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कर करार से भारत को होगा लाभ

Last Updated- December 12, 2022 | 3:58 AM IST

वैश्विक स्तर पर न्यूनतम कॉरपोरेट कर की दर को 15 प्रतिशत पर रखने के करार से भारत को फायदा होगा। दुनिया के अमीर देशों के बीच शनिवार को इस आशय का समझौता हुआ है।
कर विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में घरेलू कर की प्रभावी दर इस सीमा से ऊंची है। इससे भारत निवेश आकर्षित करता रहेगा। जी-7 देशों अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, इटली और जापान ने शनिवार को बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर कराधान को लेकर ऐतिहासिक समझौता किया है। इसके तहत न्यूनतम वैश्विक कर की दर कम से कम 15 प्रतिशत रहेगी।
नांगिया एंडरसन इंडिया के चेयरमैन राकेश नांगिया ने कहा कि जी-7 का वैश्विक न्यूनतम कर की दर को 15 प्रतिशत पर रखने के फैसले से अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के ज्यादातर देशों को फायदा होगा। हालांकि, कुछ निचले कर वाले यूरोपीय देश मसलन नीदरलैंड, आयरलैंड और लक्जमबर्ग और कुछ कैरिबियाई देश बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने के लिए कर की दर पर निर्भर करते हैं।
परामर्शक कंपनी एकेएम ग्लोबल के कर भागीदार अमित माहेश्वरी ने कहा कि भारत को इस फैसले से फायदा होगा क्योंकि यह प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए एक बड़ा बाजार है।
ईवाई इंडिया के नैशनल टैक्स लीडर सुधीर कपाडिय़ा ने कहा कि वैश्विक कॉरपोरेट कर करार ऐतिहासिक है। विशेष रूप से इससे भारत जैसे बड़े और विकासशील देश को फायदा होगा। भारत के लिए हमेशा से देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए कॉरपोरेट कर की दर को कृत्रिम रूप से निचले स्तर पर रखना मुश्किल होता था।  आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के महासचिव मैथायस कॉरमैन ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि जी-7 के वित्त मंत्रियों के बीच सहमति विशेष रूप से वैश्विक कराधान के न्यूनतम स्तर पर करार एक ऐतिहासिक कदम है। इससे आगे अंतरराष्ट्रीय कर प्रणाली में सुधार में मदद मिलेगी।

First Published - June 6, 2021 | 9:05 PM IST

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