प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्रों की जबरदस्त सफलता के बाद केंद्र सरकार अब देश भर में पशुधन औषधि केंद्र खोलने के लिए काफी सक्रियता से काम कर रही है। मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इन केंद्रों पर पशुओं के इलाज के लिए बेहद सस्ती कीमत पर जेनरिक दवाइयां मिलेंगी।
इस योजना के लिए आवंटित कुल रकम और शुरुआती चरण में खोले जाने वाले स्टोरों की संख्या तय करने पर काम चल रहा है। जनऔषधि केंद्र की ही तरह इन पशुधन औषधि केंद्रों का संचालन भी सरकारी एजेंसियों और निजी उद्यमियों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि फिलहाल इस प्रस्ताव के व्यापक विवरण के साथ एक कैबिनेट नोट तैयार किया जा रहा है जिससे इसके बारे में अतिरिक्त जानकारी मिलेगी। उन्होंने बताया कि जनऔषधि केंद्र की ही तरह पशुधन औषधि केंद्रों पर भी लोगों को पशु स्वास्थ्य के लिए विशेष तौर पर उत्पादित सस्ती जेनरिक दवाएं मिलेंगी।
कुछ सूत्रों यह भी कहा कि इस पहल के जरिये ग्रामीण इलाकों में केंद्र सरकार की पहुंच बेहतर हो सकती है क्योंकि अधिकतर स्टोर ग्रामीण क्षेत्र में ही शुरू किए जाने की संभावना है। सरकार की इस पहल से पशुपालकों को फायदा होगा और इस प्रकार कृषि समुदाय को मजबूती मिलेगी।
जनऔषधि केंद्रों की ही तरह पशुधन औषधि केंद्रों से भी ग्रामीण युवाओं और ग्रामीण एवं कस्बाई क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना नवंबर 2008 में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत फार्मास्युटिकल्स विभाग ने शुरू की थी। इसके तहत देश भर में जनऔषधि केंद्र खोले गए हैं जहां लोगों को सस्ती दर पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
देश भर में 31 मार्च, 2023 तक करीब 9,303 जनऔषधि केंद्र चल रहे थे। इन केंद्रों पर उपलब्ध औषधियों में 1,800 दवाएं और 285 सर्जिकल सामान शामिल हैं। मगर उम्मीद की जा रही है कि अब ये आंकड़े बढ़ गए होंगे। इस योजना का संचालन सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत सोसायटी- फार्मास्युटिकल्स ऐंड मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है।
इन स्टोरों का मुख्य उद्देश्य आबादी के सभी वर्गों और विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की गुणवत्तापूर्ण दवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना है। इसके अलावा इस पहल का उद्देश्य शैक्षिक एवं प्रचार अभियानों के जरिये लोगों में जेनरिक दवाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इस भ्रांति को दूर करना है कि हमेशा अधिक कीमत वाली दवाओं की गुणवत्ता बेहतर होती है। साथ ही इस योजना का उद्देश्य लोगों को पशुधन औषधि स्टोर खोलने के लिए प्रोत्साहित करते हुए रोजगार सृजन को बढ़ावा देना है।
जहां तक जनऔषधि केंद्रों का सवाल है तो केंद्र सरकार एक निश्चित सीमा तक मासिक खरीदारी पर प्रोत्साहन प्रदान करती है। इसके अलावा स्टोर के लिए फर्नीचर, कंप्यूटर एवं प्रिंटर खरीदने के लिए सरकार एकमुश्त अनुदान भी देती है।
जनऔषधि केंद्रों पर उपलब्ध जेनरिक दवाओं की कीमत खुले बाजार में बिकने वाली ब्रांडेड दवाओं की कीमत के मुकाबले 50 से 90 फीसदी कम होती है।