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AI मॉडल विकसित करने को लेकर सरकार के सामने 50 से ज्यादा फर्मों ने दिखाई रुचि

इस बारे में जानकारी के लिए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को ईमेल भेजा गया मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।

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आशीष आर्यन   
Last Updated- February 21, 2025 | 11:20 PM IST

भारत के अनुकूल आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) का आधारभूत मॉडल तथा स्मॉल लैंग्वेज मॉडल (एसएलएम) और लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) विकसित करने के लिए सरकार के समक्ष 50 से ज्यादा कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। घटनाक्रम से अवगत सूत्रों ने इसकी जानकारी दी।

एक सूत्र ने बताया कि इनमें से करीब दर्जन भर कंपनियों ने आधारभूत मॉडल और एलएलएम विकसित करने में रुचि दिखाई है जबकि कुछ ने क्षेत्र-विशिष्ट से संबं​धित एसएलएम के लिए प्रस्ताव दिए हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अ​धिकारी ने कहा, ‘कुछ ही दिनों में हम एआई का आधारभूत मॉडल, एसएलएम या एलएलएम बनाने की आवश्यकताओं की विस्तृत रूपरेखा लेकर आएंगे। बोलीदाताओं को व्यवहार्यता एवं व्यापकता जैसे मापदंड पर खरा उतरना होगा।’

इस बारे में जानकारी के लिए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को ईमेल भेजा गया मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।

इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अ​श्विनी वैष्णव ने 30 जनवरी को कहा था कि भारत के पास अगले 8 से 10 महीने में एआई का अपना आधारभूत मॉडल होगा और अगर चयनित कंपनियां इसमें तेजी दिखाती हैं तो जुलाई तक ऐसा करना संभव हो सकता है। वैष्णव ने कहा था कि इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत के आधारभूत एआई मॉडल का ढांचा विकसित करने के लिए एलएलएम और एसएलएम के विशेषज्ञों के साथ पिछले 18 महीनों से भी ज्यादा समय से काम कर रहा है।

एक अन्य अ​धिकारी ने कहा, ‘अभी, हमने इच्छुक कंपनियों से एलएलएम, एसएलएम या आधारभूत मॉडल के लिए पीओसी (अवधारणा का प्रमाण) प्रस्तुत करने के लिए कहा है, जिन पर वे काम करना चाहते हैं। इन प्रस्तुतियों पर विचार करने के लिए जल्द ही एक तकनीकी मूल्यांकन समिति गठित की जाएगी और फिर हम चयनित कंपनियों से मॉडल के नमूने पर काम शुरू करने के लिए कहेंगे।’ ये आधारभूत मॉडल 10,372 करोड़ रुपये के ‘भारत एआई मिशन’ के तहत विकसित किए जा रहे हैं, जिसे मार्च 2024 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। सरकार ने इन आधारभूत मॉडल को विकसित करने के लिए चुनी जाने वाली कंपनियों को आ​र्थिक मदद मुहैया कराने के लिए द्वि-आयामी रूपरेखा तैयार की है।

कंपनियों को राज्यों से मिलने वाली किसी भी अन्य वित्तीय सहायता के अलावा केंद्र सरकार द्वारा भी आ​र्थिक मदद दी जाएगी। सरकार ने इन मॉडल को विकसित करने के लिए इक्विटी-आधारित फंडिंग की भी योजना बनाई है। इसमें निजी निवेशकों को भी शामिल करने की अनुमति होगी। 

सरकार को एच100, एच200, एमआई325 और एमआई300एक्स जैसे नवीनतम संस्करण के 18,693 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) की खरीद और आपूर्ति के लिए 10 कंपनियों से बोलियां मिली हैं।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के स्वामित्व वाली जियो प्लेटफॉर्म्स, टाटा कम्युनिकेशंस और हीरानंदानी समूह की योट्टा डेटा सर्विसेज उन प्रमुख कंपनियों में शामिल हैं जो जीपीयू खरीदेंगी और देश में उनकी आपूर्ति स्टार्टअप, ​शिक्षाविदों, शोधा​र्थियों तथा अन्य उपयोगकर्ताओं को करेंगी।

सरकार विभिन्न उद्दश्यों के लिए ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट का उपयोग करने के इच्छुक स्टार्टअप, शोधा​र्थियों, शिक्षाविदों, शैक्षिक संस्थानों और छात्रों को बाजार दर पर 40 फीसदी छूट देगी। एक अधिकारी ने पहले कहा था कि सरकार छह महीने या एक साल या उससे अ​धिक समय के लिए साइन अप करने वाले उपयोगकर्ताओं को अतिरिक्त छूट भी दे सकती है। 

First Published : February 21, 2025 | 10:40 PM IST