GSLV-F15/NVS-02 लॉन्च की शानदार तस्वीर (@isro)
GSLV-F15 Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार सुबह एक और ऐतिहासिक सफलता हासिल की। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से ISRO ने सफलतापूर्वक GSLV-F15 रॉकेट लॉन्च किया, जो NVS-02 सैटेलाइट को लेकर गया। यह श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से किया गया 100वां रॉकेट मिशन था।
इस सफलता पर केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “स्पेस डिपार्टमेंट से जुड़े रहना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। टीम ISRO, आपने एक बार फिर देश को गर्व महसूस कराया है। विक्रम साराभाई, सतीश धवन और अन्य वैज्ञानिकों की छोटी सी शुरुआत से यह सफर शानदार रहा है।”
ISRO प्रमुख वी. नारायणन ने भी इसे बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा, “सैटेलाइट को बिल्कुल सही तरीके से जीटीओ (GTO) ऑर्बिट में स्थापित किया गया है। यह ISRO का 100वां लॉन्च है, जो एक बहुत ही अहम पड़ाव है।”
गौरतलब है कि यह साल 2025 में ISRO का पहला मिशन था। वी. नारायणन ने 14 जनवरी को ISRO प्रमुख का पदभार संभाला था। इससे पहले वे लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC) के निदेशक थे।
श्रीहरिकोटा से अब तक 100 मिशन लॉन्च, PSLV सबसे आगे
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से अब तक कुल 100 मिशन लॉन्च किए हैं। इनमें सबसे अधिक लॉन्च PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) के रहे हैं।
अब तक लॉन्च किए गए मिशन:
इन मिशनों में PSLV सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया है, जो भारत के सैटेलाइट लॉन्चिंग प्रोग्राम की रीढ़ माना जाता है। GSLV और LVM3 जैसे बड़े लॉन्च व्हीकल भी महत्वपूर्ण मिशन का हिस्सा रहे हैं।
27 घंटे की काउंटडाउन के बाद लॉन्च हुआ GSLV-F15, NVS-02 सैटेलाइट को किया तैनात
श्रीहरिकोटा से 27 घंटे की काउंटडाउन के बाद 50.9 मीटर लंबा रॉकेट GSLV-F15 बुधवार सुबह 6:23 बजे लॉन्च हुआ। यह लॉन्च श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से किया गया। इस मिशन में स्वदेशी क्रायोजेनिक स्टेज का इस्तेमाल किया गया, जिसका मकसद NVS-02 सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित करना था।
यह मिशन GSLV-F12 की सफलता के बाद आया है, जिसने 29 मई 2023 को NVS-01 नेविगेशन सैटेलाइट को लॉन्च किया था।
श्रीहरिकोटा से पहला लॉन्च कब हुआ था?
श्रीहरिकोटा से पहला लॉन्च 10 अगस्त 1979 को किया गया था। तब Satellite Launch Vehicle-3 (SLV-3 E1/ Rohini Technology Payload) से रोहिणी टेक्नोलॉजी पेलोड को भेजा गया था। इस मिशन के दौरान डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इसरो में थे और उन्होंने इस मिशन का निर्देशन किया था।
श्रीहरिकोटा से पहली बड़ी सफलता 18 जुलाई 1980 को मिली, जब रोहिणी सैटेलाइट RS-1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।
NavIC सैटेलाइट सिस्टम को मजबूत करेगा NVS-02, मिलेगी ज्यादा सटीक पोजिशनिंग
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कहा है कि NVS-02 सैटेलाइट NavIC कॉन्स्टेलेशन को और मजबूत करेगा। इससे भारत और आसपास के इलाकों में पोजिशनिंग सेवाओं की सटीकता बढ़ेगी। इस सैटेलाइट के जुड़ने से NavIC के सक्रिय सैटेलाइट्स की संख्या चार से बढ़कर पांच हो जाएगी।
NavIC (Navigation with Indian Constellation) एक भारतीय सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम है, जो GPS की तरह स्वतंत्र पोजिशनिंग सेवाएं देता है। इसमें कुल सात सैटेलाइट्स शामिल हैं। ISRO के मुताबिक, NVS-02 का इस्तेमाल कई क्षेत्रों में होगा, जैसे- जमीनी, हवाई और समुद्री नेविगेशन, सटीक कृषि (Precision Agriculture). फ्लीट मैनेजमेंट, मोबाइल डिवाइसेज़ में लोकेशन बेस्ड सर्विसेज, सैटेलाइट्स की ऑर्बिट डिटर्मिनेशन, IoT आधारित एप्लिकेशन, इमरजेंसी सेवाएं और टाइमिंग सेवाएं।
NavIC का दायरा सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहेगा। यह देश की सीमा से 1,500 किमी से ज्यादा दूर तक सटीक पोजिशन, वेलोसिटी और टाइमिंग (PVT) सेवा देने में सक्षम होगा।
क्या है NavIC सिस्टम?
NavIC (Navigation with Indian Constellation) भारत का स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम है। यह सटीक पोजिशनिंग, वेग (Velocity) और टाइमिंग (PVT) सेवाएं प्रदान करता है। यह भारत और उसके 1500 किलोमीटर के आसपास के क्षेत्रों को कवर करता है।
NavIC दो तरह की सेवाएं देता है:
– स्टैंडर्ड पोजिशनिंग सर्विस (SPS): यह आम लोगों के लिए उपलब्ध है और 20 मीटर से भी बेहतर पोजिशनिंग सटीकता (accuracy) देती है।
– रिस्ट्रिक्टेड सर्विस (RS): यह केवल सरकारी एजेंसियों और विशेष उपयोगकर्ताओं के लिए होती है।
NavIC की SPS सर्विस 20 मीटर से बेहतर पोजिशनिंग और 40 नैनोसेकंड से भी अधिक सटीक टाइमिंग प्रदान करती है।