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Monsoon: देश में 25 सितंबर से मॉनसून के लौटने की हो सकती है शुरुआत

Monsoon Rain: इस साल 1 जून से 22 सितंबर तक मॉनसून के दौरान वर्षा सामान्य 780.3 मिलीलीटर से अब 6 प्रतिशत ही कम रही है

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संजीब मुखर्जी   
Last Updated- September 22, 2023 | 11:19 PM IST

Monsoon: देश में 25 सितंबर से दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के लौटने की शुरुआत हो सकती है। संशोधित समय सारिणी के अनुसार इस बार कुछ दिनों की देरी से मॉनसून की वापसी हो रही है। अमूमन राजस्थान के दूर पश्चिमी हिस्से से मॉनसून के लौटने की शुरुआत 17 सितंबर के आस-पास शुरू हो जाती है।

भारत के मौसम विभाग ने शुक्रवार को जारी नवीनतम अनुमान में कहा, ‘अगले पांच दिनों तक उत्तर-पश्चिम और इससे सटे पश्चिम-मध्य भारत में वर्षा संभवतः लगातार कम होती जाएगी। राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों से मॉनसून के लौटने के लिए 25 सितंबर से परिस्थितियां अनुकूल बनती दिख रही हैं।’

इस साल अब तक 1 जून से 22 सितंबर तक मॉनसून के दौरान वर्षा सामान्य 780.3 मिलीलीटर से अब 6 प्रतिशत ही कम रही है। यह एक बड़ी राहत मानी जा सकती है क्योंकि कुछ हफ्तों पहले तक संचयी वर्षा में कमी 10 प्रतिशत से भी अधिक हो गई थी।

सितंबर में मध्य एवं पश्चिम भारत में वर्षा में सुधार से इस कमी की कुछ हद तक भरपाई करने में मदद मिली है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के उप-हिमालयी क्षेत्रों में और अधिक वर्षा होने का अनुमान है जिससे संचयी वर्षा में कमी की और भरपाई हो सकती है।

इस साल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की चाल देश में एक समान नहीं रही है और जुलाई में भारी वर्षा के बाद अगस्त में पूरे देश में काफी कम बारिश हुई थी। पहले तो मॉनसून देरी से आया और इसने वर्षा भी जमकर नहीं कराई जिससे जून में बारिश में 9 प्रतिशत कमी दर्ज की गई। मगर जुलाई में भारी बारिश हुई और संचयी वर्षा 13 प्रतिशत अधिक रही।

अगस्त आते ही मॉनसून सुस्त हो गया और इस महीने बारिश में रिकॉर्ड 36 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। देश में अगस्त में कभी इतनी कम बारिश नहीं हुई थी। अगस्त में बारिश नहीं होने से देश में सूखे जैसी नौबत आ गई थी मगर सितंबर में एक बार फिर मॉनसून ने रफ्तार पकड़ ली।

अगस्त के अंत से बारिश में तेजी के बाद देश में खरीफ फसलों का रकबा भी बढ़ा है और इसके साथ ही सिंचाई या पानी की कमी से जुड़ी चिंता भी दूर हुई है।

माना जा रहा है कि सितंबर में मॉनसून के रफ्तार पकड़ने के बाद महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ना और दलहन की फसलों को फायदा हुआ है। मध्य प्रदेश और गुजरात में तिलहन की फसलों को भी बारिश ने फायदा पहुंचाया है। अंतिम चरण में बारिश अधिक होने से पूर्वी भारत में धान की फसल को भी लाभ मिला है।

22 सितंबर तक देश में 11.02 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बोआई हुई थी। पिछले साल की तुलना में इस साल खरीफ फसलों का रकबा 0.34 प्रतिशत अधिक रहा है। इतना ही नहीं, सामान्य रकबे की तुलना में भी इस साल 0.70 प्रतिशत अधिक क्षेत्र में खरीफ फसलों की बोआई हुई है।

जुलाई के अंत धान का रकबा कम था मगर देश के पूर्वी भाग में मॉनसून दोबारा सक्रिय होने के बाद अगस्त से इसमें इजाफा होना शुरू हुआ और 22 सितंबर तक यह बढ़कर 4.11 करोड़ हेक्टेयर हो गया। पिछले साल की तुलना में धान का रकबा इस बार 2.70 प्रतिशत अधिक है। धान के रकमे में इजाफा और सितंबर में मॉनसून में सुधार से इस फसल से जुड़ी चिंताएं दूर होनी चाहिए।

अमेरिका के कृषि विभाग (यूएसडीए) द्वारा की गई समीक्षा के अनुसार इस खरीफ सत्र में चावल का उत्पादन कम से कम 20 लाख टन कम रह सकता है। मगर आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस खरीफ सत्र में चावल उत्पादन का आंकड़ा निश्चित रूप से 11 करोड़ टन से अधिक रहेगा।

सितंबर में मॉनसून सक्रिय होने से दलहन फसलों के लिए भी संभावनाएं बढ़ी हैं। वर्षा कम होने से अरहर और चना सभी के दाम बढ़ने शुरू हो गए थे मगर पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान अच्छी बारिश के बाद इनकी कीमतों में कमी आनी शुरू हो गई है। हालांकि, पिछले साल की तुलना में अरहर और मूंग का रकबा क्रमशः 22 सितंबर तक 5.22 प्रतिशत और 7.08 प्रतिशत कम रहा है।

बार्कलेज इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार 21 सितंबर तक पिछले सप्ताह की तुलना में प्रमुख जलाशयों में भंडारण 66 प्रतिशत से बढ़कर 71 प्रतिशत हो गया। अगस्त में बारिश कम होने से जलाशयों में पानी का स्तर कम हो गया था।

First Published : September 22, 2023 | 7:30 PM IST