इस्लामाबाद हाईकोर्ट (IHC) ने शुक्रवार को तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में अपनी दोषसिद्धि और सजा को चुनौती देने वाली पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की याचिका पर सुनवाई को 28 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।
पाकिस्तान निर्वाचन आयोग(ECP) द्वारा दायर मामले में इस्लामाबाद की एक अदालत ने पांच अगस्त को खान(70) को दोषी ठहराते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले के बाद वह अगले पांच वर्षों के लिये चुनाव लड़ने के वास्ते अयोग्य हो गए थे।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आमेर फारूक और न्यायमूर्ति तारिक महमूद जहांगीरी की पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई की अध्यक्षता की। आज सुनवाई के दौरान ECP के वकील अमजद परवेज से उनकी दलीलें खत्म करने की उम्मीद थी। उनके दल के एक सदस्य ने बताया कि परवेज गंभीर रूप से बीमार हैं, इस कारण से वह उपस्थित नहीं हो सके।
इसके बाद इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई को सोमवार यानी 28 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया। हाईकोर्ट 22 अगस्त से खान की अपील पर सुनवाई कर रहा है।
इससे पहले हाईकोर्ट ने गुरुवार को शुक्रवार तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी थी। इस मामले में बचाव पक्ष ने अपनी दलीलें पूरी कर ली हैं।
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने भी गुरुवार को इस्लामाबाद हाईकोर्ट का फैसला आने तक खान की याचिका पर सुनवाई को रोकने का फैसला किया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने सबको हैरान कर दिया, जिसमें उसने पाकिस्तान के अटॉर्नी-जनरल (AGP) मंसूर उस्मान अवान को 28 अगस्त तक खान की रहने की स्थिति के बारे में एक आधिकारिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।
सत्तारूढ़ दल के सांसदों ने वर्ष 2022 में ECP में तोशाखाना मामला दायर किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि खान ने सरकारी उपहारों की बिक्री से प्राप्त आय को छुपाया था।
ECP ने पहले खान को अयोग्य करार कर दिया और इसके बाद फौजदारी कार्यवाही के लिए सत्र अदालत में मामला दायर किया। अदालत ने खान को दोषी ठहराते हुए जेल भेज दिया। वर्तमान में खान अटक जेल में हैं, जहां उन्हें दोषी ठहराए जाने के बाद गिरफ्तार कर रखा गया है। खान को पांच साल के लिये अयोग्य ठहराया गया है।
कई रिपोर्ट के अनुसार, खान को अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल के दौरान विश्वभर के कई नेताओं से 14.0 करोड़ रुपये से अधिक के 58 उपहार मिले और उन सभी को उन्होंने बहुत मामूली राशि का भुगतान करके या बिना किसी भुगतान के अपने पास रखा। इस मामले में इमरान पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2018 से 2022 तक प्रधानमंत्री पद पर रहने के दौरान तोशाखाना से हासिल उपहारों और उनकी बिक्री से हुई आय के ब्योरे को ‘जानबूझकर छिपाया’।
तोशाखाना एक सरकारी भंडारण विभाग है, जिसमें पाकिस्तानी अधिकारियों को विदेशी सरकारों से मिले उपहारों को रखा जाता है।