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पुल ढहने से निविदा प्रक्रिया और मजबूती पर सवाल

पिछले जुलाई में राजमार्ग मंत्री द्वारा संसद में दिए गए जवाब के अनुसार, पिछले 5 साल के दौरान 21 पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं।

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ध्रुवाक्ष साहा   
अमृता पिल्लई   
दीपक पटेल   
Last Updated- July 11, 2024 | 10:32 PM IST

पिछले साल पुल-पुलियों, हवाई अड्डों, सुरंगों और सिंचाई बांधों के ढहने या चरमराने की मुख्य वजह उनके डिजाइन की खामियां, सबसे कम बोली लगाने वाले को प्राथमिकता देने वाली खराब निविदा प्रक्रिया और कुशल इंजीनियरों की कमी रही है। यह बात मंत्रालय के अधिकारियों, उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों और बुनियादी ढांचा सलाहकारों ने कही है।

दिल्ली हवाई अड्डे के टर्मिनल 1 पर 28 जून को छत का एक हिस्सा गिर गया। उसके एक दिन बाद गुजरात के राजकोट हवाई अड्डे पर भी ऐसी ही घटना घटी। पिछले एक साल के दौरान अलग-अलग हवाई अड्डे पर बाढ़ अथवा छत गिरने के करीब 7 अन्य मामले सामने आए हैं।

अकेले बिहार में ही महज एक पखवाड़े में एक दर्जन से अधिक पुल ढह गए हैं। पिछले जुलाई में राजमार्ग मंत्री द्वारा संसद में दिए गए जवाब के अनुसार, पिछले 5 साल के दौरान 21 पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं। कुछ सरकारी अधिकारियों का मानना है कि बेहतर निगरानी के कारण केंद्रीय पुल परियोजनाएं राज्य सरकार की परियोजनाओं के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करती हैं। वे इन समस्याओं से निजात पाने के लिए कुछ राज्यों में निविदा एवं बोली आवंटन प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने की वकालत करते हैं।

विश्व समुद्र ग्रुप के कार्यकारी निदेशक शिवदत्त दास ने कहा कि परियोजना आवंटन में सबसे कम बोली लगाने वाले को प्राथमिकता देने के बजाय बेहतर विशेषज्ञता को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘परियोजनाओं को आवंटित करते समय प्रतिस्पर्धी कीमत या सबसे कम बोली को ही निर्णायक मानदंड नहीं मान लेना चाहिए, बल्कि डिजाइन एवं निष्पादन को भी उचित रेटिंग दी जानी चाहिए।’

इंफ्रा एडवाइजर्स के संस्थापक एवं निदेशक प्रवीण सेठिया आक्रामक बोली प्रथा की आलोचना करते हैं। उन्होंने कहा कि कभी-कभी आक्रामक बोली लगाई जाती है जो सरकारी अनुमान से 30 से 40 फीसदी तक कम होती है। ऐसे में अक्सर घटिया सामग्री का उपयोग होता है। राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के तरीके के कटु आलोचक रहे हैं। उन्होंने एक बार चुटकी लेते हुए कहा था कि ऐसा लगता है कि ये पेशेवर महत्त्वपूर्ण परियोजना तैयार करने के लिए इंटरनेट का सहारा लेते हैं।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के एक पूर्व अधिकारी ने एक अन्य मुद्दे की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि सिविल इंजीनियरों की गुणवत्ता एवं उपलब्धता भी एक वजह हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘सिविल इंजीनियरिंग अब न तो पसंदीदा पाठ्यक्रम माना जाता है और न ही शीर्ष राष्ट्रीय संस्थानों से निकले सिविल इंजीनियर फील्ड में जाकर काम करने का विकल्प चुनते हैं।’

मौसम की चरम स्थितियों से भी बुनियादी ढांचे की मजबूती प्रभावित होती है। दिल्ली में जून में जबरदस्त बारिश हुई जो 85 वर्षों में सबसे अधिक बारिश थी। दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के प्रवक्ता ने भारी बारिश को ही टर्मिनल 1 की छत के ढहने की मुख्य वजह बताया। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर अब जलवायु संबंधी चरम स्थितियों को भी ध्यान में रखना होगा।

आस्कहाउ के सह-संस्थापक मनीष अग्रवाल ने कहा, ‘एक सीख यह भी हो सकती है कि अत्यधिक चरम स्थितियों को झेलने लायक मजबूत बुनियादी ढांचे को डिजाइन किया जाए।’

हाल में लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) की वार्षिक आम बैठक में शेयरधारकों ने प्रगति मैदान सुरंग और राम मंदिर निर्माण जैसी परियोजनाओं में रिसाव और बाढ़ जैसी घटनाओं के बारे में पूछा था। इन परियोजनाओं का अनुबंध एलऐंडटी के पास था।

एलऐंडटी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एसएन सुब्रमण्यन ने शेयरधारकों को दिए गए अपने जवाब में कहा कि इन दोनों में से किसी भी परियोजना में कोई रिसाव नहीं था। उन्होंने जलजमाव के कारण बाढ़ जैसी स्थिति के लिए आसपास की आवासीय कॉलोनियों और सरकारी कार्यालयों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि राम मंदिर में जल निकासी का काम अभी पूरा नहीं हुआ है।

एलऐंडटी ने प्रगति मैदान परियोजना और हैदराबाद में मेडिगड्डा सिंचाई परियोजना के बारे में ईमेल के जरिये पूछे गए सवालों पर टिप्पणी करने से इनकार किया। पिछले अक्टूबर में ऐसा लग रहा था कि मेडिगड्डा बैराज के खंभे डूब रहे हैं। वह बैराज कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना का हिस्सा है।

लीपफ्रॉग एडवाइजरी सॉल्यूशंस के संस्थापक सुधीर कुमार ने कहा कि अगर उसका प्रभाव तत्काल दिखता है, तो क्रेडिट रेटिंग पर फैसला तुरंत लिया जाता है। उन्होंने कहा, ‘अगर प्रभाव ऐसा है कि हम उसकी सीमा का अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं, तो हम रेटिंग को क्रेडिट वॉच के तहत रखेंगे और प्रभाव को देखने के लिए इंतजार करेंगे। प्रभाव दिखने के बाद ही उचित निर्णय लिया जाएगा।’

क्रिसिल ने फरवरी में एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शंस को अपने क्रेडिट वॉच से हटा दिया था क्योंकि एक ऋणदाता की स्वतंत्र इंजीनियर रिपोर्ट में कहा गया था कि बिहार के भागलपुर में वह जिस पुल का निर्माण कर रही थी, वह पिछले साल किसी अज्ञात वैज्ञानिक घटना के कारण ढह गया। साथ ही इस बात पर भी जोर दिया गया था कि एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शंस ने पूरी जांच-परख की थी।

First Published : July 11, 2024 | 10:15 PM IST