वित्तीय बाजार में जारी असंतुलन से छुटकारा पाने के लिए अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशों ने चीन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि वह अपनी मुद्रा के मूल्य को तेजी से बढ़ाने का प्रयास करे।
दोनों ही देशों ने यह मांग की है कि युआन का मूल्य तीव्र गति से बढ़े। अमेरिका के उप वित्तीय मंत्री रॉबर्ट किम्मिट ने ब्रुसेल्स में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा ”चीन के लिए जरूरी है कि वह अपनी मुद्रा के मूल्य में तेज गति से बढ़ोतरी करे।” उन्होंने कहा कि चीन बुनियादी बाजार की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए अपनी मुद्रा का जल्दी मूल्यांकन करे यह जरूरी है। वर्ष 2005 के बाद युआन पहली बार शुक्रवार को अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।
इसकी एक बड़ी वजह डॉलर में गिरावट को बताया जा रहा है। साथ ही यह आशंका भी युआन के मूल्य में बढ़ोतरी के लिए सहायक रही है कि अमेरिका में ऋण बाजार की मार की वजह से मंदी के आसार पैदा हो रहे हैं। हालांकि यह भी स्पष्ट है कि खुद चीन भी यह मानता है कि उसकी मुद्रा के मूल्य में बढ़ोतरी होनी चाहिए पर मतभेद जिस बात को लेकर है वह यह है कि जिस गति से अमेरिका और यूरोपीय संघ इसमें बढ़ोतरी किए जाने की मांग कर रहे हैं वह चीन को नागवार गुजर रही है। अमेरिका की चरमराती अर्थव्यवस्था और युआन के बढ़ते मूल्य की वजह से ही चीन के निर्यात को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है। पिछले पांच वर्षों में पहली दफा निर्यात की स्थिति इतनी बदतर हो गई है।
किम्मिट का मानना है कि अगले महीने जब सात वित्तीय नीति निर्माता एक साथ जुटेंगे तो चीन के ऊपर दबाव और बढ़ सकता है। यूरोपीय यूनियन मॉनिटरी अफेयर्स कमिश्नर जोआकिन अल्मुनिया ने कहा कि युआन के बढ़ते मूल्य से चीन के सतत विकास की दर एक निश्चित गति पर जाकर थमेगी और साथ ही देश के व्यापार सरप्ल्स में भी कुछ कमी देखने को मिल सकती है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति से निपटने के लिए देश को आंतरिक खपत में तेजी लाने की जरूरत है।