गूगल, उबर, मेटा, एमेजॉन जैसी सदस्यों वाली कंप्यूटर ऐंड कम्युनिकेशंस एसोसिएशंस इंडस्ट्री एसोसिएशन (CCAI) ने अमेरिका और भारत के बीच डिजिटल व्यापार में ’20 नीतिगत बाधाओं’ का जिक्र किया है। वाशिंगटन में मुख्यालय वाली CCAI ने मध्यस्थता नियमों के तहत अतिरिक्त शर्तें लागू करने वाले सूचना-प्रौद्योगिकी अधिनियम के संशोधन, कॉन्टेंट मॉडरेशन ऐक्ट, इक्वलाइजेशन लेवी और प्रस्तावित दूरसंचार विधेयक को इन बाधाओं में शामिल किया है।
एसोसिएशन ने ‘की थ्रेट्स टु डिजिटल ट्रेड, 2023’ शीर्षक वाली अपनी टिप्पणी में कहा है कि दूरसंचार विधेयक के मसौदे में दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा डिजिटल सुरक्षा एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरा है। यह रिपोर्ट CCAI के सदस्यों के लिए तैयार की गई थी।
संस्था ने कहा कि इंटरनेट से चलने वाली कई तरह की सेवाओं को इसके दायरे में लेने के लिए दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा बदल दी गई है। पिछले दूरसंचार कानून की दूरसंचार एवं ब्रॉडबैंड सेवाओं से ये काफी अलग हैं।
CCAI मानती है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी अपनी पहल के कारण भारत ने अमेरिका की डिजिटल कंपनियों के खिलाफ अपना संरक्षणवादी रुख और भी कड़ा कर लिया है। संस्था ने कहा कि इस तरह के कदमों से अमेरिकी कंपनियों के साथ भारत में भेदभाव नहीं होना चाहिए। उसका अनुमान है कि भारत में ऑनलाइन सेवाओं की वृद्धि की अपार संभावनाएं होने के बाद भी 2020 तक इस देश के साथ डिजिटल सेवाओं के व्यापार में अमेरिका को 27 अरब डॉलर का घाटा हुआ।
CCAI ने यह बात तब कही है, जब भारत और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), दूरसंचार, रक्षा आदि क्षेत्रों में डिजिटल तकनीकों में बड़े स्तर पर सहयोग करने के लिए क्रिटिकल ऐंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज डायलॉग्स को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 जून से शुरू हो रही अपनी अमेरिका यात्रा में राष्ट्रपति जो बाइडन के अलावा शीर्ष तकनीकी कंपनियों के मुख्य कार्याधिकारियों (CEOs) के साथ भी मुलाकात करेंगे। माना जा रहा है कि तकनीकी सहयोग मोदी और बाइडन के बीच बातचीत में अहम विषय रहेगा।
CCAI ने ‘यूरोपियन डिजिटल मार्केट्स ऐक्ट’ (DMA) की तर्ज पर ‘डिजिटल प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम’ लागू करने के भारत की संसदीय समिति के सुझाव पर भी चिंता जताई है। उसे लगता है कि प्रस्तावित अधिनियम अमेरिकी कंपनियों को ध्यान में रखकर लाया जा रहा है।
CCAI ने 2021 में भारत द्वारा की गई भू-स्थानिक दिशानिर्देशों की घोषणाओं पर भी आपत्ति जताई है। इसका कहना है कि ये दिशानिर्देश अमेरिकी कंपनियों और विदेशी कंपनियों को भारत के साथ नई तकनीक में सहयोग करने से रोक रहे हैं।