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विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक (ED) परमेश्वरन अय्यर को नौ मई की महत्वपूर्ण बैठक से पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बोर्ड में अस्थायी रूप से भारत के नामित निदेशक की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सरकार ने आईएमएफ में कार्यकारी निदेशक के रूप में के वी सुब्रमण्यन की सेवाओं को उनका तीन साल का कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले समाप्त कर दिया था। इस बाद कार्यकारी निदेशक का पद रिक्त हो गया था, जिसपर अब सरकार ने अय्यर को अस्थायी रूप से नामित किया है।
सरकार का यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड की नौ मई को बैठक होनी है जिसमें जलवायु कार्यक्रम के तहत पाकिस्तान को 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर के नए ऋण के साथ मौजूदा सात अरब डॉलर के राहत पैकेज की पहली समीक्षा की जाएगी। गौरतलब है कि भारत कूटनीतिक और विभिन्न वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान को घेरने का प्रयास कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, यदि भारत ने अय्यर को नामित नहीं किया होता, बहुपक्षीय वित्तपोषण एजेंसी के नियमों के तहत श्रीलंका के वैकल्पिक कार्यकारी निदेशक हरिश्चंद्र पहाथ कुम्बुरे गेदारा ईडी के कर्तव्यों का निर्वहन करते। मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने 30 अप्रैल, 2025 से सुब्रमण्यन की सेवाओं को समाप्त कर दिया है। हालांकि, सुब्रमण्यन को हटाने की कोई आधिकारिक वजह नहीं बताई गई है।
सूत्रों के अनुसार, सुब्रमण्यन ने आईएमएफ के डेटासेट के बारे में सवाल उठाए हैं, जिसे बहुपक्षीय एजेंसी ने अच्छा नहीं माना था। अतीत में भी, आईएमएफ सुब्रमण्यन द्वारा दिए गए कुछ बयानों से नाखुश रहा है, खासकर भारत की ऋण स्थिति के बारे में।
सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा उनकी नई किताब इंडिया @100: एनविज़निंग टुमॉरोज़ इकनॉमिक पावरहाउस’ के प्रचार और प्रसार को लेकर ‘कथित अनियमितता’ पर चिंता व्यक्त की गई थी। सुब्रमण्यन को एक नवंबर, 2022 से तीन साल की अवधि के लिए आईएमएफ में कार्यकारी निदेशक (भारत) के रूप में नियुक्त किया गया था। इससे पहले, उन्होंने सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्य किया था। आईएमएफ का कार्यकारी बोर्ड सदस्य देशों या देशों के समूहों द्वारा चुने गए 25 निदेशकों (कार्यकारी निदेशकों या ईडी) से बना है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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