खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच से भारतीय राजनयिकों और अधिकारियों को जोड़ने के कनाडा के प्रयासों के बाद भारत और कनाडा के संबंधों में तनाव गहराता जा रहा है। भारत ने सोमवार को कनाडा से अपने उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और ‘निशाना बनाए जा रहे’ अन्य राजनयिकों एवं अधिकारियों को वापस बुलाने का निर्णय लिया।
विदेश मंत्रालय ने कनाडा के प्रभारी राजदूत को तलब करने के कुछ देर बाद ही यह ऐलान किया। मालूम हो कि कनाडा की सरकार ने भारत को भेजे राजनयिक संदेश में कहा था कि सिख चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के सिलसिले में चल रही जांच में वह भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों से पूछताछ करना चाहती है।
विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार रविवार को कनाडा की ओर से भारत को राजनयिक संदेश मिला था, जिसमें कहा गया था कि सिख चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के सिलसिले में चल रही जांच में भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक ‘निगरानी’ में हैं।
भारत ने इस संदेश का सख्त जवाब देते हुए कनाडा में उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा के खिलाफ आरोपों को पुरजोर तरीके से खारिज कर दिया। आरोपों को बेतुका बताते हुए इन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे से जुड़ा बताया, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है।
अपना रुख कड़ा करते हुए विदेश मंत्रालय ने सोमवार शाम को कनाडा के प्रभारी राजदूत को तलब किया। उन्हें सूचित किया गया कि कनाडा में अपनी ‘वोट बैंक की राजनीति’ के लिए भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों एवं अधिकारियों को निराधार तरीके से निशाना बनाना पूरी तरह अस्वीकार्य है।’
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘इस बात पर जोर दिया गया कि उग्रवाद और हिंसा के माहौल में ट्रूडो सरकार की कार्रवाइयों ने उनकी सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। हमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा कनाडा सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है। इसलिए, भारत सरकार ने उच्चायुक्त और निशाना बनाए जा रहे अन्य राजनयिकों एवं अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है।’
मंत्रालय ने कहा कि भारत अब अपने राजनयिकों के खिलाफ आरोपों को गढ़ने के कनाडा सरकार के इन ताजा प्रयासों के जवाब में आगे कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखता है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कुछ आरोप लगाए थे और कनाडा सरकार ने तब से हमारी ओर से कई अनुरोधों के बावजूद भारत सरकार के साथ सबूतों का एक अंश भी साझा नहीं किया है।’
पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी चरमपंथी निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आ गया था। निज्जर की पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का भारत के प्रति बैरपूर्ण स्वभाव लंबे समय से स्पष्ट है। मंत्रालय ने कहा कि ट्रूडो ने 2018 में भारत की यात्रा की थी जिसका मकसद वोट बैंक को साधना था, लेकिन यह उन्हें असहज करने वाली साबित हुई।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘कनाडाई राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप पर आंखें मूंद लेने के लिए आलोचनाओं के घेरे में आई उनकी सरकार ने नुकसान को कम करने के प्रयास में जानबूझकर भारत को इसमें शामिल किया है।’ उसने कहा कि भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाने वाला यह नवीनतम घटनाक्रम अब उसी दिशा में अगला कदम है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘यह कोई संयोग नहीं है कि यह घटना ऐसे समय हुई है जब प्रधानमंत्री ट्रूडो को विदेशी हस्तक्षेप पर एक आयोग के समक्ष गवाही देनी है।’ उसने कहा, ‘यह भारत विरोधी अलगाववादी एजेंडे को भी बढ़ावा देता है जिसे ट्रूडो सरकार ने संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए लगातार बढ़ावा दिया है।’
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘इस उद्देश्य से ट्रूडो सरकार ने जानबूझकर हिंसक चरमपंथियों और आतंकवादियों को कनाडा में भारतीय राजनयिकों और सामुदायिक नेताओं को परेशान करने, धमकाने और डराने के लिए जगह दी है। इसमें उन्हें और भारतीय नेताओं को जान से मारने की धमकी देना भी शामिल है।’
(साथ में एजेंसियां)