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आईएमईसी के मामले में भारत काफी गंभीर: एस जयशंकर

पिछले जी20 सम्मेलन में अलग से लाए गए आईएमईसी का लक्ष्य भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप को समुद्र-भूमि कनेक्टिविटी से जोड़ना है।

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शुभायन चक्रवर्ती   
Last Updated- May 17, 2024 | 11:41 PM IST

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वैश्विक लॉजिस्टिक मार्गों को नए सिरे से तैयार करने पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि भारत इस समय इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर (आईएमईसी) और इंटरनैशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) बनाने पर काम कर रहा है, जो चाबहार बंदरगाह से जुड़ेंगे।

उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सालाना कारोबार सम्मेलन में जयशंकर ने कहा कि पश्चिम एशिया में चुनौतीपूर्ण स्थिति के बावजूद हर सदस्य देश आईएमईसी को आगे बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा, ‘हम सभी एक-दूसरे से बातचीत कर रहे हैं। किसी चीज को शुरू करने के लिए जरूरी नहीं कि सब कुछ व्यवस्थित हो। हम जहां तक आगे बढ़ सकते हैं, आगे बढ़ेंगे’

पिछले जी20 सम्मेलन में अलग से लाए गए आईएमईसी का लक्ष्य भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप को समुद्र-भूमि कनेक्टिविटी से जोड़ना है। इसका लक्ष्य एक देश से दूसरे देश के बीच जहाज व रेल ट्रांजिट नेटवर्क तैयार करना है, जो समुद्र मार्ग और सड़क मार्ग की मौजूदा ढुलाई की तुलना में भरोसेमंद व सस्ता हो। साथ ही इससे भारत, यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन, इजरायल और यूरोप के बीच वस्तुओं और सेवाओं का कारोबार हो सके।

कारोबारियों को ईरान के चाबहार बंदरगाह से गुजरने वाले आईएनएसटीसी और आईएमईसी का लाभ उठाना चाहिए। जयशंकर ने कहा, ‘इसमें से एक हमें बाल्टिक सागर तक और दूसरा अटलांटिक सागर तक ले जाता है।

पूर्व में भारत-म्यामार-थाईलैंड त्रिदेशीय राजमार्ग बहाल होने से प्रशांत महासागर के सभी रास्तों तक पहुंच बन जाएगी। हम ध्रुवीय मार्गों की व्यावहारिकता पर भी विचार कर रहे हैं और शुरुआत में चेन्नई ब्लॉदीवोस्टक गलियारे पर विचार हो रहा है।’

नीतियों पर नजर रखने वालों को साफ संदेश देते हुए जयशंकर ने जोर दिया कि भारत के कारोबारियों को वैश्विक संसाधनों में ज्यादा संभावनाएं तलाशने की जरूरत है। जयशंकर ने कहा, ‘लंबे समय तक हमने रूस को राजनीतिक या सामरिक लिहाज से देखा। जैसे-जैसे वह देश पूर्व की ओर मुड़ रहा है, नए आर्थिक अवसर पैदा हो रहे हैं।

हमारे बीच कारोबार में तेजी और नए क्षेत्रों में सहयोग को अस्थायी घटना के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। ’जयशंकर ने सीआईआई के कार्यक्रम में कहा कि मुद्रा की कमी और लॉजिस्टिक्स की अनिश्चितता से देशों को वैश्वीकरण को नए सिरे से देखने पर बाध्य होना पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘इसमें नए साझेदारों की तलाश, छोटी आपूर्ति श्रृंखलाएं तैयार करना और वैश्वीकरण पर पुनर्विचार करना शामिल है।’

भयानक तूफान

विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया इस समय फ्यूल, फूड और फर्टिलाइजर नाम के 3एफ संकट से गुजर रही है, वहीं एशिया में नए तनाव के कारण समझौते रद्द हो रहे हैं। जयशंकर ने कहा कि दुनिया एक भयानक तूफान का सामना कर रही है। मंत्री ने कहा, ‘भारत के लिए इसके असर को कम करने और यथासंभव स्थिर स्थिति बनाए रखने का लक्ष्य है।’

First Published : May 17, 2024 | 11:24 PM IST