वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) के ऋण संसाधनों पर दबाव कई गुना बढ़ने जा रहा है क्योंकि गैर उधारी शेयरधारकों ने सीमा पार चुनौतियों से निपटने के लिए इसका दायरा बढ़ाने को कहा है। फ्रांस के पेरिस में ’21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए एमडीबी के मॉडल में बदलाव’ विषय पर आयोजित गोलमेज सम्मेलन में सीतारमण ने यह कहा।
वित्त मंत्री ने कहा कि पूंजी पर्याप्तता ढांचे को लागू करने और सिफारिशों के आधार पर यह अनुमान है कि एमडीबी को अगले 10 साल में 100 अरब डॉलर से ज्यादा अतिरिक्त उधारी क्षमता विकसित करनी होगी। निर्मला ने कहा, ‘वैश्विक विकास की संभावनाओं और उसके पैमाने व धन मुहैया कराने की चुनौतियों को देखते हुए यह पर्याप्त नहीं है और अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है।’
उन्होंने कहा कि इस मसले पर बहुआयामी दृष्टिकोण की जरूरत है और पूंजी पर्याप्तता ढांचे की सिफारिशों पर काम करने से एमडीबी अपने संसाधनों को अधिक प्रभावी तरीके से इस्तेमाल करने में सक्षम हो सकेंगे। विश्व बैंक द्वारा इक्विटी ऋण अनुपात की समीक्षा, एडीबी द्वारा शेयरधारकों की जोखिम क्षमता का पुन: आकलन इस मामले में हाल के उदाहरण हैं।