्रेन के पूर्व, उत्तर और दक्षिण में बड़ी संख्या में सैनिक तैनात करके वह पास में ही बड़ा युद्धाभ्यास भी करता रहा है। आशा की नई किरण के साथ कूटनीतिक घटनाक्रम की झड़ी लग गई है।
जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कीव में यूक्रेन के नेताओं से बातचीत करने के एक दिन बाद मास्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने की योजना बनाई। उधर, रूस के सबसे कड़े यूरोपीय आलोचकों में से एक पोलैंड के विदेश मंत्री भी रूसी विदेश मंत्री सेर्गेेई लावरोव से मिलने के लिए मंगलवार को मास्को में थे। यूक्रेन के विदेश मंत्री ने अपने इतालवी समकक्ष की मेजबानी करके बातचीत की। दरअसल मास्को गारंटी चाहता है कि नाटो यूक्रेन और पूर्व सोवियत संघ के अन्य देशों को अपना सदस्य नहीं बनाएगा। वह यह भी चाहता है कि नाटो के सदस्य देश यूक्रेन में हथियारों की तैनाती पर रोक लगाएं और पश्चिमी यूरोप से अपने सैनिक वापस लें। पुतिन ने कहा कि पश्चिमी देश रूस को ‘अंतहीन वार्ता’ में फंसा सकते हैं। पुतिन ने सवाल किया कि क्या अभी भी समझौते पर पहुंचने का अवसर है। लावरोव ने कहा कि उनका मंत्रालय अमेरिका और उसके सहयोगियों को रूस के मुख्य अनुरोधों को दरकिनार करने की अनुमति नहीं देगा। उधर, व्हाइट हाउस की प्रमुख उप प्रेस सचिव कारीन जीन-पियरे ने कहा, ‘अगर रूस सकारात्मक रूप से बातचीत का विकल्प चुनता है तो कूटनीति का रास्ता उपलब्ध रहेगा।’
यूक्रेन में रहने वाले भारतीयों को निकलने की सलाह
भारत ने यूक्रेन में रह रहे अपने नागरिकों को अस्थायी रूप से उस देश (यू्क्रेन) को छोडऩे की मंगलवार को सलाह दी। यूक्रेन की सीमा पर रूस द्वारा अपने सैनिकों का जमावड़ा बढ़ाने को लेकर उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) और मास्को के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत ने यह कदम उठाया है। कीव स्थित भारतीय दूतावास ने एक परामर्श में भारत के नागरिकों को यूक्रेन की और यूक्रेन के अंदर सभी गैर-जरूरी यात्रा से बचने को कहा है।
इसमें कहा गया है, ‘यूक्रेन में मौजूदा स्थिति की अनिश्चितताओं के मद्देनजर वहां भारतीय नागरिक, खास तौर पर छात्र, जिनका रहना जरूरी नहीं है, अस्थायी रूप से देश (यूक्रेन) छोडऩे पर विचार कर सकते हैं।’ यूक्रेन में रह रहे भारतीयों की संख्या की जानकारी अभी नहीं है। हालांकि, 2020 के एक आधिकारिक दस्तावेज के मुताबिक, यूक्रेन में करीब 18,000 भारतीय छात्र अध्ययन कर रहे हैं। लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते इस आंकड़े में कमी की संभावना है। यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने परामर्श में भारतीय नागरिकों से अपनी स्थिति के बारे में सूचित करते रहने को कहा है ताकि दूतावास जरूरत पडऩे पर उन तक पहुंच सके।